आत्मनिर्भरता की नीति अपनाएं

आत्मनिर्भरता की नीति अपनाएं


‘चीन के वुहान से बल्क दवाओं की आपूर्ति बहाली की ओर’

भारत में दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले करीब 70 प्रतिशत कच्चे माल की आपूर्ति चीन करता है। मोदी सरकार को ज्ञात है कि भारत से निर्यात की तुलना में चीन से आयात कई गुना अधिक हो रहा है। मोदी सरकार ने इस असंतुलन को पिछले छह वर्ष में दूर करने की ओर कोई योजनाबद्ध नीति नहीं अपनाई है। पूरे भारत में चीन निर्मित सामान चारों ओर कब्जा जमाए हुए हैं। मोदी सरकार को अपने शेष बचे कार्यकाल में चीन के साथ चल रहे व्यापार घाटे के भारी असंतुलन को दूर करने के लिए अब नीति बना कर लागू करना चाहिए।

हमें सोचना होगा और सीखना होगा कि माओ ने चीन के स्वाधीन होते ही सात दिन में अपनी भाषा मंदारिन को अधिकारियों की सलाह को अनसुना करते हुए लागू कर दिया था। परिणामस्वरूप अपनी भाषा के दम पर चीन देखते ही देखते आर्थिक क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर विकसित राष्ट्र हो गया। भारत ने विदेशी भाषा अंग्रेजी की गुलामी अपनाकर भारत को इंडिया बना लिया है जो भौतिक जीवन प्रणाली का प्रतीक है। अभी भी हम समझना नहीं चाहते हैं कि आर्थिक और जीवन के हर क्षेत्र में तेजी से देश को उठाना है तो अपनी भाषाओं को जन-जन से जोड़ कर विकास करने का व्यावहारिक रास्ता बनाना होगा। भारत विकास करने की अपनी जड़ से जुड़ी नीति पर ध्यान ही नहीं दे सका है। अघ्यात्मिक जीवन-पद्धति अपनाई जाती तो आत्म शांति के साथ महात्मा गांधी के स्वराज्य का सपना साकार हो पाता। महात्मा गांधी के गुजरात से जुड़े मोदी में क्षमता भी है। वह भारत को अपनी संस्कृति के सहारे आर्थिक ही नहीं हर क्षेत्र में दुनिया में अग्रिम विकसित राष्ट्र बना सकते हैं। वर्तमान में चीन पर हर प्रकार की निर्भरता आत्मघातक है।