The circulation of cash decreased as a ratio of GDP

भारत में गहरी सुस्ती का दौर

आईएफएफ ने एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत के आर्थिक विकास में तेजी आने से लाखों लोग गरीबी से बाहर आए, लेकिन इस साल की पहली छमाही में कुछ वजहों से इकोनाॅमिक ग्रोथ कमजोर रही। आईएमएफ ने भारत का आउटलुक घटाने का जोखिम बताते हुए कहा कि मैक्रो-इकोनाॅमिक मैनेजमेंट में लगातार मजबूती जरूरी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत में जितनी विकास दर रही है, उस हिसाब से औपचारिक सेक्टर में रोजगार का सृजन नहीं हुआ है और श्रम बल में गिरावट आई है। यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वाशिंगटन में जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की सबसे तेज विकास दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत ने करोड़ों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला है। लेकिन श्रम बाजार के हाल के आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी काफी अधिक बढ़ गई है। श्रम बल का आकार घट गया है जो महिला श्रम बल पर खास तौर से लागू होता है।

कुछ सेक्टर के संकट की वजह से इकोनाॅमिक ग्रोथ कमजोर
आईएमएफ के मुताबिक भारत अब गंभीर आर्थिक सुस्ती में फंस चुका है और आईएमएफ चालू वित्त वर्ष के लिए 6.1 फीसदी और अगले वित्त वर्ष के लिए सात फीसदी के भारत के विकास अनुमान को घटा दिया था। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू कारोबारी साल की दूसरी छमाही में निजी खपत और निवेश में बढ़ोतरी होगी और मध्यावधि में विकास दर धीरे-धीरे बढ़कर 7.3 फीसदी पर पहुंच जाएगी।

साहसिक और तुरंत फल देने वाले कदमों की जरूरत
हालांकि रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई कि साहसिक और तुरंत फल देने वाले कदम यदि नहीं उठाए गए तो मध्यावधि में विकास दर कम बनी रहेगी। भविष्य में विकास दर को और नीचे ले जाने वाले जोखिम बने हुए हैं। इन जोखिमों में काॅरपोरेट टैक्स वसूली में कमी और संरचनात्मक सुधारों में हो रही देरी प्रमुखतासे शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज बढ़ोतरी की दर भी आने वाले समय में कम बनी रह सकती है, क्योंकि बैंकों में जोखिम लेने से बचने की धारणा बनी है।

अनिश्चितता से स्थिति खराब हुई
रिपोर्ट में कहा गया है कि खपत और निवेश में गिरावट के कारण देश की विकास दर घटी है और सरकारी नीतियों की अनिश्चितता के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। खाद्य कीमतें कम रहने से गांवों की समस्या में और बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा जीएसटी जैसे सरंचनात्मक सुधारों को लागू करने से जुड़े मुद्दों ने भी आर्थिक सुस्ती को बढ़ाया।

सरकार के पास बहुमत
आईएमएफ ने कहा कि इस साल के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में विशाल बहुमत हासिल हुआ है। इसलिए उनके पास पहले कार्यकाल की रफ्तार को आगे बढ़ाते हुए समावेश और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए सुधार को एजेंडे पर आगे बढ़ने का अवसर है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति में नरमी का रुख
आरबीआई की ब्याज दर के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में साइक्लिकल कमजोरी के कारण मौद्रिक नीति में नरमी की ओर झुकाव बना रहना चाहिए। यह नरम रुख तब तक बना रहना चाहिए जब तक अनुमानित तेजी वापस आ नहीं जाती। इस दौरान सरकरा को वित्तीय राहत से बचना चाहिए, क्योंकि वित्तीय स्थिति जोखिमपूर्ण है। इसके अलावा काॅरपोरेट टैक्स में कटौती के कारण राजस्व का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जानी चाहिए।