और अब पंजाब में प्लाईवुड फैक्ट्री लगाने
के लिए राज्य सरकार का आमन्त्रण

PPMAपंजाब मंत्रिमंडल ने सूबे में कृषि वन्य गतिविधियों को प्रफुलित करने के लिए पंजाब रैगुलेशन ऑफ फूड बेस्ड इंडस्ट्रीयल रूल्स-2019 को मंजूरी दी थी। इसमें पापुलर, सफेदा, दरहेक, शहतूत, सिलवर उक, नीम, जंड, इंडियन विलो व गमारी की लकड़ी से चलाए जाने वाली प्लाईवुड इंडस्ट्री व आरा यूनिटों को बिना लाइसेंस के चलाने के लिए मंजूरी दे दी गई। सूबे में स्थापित प्लाईवुड इंडस्ट्री संचालकों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उद्यमियों ने यह भी साफ कर दिया है कि सरकार का उक्त फैसला सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ है। अगर यह फैसला जल्द वापस न लिया गया तो पंजाब प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (पी.पी.एम.ए) के बैनर तले उद्यमी सूबा सरकार को सुप्रीम कोर्ट में घेरेंगे।

उद्यमी बोले- सरकार की गलत नीतियों के चलते स्थापित इंडस्ट्री के वजूद पर मंडराया खतरा
31 जुलाई को सराभा नगर मार्केट स्थित एक रैस्टोरैंट में आयोजित प्रैस कांफ्रैंस के दौरान पी.पी.एम.ए के चेयरमैन अशोक जुनेजा ने बताया कि सरकार के इस फैसले की वजह से पंजाब में स्थापित प्लाईवुड इंडस्ट्री पर बंदी का खतरा मंडराने लगा है। मौजूदा इंडस्ट्री को बामुश्किल पोपुलर व सफेदा की लकड़ी मिल पा रही है। अगर नए उद्योग स्थापित हो गए तो लकड़ी की कमी के चलते मौजूदा उद्योगों का बंद होना तय है।

लकड़ी की कमी के चलते मुश्किल से चल पा रही मौजूदा प्लाईवुड इंडस्ट्री
प्रधान इंद्रजीत सिंह सोहल ने बताया कि 10 साल पहले तक पंजाब में करीब 35 लाख क्युबिक मीटर पोपुलर व सफेदा की लकड़ी उगाई जाती थी। आज पैदावर घटकर 15 क्योंकि मीटर रह चुकी है। इसके बाद पंजाब में कुल क्षेत्रफल की तुलना में जंगल 13 फीसदी से घटकर 4 फीसदी रह गया है। इससे साफ है कि प्लाईवुड निर्माता किस कद लकड़ी की कमी से जूझ रहे हैं। सरकार से अनुरोध है कि बिना लाइसैंस के नए प्लाईवुड उद्योग स्थापित करने को लेकर दी गई छूट तुरन्त वापस ले। इसके साथ ही पंजाब में नए प्लाईवुड उद्योग लगाने के लिए कोई भी नया लाइसैंस भी न इश्यू किया जाए।

PPMA6 माह में अढ़ाई गुना तक महंगी हुई पोपुलर व सफेदा की लकड़ी
पी.पी.एम.ए. के जनरल सैक्रेटरी विशाल जुनेजा ने बताया कि 6 माह में पापलुर व सफेदा की लकड़ी अढ़ाई गुना तक महंगी हो चुकी है। 6 माह पहले प्लाईवुड इंडस्ट्री को लकड़ी जहां 400 रुपए क्विंटल की दर से मिल रही थी, वहीं आज लकड़ी 1000 रुपए क्विंटल की दर से मिल रही है। लकड़ी की कमी के चलते किसान लगातार लकड़ी महंगी कर रहे हैं। बेबस प्लाईवुड निर्माताओं को भी मजबूरन मुंह मांगे दामों पर लकड़ी खरीदनी पड़ रही है।

स्थापित इंडस्ट्री पर जी.एस.टी. 18, नई पर 9:
पी.पी.एम.ए. के सैक्रेटरी जनरल सुखदेव सिंह छाबड़ा ने बताया कि पंजाब में स्थापित प्लाईवुड इंडस्ट्री पर जी.एस.टी. 18 फीसदी की दर से लग रहा है लेकिन पंजाब सरकार की इंवैस्ट पंजाब के तहत नई प्लाईवुड इंडस्ट्री को 18 फीसदी जी.एस.टी. देने के बाद 9 फीसदी मिल जाता है, अर्थात स्थापित इंडस्ट्री से 9 फीसदी अधिक जीएसटी वसूला जा रहा है। अगर पंजाब सरकार की उक्त नीति के तहत पंजाब में नए प्लाईवुड उद्योग लगते हैं तो मौजूदा उद्योगों का बंद होना तय है।

25 प्लाईवुड उद्योग हो गए बंद
वाइस प्रैजीडैंट गुरप्रीत सिंह कटारिया ने बताया कि 2 साल पहले तक पंजाब में करीब 160 प्लाईवुड उद्योग थे। लकड़ी की कमी के चलते पिछले समय में 25 प्लाईवुड उद्योग बंद हो गए। इसके बाद मौजूदा उद्योग भी दिन में 6 से 10 घंटे ही चल पा रहे हैं। लाइसैंस होल्डर उद्योगों में मंदे की वजह अवैध प्लाईवुड उद्योग भी हैं। पंजाब में पिछले समय में बड़ी संख्या में अवैध प्लाईवुड उद्योग पनपे हैं, जो बिना लाइसैंस के चल रहे हैं। सरकार को इन पर भी सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए।