कर सुधार और राहत की उम्मीद

कर सुधार और राहत की उम्मीद


केंद्र सरकार को आर्थिक सुधार के लिए जो सुझाव दिए जा रहे हैं, उनमें एक सुझाव यह भी है कि राजकोषीय चिंता को दरकिनार कर लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है। इसी दिशा में आयकर राहत भी जरूरी है। इससे उद्योग-कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

यदि हम आयकर संबंधी आंकड़ों का अध्ययन करें, तो पाते हैं कि वेतनभोगियों ने पिछले वित्त वर्ष में औसतन 76,306 रुपये का कर चुकाया था, जबकि पेशेवर और कारोबारी करदाताओं के मामले में यह औसतन 25,753 रुपये था। इतना ही नहीं, वेतनभोगियों का कुल कर संग्रह का आकार पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं द्वारा चुकाए गए कर का करीब तीन गुना था। ऐसे में, वेतनभोगी वर्ग को आयकर में राहत देना न्यायसंगत है।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के कारण वित्त वर्ष 2016-17 के लिए रिटर्न दाखिल करने वालों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है। नोटबंदी के कारण कालाधन जमा करने वाले लोगों में घबराहट बढ़ी है। आयकरदाताओं की संख्या 2016-17 में 6.26 करोड़ पर पहुंच गई, जो 2015-16 की तुलना में 23 फीसदी अधिक थी। वर्ष 2017-18 में आयकरदाताओं की संख्या और बढ़कर 7.4 करोड़ हो गई।

नए आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए। नोटबंदी व कर प्रशासन द्वारा डाटा विश्लेषण से मालूम हुआ है कि बड़ी संख्या में लोग अपनी आय छिपाते रहे हैं, आवश्यक आयकर भुगतान में बेईमानी करते रहे हैं। लोगों को उम्मीद है, आयकर क्षेत्र में राहत और ईमानदारी बढ़ाने के लिए सरकार ठोस पहल करेगी।