Lockdwon

रियायत के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम सोशल मीडिया पर जारी किया संदेश


कारोबारी और उद्योगपतियों की अपील-काम बंद है, लेकिन कर्मचारियों का वेतन,
बिल, टैक्स चालू, इसलिए मिले राहत


देश में लाॅकडाउन के कारण सारे काम बंद हैं। फैक्टरी, दुकाने और अन्य संस्थानों तक पर ताला लगा है। ऐसे में कारोबारियों औ विभिन्न औद्योगिक संगठनों ने सरकार से राहत की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर संदेश जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से अपील की है कि काम बंद होने के बाद भी कंपनी वालों को कर्मचारियों का भुगतान करना है। इसके साथ ही जीएसटी लग ही रहा है। बिजली के बिल भरना है।

कर्मचारियों की भविष्य निधि और ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) में अंशदान देना है। संपत्ति कर और अन्य तरह के टैक्स भी चालू हैं। हालांकि ईएमआई में राहत मिली है, लेकिन इस पर बैंक बाद में ब्याज वसूलेंगे। इसलिए व्यापारियों, कारोबारियों और उद्योगपतियों को राहत देने के बारे में सोचा जाए।


ये मांगे उठाई हैं संगठनों ने

  • बिजली बिल वास्तविक खर्च यूनिट का ही आए। सरचार्ज आदि माफ किए जाएं। सभी कमर्शियल बिजली बिल तीन महीने के लिए आधे कर दिए जांए।
  •  अगले 12 महीने तक जीएसटी का 50 फीसदी कंपनियां अपने पास ही रखें।
  • अगले छह महीने तक ब्याज नहीं देने की छूट दी जाए।
  •  सभी बैंक और गेर बैंकिग वित्तीय निगम को दी जाने वाली मासिक किस्तें छह महीने के लिए स्थगित की जाएं। देरी पर किसी प्रकार का चार्ज नहीं लगाया जाए।
  • अगले छह महीने तक कर्मचारियों के ईएसआईसी अंशदान का हिस्सा कंपनियों के बजाय सरकार दे।
  • वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सभी व्यापारिक संपत्ति कर आधा कर दिया जाए।

तालाबंदी की स्थिति में उद्योग

सांवेर रोड एवं बरदरी औद्योगिक क्षेत्र के दो हजार से ज्यादा लघु एवं कुटीर उद्योग दोहरी मार झेल रहे हैं। पहले से नोटबंदी और जीएसटी के कारण मंदी के दौर से गुजर रहे इन उद्योगों को 21 दिन के लाॅकडाउन जहां तालांबदी का शिकार होना पड़ रहा है। इन संस्थानों में काम करने वाले 50 हजार से ज्यादा श्रमिकों के सामने भी रोटी का संकट है। सांवरे रोड औद्योगिक संगठन के हरि अग्रवाल, अशोक डांगी ने बताया केंद्र सरकार द्वारा अकसर जो औद्योगिक नीति या पैकेज घोषित किए जाते हैं, वे काॅर्पोरेट सेक्टर के बड़े उद्योगों के लिए ही होते हैं, जबकि सूक्ष्म, लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए इन पैकेज मेें लाभ की कोई गंुजाइश नहीं रहती । वर्तमान में औद्योकिग उत्पादन की दर निरंतर कम होती जा रही है। छोटे उद्योगों में ताले लगे होने से आवक-जावक ठप पड़ी हुई है। मजदूरों को वेतन के अलावा बिजली के बिलों व वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर केंद्र एवं राजय सरकार के नोटिस लगातार मिल रहे हैं। इस हालत में छोटे उद्योगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।