आज यमुनानगर का माल विश्वास से बिक रहा है। लोगों ने अरडु का माल इन्ट्रोड्यूस कर पूरी इंडस्ट्री को हासिये पर खड़ा कर दिया है। भविष्य में साल-दो साल में प्लाई से बुरादा गिरने लगेगा। जो अवश्यम्भावी है फिर क्या होगा? बाजार क्या सिर्फ उसी एक फैक्ट्री को दोशी ठहराएगा? पड़ोसी का घर अगर जलेगा तो आंच तो हम पर भी आयेगी।

बाजार धीरे-धीरे बढ़े हुए रेटों को एक्सेप्ट करने लग गया था। हाल फिलहाल में लकड़ के रेटों में और 100 रू क्विंटल से अधिक की तेजी आ गयी।

लेकिन अब अरडु की लकड़ आने से वापस रेट बेक होने लग गए।

अरडु की कोर भी बिकेगी उसकी फाली भी बिकेगी और फटट्ी भी बिकेगी। महामारी कहां तक फैलेगी क्या पता है?

हां यह भी सच है कि ग्राहक के भी कान खड़े हो गये हैं। यह भरोसे की फैक्ट्रियों से लोग जुड़ना चाहेंगे। अभी मेरे पास गुजरात से चलकर एक पार्टी आयी। सिर्फ यह देखने की आप कहीं अरडु तो इस्तेमाल नहीं कर रहे। हम तो अपने आप में पूरे आश्वस्त हैं, तो हमने उसे पूरी फैक्ट्री का कोना-कोना छान मारने को कहा। इससे पहले एक नागपुर की पार्टी आकर गयी। सस्ता महंगा दोनों ही माल लेते हैं। वो बता रहे थे कि मैं स्पेशली यही देखने यमुनानगर आया हूं कि मेरा जिन फैक्ट्रीयों से काम होता है वो कहीं अरडु तो नहीं लगाने लग गए। कल को कहीं भी क्लेम खड़ा हो गया तो हमारा पिंड छूटने वाला नहीं है। आप लोगों का तो 2-4 लााख कम ज्यादा होगा। हमारी तो पार्टी भी जायेगी और लाखों की उधारी भी डुबेगी।

अब कितने आदमी समझदारी और धीरज से काम लेंगे? एक तरफ पड़ते में बैठाने का लालच या नुक्सान से बचने का साधारण सा उपाय और दूसरी तरफ धीरज से समय को पार करके अपनी विश्वसनियता बनाए रखना। लोग टर्म की सोच रखकर काम करने वाले कौन-कौन होंगे, यह समय बतायेगा।