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कर जांच में मानव हस्तक्षेप नहीं

सरकार की महत्त्वाकांक्षी फेसलेस टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (मानव हस्तक्षेप रहित समीक्षा प्रणाली) के तहत देश भर में शुरू में सीमित मामलों की ही पड़ताल की जाएगी। इसके बाद अगले 12 महीने में जांच के सभी मामले इसके दायरे में आ जाएंगे। इस योजना का क्रियान्वयन 8 अक्टूबर से होने जा रहा है। हालांकि इस बदलाव के दौरान कर अधिकारियों और करदाताओं दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

सीमित जांच के तहत करदाता को उसी लेनेदेन की खास जानकारी देनी होगी, जिसके बारे में पूछताछ की गई है। इसके उलट पूर्ण जांच के मामले में किसी व्यक्ति को वे सभी सूचनाएं देनी होती हैं, जो कर रिटर्न के आॅडिट के लिए जरूरी समझी जाती हैं। करदाताओं को जांच के सिलसिले में जो नोटिस भेजे जाते हैं, उनकी दो श्रेणियां होती हैं।

औसतन हरेक साल कुल करदाताओं में 1 प्रतिशत या करीब
5.5 करोड़ की जांच होती है। इनमें 30,000 से 40,000 करदाताओं की सीमित जांच होगी। एक अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) अगले महीने के शुरू में अधिसूचना जारी कर सकता है। हालांकि जांच प्रणाली को नई शक्ल देने वाली यह नई प्रणाली पूरी तरह तैयार नहीं दिख रही है। कर विभाग में सूत्रों ने कहा कि इस प्रणाली के परीक्षण के दौरान उन्हें उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं नहीं मिली हैं। सूत्रों के अनुसार उपयुक्त ढांचे का अभाव और जमीनी स्तर पर शुरूआती समस्याएं इसके लिए जिम्मेदार ठहराई जा सकती हैं।

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि प्रणाली में इतनी बड़ी तादाद में खाते अपलोड करना और राजस्व ऑडिट , जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) सभी कर समीक्षा की फिजिकल काॅपी मांगता है, से क्रियान्वयन के मोर्चे पर चुनौती पेश आ रही है। अधिकारी ने कहा, ‘ इलेक्ट्राॅनिक जांच में काफी चुनौतियां रही हैं और नए प्रारूप के साथ समस्याएं और बढ़ जाएंगी। कुछ माामलों में करदाता जानबूझकर कर मामला लंबा खींचते हैं, जबकि कुछ अवैध प्रति अपलोड कर देते हैं। राजस्व ऑडिट एक दूसरी अहम समस्या है, जो फेसलेस असेसमेंट के उद्देश्य पर पानी फेर देती है।’

जानकारों का भी मानना है कि व्यक्तिगत करदाताओं के मामलें में कई दिक्कतें पेश नहीं आ सकती हैं, लेकिन कंपनियों के मामले में कर कानूनों की व्याख्या के कारण व्यावहारिक स्तर पर बातचीत की जरूरत होती है। माना जा रहा है कि आय कर विभाग इस प्रणाली पर गहन विमर्श कर रहा है और आसान क्रियान्वयन के लिए भी जांच आदि का काम जारी है।

सूत्रों ने कहा कि सीएजी ऑडिट का मुद्दा आय कर विभाग ने उठाया है और बीच का रास्ता तलाशने की कोशिश की जा रही है। अधिकारी ने कहा, ‘इस मकसद के लिए अलग से एक यूजरनेम और पासवर्ड बनाए जा सकते हैं, जिनके माध्यम से
ऑडिटर सभी जांच की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे।’

इसके अलावा कर विभाग ने इलेक्ट्राॅनिक विधियों पर भी काम शुरू कर दिया है। इसमें जानकारी खुलासा करने की जरूरत होने पर भी करदाताओं की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

  • करदाताओं के खातों के लिए आवश्यक ढांचा पूरी तरह नहीं तैयार
  • सीएजी द्वारा राजस्व ऑडिट के लिए जांच की जानकारी फिजिकल फाॅर्मेट में देनी होती है जरूरी
  • कर विभाग द्वारा जानकारी हासिल करने के लिए एक पृथक खाता तैयार करने की कवायद जारी
  • नई प्रणाली के बाद कंपनियों द्वारा कर कानूनों पर शुरू हो सकती है माथापच्ची
  • नई प्रणाली 18 कर क्षेत्रों में होगी लागू