सख्त उपायों के साथ आर्थिक पहिए को चलाने की कोशिश

सख्त उपायों के साथ आर्थिक पहिए को चलाने की कोशिश


लाॅकडाउन-2 के लिए जारी गाइडलाइन की खास बात है कोरोना महामारी के खतरे पर अंकुश पाने के सख्त उपाय के साथ ही देश के आर्थिक पहिए को चलाने का महत्वपूर्ण कदम उठाना। इन कदमों में कृषि संबंधित सभी गतिविधियां शुरू करना, उपज खरीद के लिए मंडियां चालू करना, किसानों की सुविधा के लिए स्थानीय स्तर पर ही राज्य सरकारों द्वारा खरीद के बंदोबस्त करना, मछली, दूध और पाॅल्ट्री उद्योग में उत्पादन और विक्रय सहज करना मुख्य हैं। विनिर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को भी शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। मुख्य शर्त है सामाजिक दूरी और संक्रमण रोकने के लिए स्वच्छता का पूरा अनुपालन। वे लाखों मजदूर जो लाॅकडाउन के दौरान अपने मूल निवास के लिए पलायन करने के प्रयास में आश्रय गृहों या क्वारेंटाइन में दिन काट रहे हैं, उनके लिए फिलहाल कोई राहत नहीं है। इस विस्तृत गाइडलाइन में कहीं भी इन लाखों प्रवासी मजदूरों के लिए किसी भी राहत का जिक्र न होना सरकार की मजबूरी भी है, क्योंकि इन्हें एक ही राहत चाहिए अपने मूल गांव पहुंचना। सकं्रमण का प्रसार देखते हुए इन्हें गांव नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि सरकार अपने 22 दिन के प्रयासों पर पानी नहीं फेरना चाहती। दूसरी ओर, क्वारेंटाइन सेंटर्स में असुविधा और भविष्य की चिंता में इन मजदूरों का क्रोध बढ़ता जा रहा है। बच्चों और महिलाओं की असुविधा को लेकर यह क्रोध रोजाना पुलिस-मजदूर झड़प के रूप में दिख रहा है। बड़े शहरों में ये अधिकांश मजदूर सेवा क्षेत्र में लगे हैं और इन्हें फिलहाल वापस काम पर भेजना नामुमकिन है।