मेला डुबिया लगाया है, नर्सरी भी ली है। 2 साल का काॅन्ट्रैक्ट भी किया है विमको से। वो नर्सरी प्रोवाइड करेंगे दो साल में जितनी भी प्लांटेशन होगी। पर फैक्ट्री वाले कुछ बोर्ड वगैरह लगवाए सड़कों पर कि हम खरीदना चाहते हैं मंडी में। इनकी तरफ से कुछ नहीं है। तीन साल लग जाएंगे पोपलर लकड़ी आते-आते, पर लकड़ी इतनी कम आएगी मुझे लगता है कि कुछ इंडस्ट्री को आगे…. दो-तीन साल बंद करने पड़ेंगे। क्योंकि बाहर की लकड़ आएगी नहीं और बाहर की लकड़ी वैसे भी बैन हो रही है। सफेदा भी यूपी में बैन हो गया लगना। सरकार के आॅर्डर इशू हो गए हैं। पानी की समस्या की वजह से एन्वाॅयरन्मेंट पर बहुत जोर देने लगी हैं सरकारें। मंडी में माल बिकता रहा तो कुछ बैनर पोस्टर लगाए हैं, मैं तो अपनी तरफ से अखबार में तीन बार ऐड भी कर चुका और जितना हो सका कर लिया। दो महीने हो गए मुझे करते हुए, टाईम लगेगा, रिजल्ट आ जाएंगे। अगर थोड़ी सा प्रोत्साहन मिल जाता है तो उसका रिजल्ट वगैरह जल्दी आ सकता है। लगाने वाले और मिल जाएंगे। मतलब मंडी में इतना ही लिखदे कि मेला डुबिया आप लगाए हम खरीदेंगे, सिर्फ इतना ही करवाया तो इतना ही बहुत मेरे लिए। यह बैनर लगायें इतने में ही लगना शुरू हो जाएगा और फार्मर के लिए भी फायदेमंद चीज है, पोपुलर तो बिल्कुल जीरो है उसके सामने। चार साल पहले मैं बैंगलोर गया था, वहां से में ले कर आया था। 10 पेड़ ले कर आया था। यहां राधा कृष्ण जी की फैक्ट्री है राकेश खुराना जी। उनके पिल करवाए हमने उन्होंने कहा कि इसमें तो कोर बहुत निकली है 35 परसंेट एकस्ट्रा और माॅइस्चर भी नहीं है। 28 परसेंट माॅइस्चर था। और पाॅपलर में 50 परसेंट माॅइस्चर है। एक बार इसकी प्लांटेशन ला कर के, कटाई करके देख चुके हैं। उसकी कोर भी निकलवा चुका हूँ। कहने से नहीं कम से कम मंडी में 2-4 बैनर ही लगवा दो। आपके बच्चे मंडी जाते हैं या मुंशी जाते है। 4 साल का पेड़ था, 28 से 32 इंच के बीच की गोलाई थी उसकी। एक पेड़ का वजन 2 क्विंटल 78 किलो था। ये सभी के ज्वांइट एफर्ट से लगेगा।

जैसे मैंने ऐड़ दी थी, जब तक उस पर फैक्ट्री वालों की मोहर नही लगेगी। कि हम इस लकड़ी को खरीदेंगे तब तक इसको इतनी जल्दी से कोई लगाने वाला नहीं मिलेगा, आज ले के गए 300 पेड़, परसों ले के गया 400 पेड़ अब 300 या 400 से तो इनकी फैक्ट्रियां नहीं चल पाएंगी।
अब मैं वहीं देख रहा हूं कि कहीं लैंड मिल जाए ठेके पर तो इसकी प्लान्टेसन हम ही कर सकें। किसी को कह रखा है कि, उत्तराखंड की एक जगह है 1000 एकड़ अगर वो दें तो उस पर हम लगा देंगे। काम तभी हो सकता जब इंडस्ट्री वालें साथ दें। क्योंकि कहीं भी चले जाए अकेले आदमी की सुनवाई नहीं आज की तारीख में। खासकर के जब कोई आदमी इनोवेशन करता है तब उसकी चीज सुनवाई में नही होती। जब प्राॅफिट में आएगी तब सभी इसके पीछे दौडेंगे। मैं तो देख चुका हूं कि इसका प्राॅफिट कितना है। इसके बाद एक पेड है पेलेनोमिया उसकी तो अभी तक एफआरआई वालों ने रिसर्च करी नहीं है। वो की नहीं पर मैं तो लगा चुका हूं। वो ट्री तो ऐसा कह लो कि उसकी ग्रोथ ही अनबिलीवेबल है। मेलिया से भी ज्यादा। बहुत ज्यादा। 60 इंच का पेड़ हो जाता है। 5 साल में 60 इंच का हो जाता है। यानी 2 साल में ही काटने के लायक हो जाता है। यानी 2 साल में ही आप उसमें पील कर सकते हो। क्योंकि अब जो हमारी पीलिंग आ गई है वो तो 24, 36 इंची से ज्यादा वैसे भी नहीं काटती। ये दोनों ट्री वेटलेस ट्री हैं। इनको वेट के हिसाब से पैसे नहीं देने पड़ेंगे। क्योंकि अगर फार्मर को रेट नहीं मिला। एक तो इन दोनों का फेस निकल जाता है। अगर फेस के भी पैसे नहीं दंेगे उस लकड़ी के हिसाब से तो फाॅर्मर इनको फर्नीचर में बेच सकता है।

क्योंकि मैंने फर्नीचर की मार्किट भी ढूंढ ली है इसकी ये जो पेलेनोमिया और मेला डुबिया है ये जो आपके म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और शिप की जो छोटी नौकाएं बनती हैं पोरबंदर में ये लकड़ी वहां यूज होती है। क्योंकि वेटलेस है और जितनी भी लकड़ी वेटलेस हैं वो आपकी इंपोर्ट हो रही है। बाहर से जो लकड़ आ रही है वो मंहगी है। इंडस्ट्री को तो इसका रेट एक स्टैडंर्ड फिक्स करना पड़ेगा। 750 रूपये क्विंटल तभी इनको ये लकड़ी इंडस्ट्री सरवाईव करेगी। मतलब ये अब 250 रू क्विंटल के सपने देखें वो गलत है। प्लांटेशन का समय क्योंकि पोपुलर का अब ज्यादा नहीं रह गया। लगेगा तो इस साल लग जाएगा नहीं तो मैक्सिमम अगले साल मार्च तक। अगली प्लांटेशन ही हो पाएगी उसके बाद या तो पेलेनोमिया बोलेगा या मेला दुबिया बोलेगा। पर ये ही कि 4 महीने की दिक्कत है। ज्यादा नहीं क्योंकि 2-3 हजार पेड़ तो मार्केट में जा चुका है। प्लांटेशन के लिए। इतना तो बिक ही गया मेरे पास से। पिछले हफ्ते ही नर्सरी आयी थी इसकी रूदरपुर से, विमको से खरीद लिया। मतलब विमको ने मेला डुबिया यहां पर प्लांटेशन करना शुरू कर दिया है या उसकी फार्मिंग करनी शुरू कर दी है वो एडवांस चल रहे हैं। ये हमारा पोपुलर भी जो ग्रो हुआ था उस समय में भी विमको की बदौलत ही हुआ था।