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Single Standard Rate: FM Charts GST Reform Map

Rate maybe fixed between 12% and 18%, when tax revenues increase Our Bureau

Finance minister Arun Jaitley said the goods and services tax (GST) could shift to a single standard rate and lashed out at the Opposition for belittling the reform, urging it to “seriously introspect”.

In a Facebook post, Eighteen Months of the GST, Jatley said the levy was fully in place and that the first set of rate rationalizations was complete with the phasing out of the 28% slab, except luxury and sin goods. GST was rolled out nationwide on July, 2017.

“A future road map could well be to work towards a single standard rates of 12% and 18%,” he said, two days after the GST Council approved more rate cuts. “It could be a rate at some midpoint between the two.”

A committee headed by then chief economic adviser Arvind Subramanian had, ahead of the GST launch, suggested a revenueneutral rate of 15-15.5%.

“The country should eventually have a GST which will have only slabs of zero, 5% and standard rate with luxury and sin goods as an exeption,” Jaitley wrote, cautioning that this will “take some reasonable time when the tax will rise significantly”. He listed the next important steps for GST, which Jaitley said has been at the end of ill-informed and motivated criticism.

Courtesy: Business Standard

12 और 18 फीसदी को मिलाकर एक दर होगी

कई वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटाने के दो दिन बाद वित्त मंत्री और जीएसटी परिशद के अध्यक्ष अरुण जेटली ने संकेत दिया कि कई और वस्तुओं को 28 फीसदी की श्रेणी से हटाया जा सकता है और 12 फीसदी तथा 18 फीसदी की दर का विलय करके एकल मानक दर बनाई जा सकती है।

जेटली ने साथ ही कहा कि जीएसटी राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के बाद एकल मानक दर बनाने में कुछ समय लगेगा। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसके दौर में देश में अप्रत्यक्ष कर की दर 31 फीसदी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि मानक दर इस बात का निर्धारण करने में अहम होगी कि इस कदम से उद्योग को मदद मिलेगी या नहीं।

जेटली ने कहा, ‘28 फीसदी की श्रेणी अब समाप्ति के कगार पर है।‘ अब विलासिता और अहितकार सामान, वाहनों के कलपुर्जे, डिशवाशर, एयरकंडीशनर और सीमेंट ही इस श्रेणी में रह गए हैं। वित्तमंत्री ने अपने फेसबुक पोस्ट ‘जीएसटी के 18 महीने’ पर कहा, ‘जीएसटी अपनाने की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही हम दरों को व्यावहारिक बनाने के पहले दौर को पूरा करने के करीब पहंुच गए हैं। यानी विलासिता और अहितकारी वस्तुओं को छोड़कर हम बाकी वस्तुओं को 28 फिसदी की श्रेणी से निकाल रहे हैं।’

28 फीसदी की श्रेणी में शामिल सामान में केवल सीमेंट और वाहनों के कलपुर्जांे का ही आम आदमी इस्तेमाल करता है। इन पर जीएसटी की दर में पिछली बैठक में कटौती नहीं की जा गई क्योंकि इससे राजस्व पर 330 अरब रुपये का बोझ पड़ता। सीमेंट को इस श्रेणी से बाहर निकालने पर सरकारी खजाने पर 130 अरब रुपये का बोझ पड़ेगा जबकि वाहनों के कलपुर्जों के हटने से 200 अरब रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।

जेटली ने कहा कि उनकी अगली प्राथमिकता सीमेंट को इस श्रेणी से निचली श्रेणी में डालने की होगी। उन्होंने कहा, ‘बाकी सभी भवन सामग्री को पहले ही 28 फीसदी से हटाकर 18 फिसदी श्रेणी में डाल दिया गया है। 28 फीसदी की श्रेणी का सूर्य अस्त हो रहा है।’ भविष्य में 12 फीसदी और 18 फीसदी के बजाय एकल मानक दर बनाने की दिशा में काम किया जा सकता है। जेटली ने कहा, ‘यह दर इन दो दरों के बीच कहीं हो सकती है। जाहिर है कि इसमें कुछ समय लगेगा जब कर संग्रह में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। अंत में देश में मानक दर हो जिसमें विलासिता और अहितकारी वस्तुएं अपवाद होंगी।’

  • 1.28 फीसदी कर श्रेणी में शामिल वस्तुओं की संख्या और होगी कम
  • सीमेंट को कम दायरे वाले कर श्रेणी में लाने पर हो रहा विचार
  • 12 और 18 फीसदी की जगह एकल मानक दर बनाने की

ईवाई इंडिया में पार्टनर अभिशेक जैन ने कहा कि जीएसटी को सरल बनाने की दिशा में यह अच्छा कदम होगा लेकिन असली मुद्दा मानक दर होगी। उन्होंने कहा, ‘इसका एक अहम पहलू यह होगा कि बीच की दर क्या होगी। जब 12 फीसदी वाली वस्तुओं को उसमें शामिल किया जाएगा तो इसका उद्योग और उपभोक्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।’

हाल में ही जीएसटी परिशद ने 17 वस्तुओं और छह सेवाओं पर कर की दर में कटौती की थी। इनमें सिनेमा टिकट, सामान ढोने वाले वाहनों पर थर्ड पार्टी बीमा किस्त, 32 इंच तक के टीवी, डिजिटल कैमरे से लेकर फ्रोजन सब्जियां शामिल हैं।

सौजन्य: बिज़नेस स्टैडंर्ड