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बगैर एनओसी उद्योगों को भूजल दोहन की अनुमति नहीं

उद्योगों द्वारा किए जा रहे भूजल दोहन के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 14 फरवरी को दिए गए आदेश से प्रदेश में बड़ा औद्योगिक संकट खड़ा होने के आसार हैं। याद रहे कि 31 मार्च 2020 अनापति प्रमाण पत्र लेने के लिए अंतिम तिथि घोषित की गई है।

अंधाधुंध भूजल दोहन के मामले में एनजीटी काफी सख्त रवैया अपनाए हुए है। तीन जनवरी 2019 को जारी एनजीटी के आदेश में कहा गया था कि अति दोहित, क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल क्षेत्रों में बगैर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त किए किसी उद्योग को दोहन की मंजूरी नहीं दी जाए। ऐसे क्षेत्रों में भूजल रेगूलेशन के कड़े उपाय लागू किए जाए।

एनजीटी के सामने यह मामला आया है कि प्रदेश की तमाम इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल एक्ट के तहत संचालन की सहमति तो दे दी है, लेकिन उद्योगों ने भूजल प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। भूगर्भ जल का स्तर लगातार गिरने के चलते राष्ट्रीय हरित अधिकरण लगातार सख्त रूख अपनाए हुए है। उद्योगों के लिए बिना मानक पूरे किए और सभी औपचारिकताओं के बिना ही इस तरह भूजल दोहन की मंजूरी दिए जाने पर एनजीटी के रूख के बाद सरकार भी चेती है।

प्राधिकरण ने बिना एनओसी लिए भूजल दोहन करने वाले उद्योगों से पर्यावरणीय हर्जाना लेेने के आदेश भी दिए हैं। फिर भी किसी उद्योगों से अभी तक हर्जाना नहीं वसूला गया।