मांग घटने से सीमेंट उद्योग की कमजारे हुई बुनियाद

निर्माण गतिविधियों में सुस्ती के कारण सीमेंट कंपनियों को मांग में कमीं का सामना करना पड़ रहा है। पिछली छह तिमाहियों से बिक्री की रफ्तार सबसे कम रही है। हालांकि, अधिक प्राप्तियों और कम लागत से इन कंपनियों को कुछ राहत जरूरत मिली है। मार्च में देश में सीमेंट की मांग मजबूत रही थी, लेकिन तब से इसमें लगातार कमी दर्ज हुई है। सीमेंट कंपनियों ने मई और जून में कीमतें भी बढ़ाई थीं, लेकिन कमजोर मांग के मद्देनजर बढ़ीं कीमतें वापस लेनी पड़ीं। माॅनसून शुरू होने से मांग वैसे ही घट जाती है, ऐसे में फिलहाल कई सीमेंट कंपनियों का कारोबार सुधरने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

चुनाव के दौरान सरकारी व्यय कम रहना मांग में कमी की प्रमुख वजह रही, साथ ही श्रमिकों की कमी, कुछ इलाकों में जल की किल्लत और नकदी की कमी जैसे कारकों से भी मांग प्रभावित हुई। मई में चिलचिलाती गर्मी से देश के उत्तरी भाग में निर्माण गतिविधियों में कमी आई, वहीं दक्षिण हिस्से में पानी की कमी प्रमुख वजह रही।

विश्लेषकों के अनुसार माॅनसून के अंत तक सीमेंट की मांग कमजोर बनी रह सकती है। हालांकि सभी की नजर माॅनसून की प्रगति पर होगी, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में तेजी काफी हद तक इस कारक पर निर्भर करेगी। कंपनियों को दूसरी तिमाही में मांग में सुधार की उम्मीद है। पहली तिमाही में मांग कमजोर रहने दूसरी तिमाही अपेक्षाकृत सुस्त रहने से पूरे वित्त वर्ष के लिए अनुमान घटाया जा रहा है।

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2020 के लिए मांग की दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जबकि इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2019 में 13 प्रतिशत वृद्धि देखी गई थी।