Arun goenka

चीन वाले बिजनेस में ईमानदार नहीं है, माल बालते कुछ है, भेजते कुछ और है


इन दिनों एक आम धारणा चल रही है कि चीन के माल का बहिष्कार किया जाए। इससे भारत के उद्योग खासतौर पर प्लाइवुड को क्या क्या दिक्कत आ सकती है। टॉक टू इंडस्ट्रिलिस्ट सीरिज में इस बार इसी विषय पर श्री अरुण गोयनका से चर्चा की गई। पेश है उनकी बातचीत के मुख्य अंश।

चाइना के माल को लेकर एक धारण बन रही है कि वहां के माल का बहिष्कार होना चाहिए ? आप इससे कितना सहमत है

यह तो सही ही होगा। क्योंकि चाइना से माल मंगाने में बहुत सी दिक्कत है। वहां के निर्यातक ईमानदारी से काम नहीं करते। माल दिखाते कुछ और है, भेजते कुछ और है। जो एक बार वहां इस तरह से फंस चुका होता है, वह दोबारा वहां से माल नहीं मंगाता। चाइना से इंपोर्ट अब कम होगा ही । इसमें मुझे किसी भी तरह का संदेह नहीं लगता। टीक विनियर बर्मा और चाइना में बनता है। चीन में भी अपना टिंबर तो नहीं है, वह बर्मा से चोरी की लकड़ी मंगवाते हैं। इसलिए उन्हें वह सस्ता भी पड़ जाता है। इसलिए उनके रेट भी कम रहते हैं। हम बर्मा से लकड़ी नहीं मंगाते। वहां से लकड़ी मंगाना महंगा पड़ता है। इसलिए हम स्थानीय बाजार पर ही मुख्य रूप से निर्भर कर रहे हैं।

टीक विनियर का मार्केट बढ़ रहा है ?

पहले थोड़ा रुझान अधिक था ।लेमिनेट पर ज्यादा मार्केट चला गया है। कुछ वापस टीक विनियर पर आ गया है। टीक में जो भी कलर चाहिए वह यहां तैयार कर लिया जाता है। विनियर लेकर इस पर पॉलिश कर ली जाती है। जिन लोगों की रुचि टिक विनीयर पर बनी हुई है,वो किसी और प्रोडक्ट्स पर नहीं जाएंगे।

लॉकडाउन के बाद क्या हालात है

धीरे धीरे चीजे सामान्य हो रही है। लेकिन लगता नहीं कि ज्यादा उठान आएगा। हां ऐसा लगता है कि सामान्य काम कमोबेश चलतेरहेंगे। पूराने काम चालू हो गए हैं। वह तो पूरे होंगे ही। नया काम नहीं आ रहा है। लग रहा है कि समय खासा खराब हो सकता है। थर्ड क्वार्टर में भी हालत सुधरने वाले नहीं है। २०१९-२० की लास्ट क्वार्टर वाली स्थिति में भी थर्ड क्वार्टर में आ पाएंगे इस बारे में संशय है।

प्लाइउड से संबंधित माल के इंपोर्ट में क्या फर्क पड़ेगा?

हां पड़ेगा। क्योंकि अभी कोई इंपोर्ट का माल लेना नहीं चाह रहा है। निर्यात बढ़ने की जरूर उम्मीद है। अमेरिका अब चीन का माल नहीं लेगा। इसलिए अमेरिका में नये बाजार की संभावना है। हमारी भी इस बारे में बातचीत चल रही है। आशा है कि हमें निर्यात में नयी मार्केट में इन्ट्री करने में सफलता मिलेगी।

क्या सिर्फ निर्यात ही करने की संभावना नहीं बनती

देखिए हर चीज तो निर्यात नहीं हो सकती। इसलिए आपको स्थानीय बाजार में भी माल देना होगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी माल देना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे ग्राहकों को एएए ग्रेड का माल ही भेजना होता था। हां अब थोड़ा सा बदलाव आया है कि वह एए ग्रेड का माल भी स्वीकार कर लेते हैं। पहले वह इस गुणवत्ता को लेकर ज्यादा संजीदा थे। अब प्रर्यावरण को देखते हुए उनकी सोच में बदलाव आया है।

निर्यात का प्रतिशत कितना होता है

फिफ्टी फिफ्टी आप समझ लिजिये। अभी भी 0.5 से 1.0 तक की मोटाई का टीक विनीयर निर्यात होता है। स्थानीय मार्केट में अधिकांश तौर पर 0.3 का विनीयर ही चलता है। लेकिन हमारे स्थानिय ग्राहकों में भी कुछ की पसंद मोटे थीकनेस की है। इसलिए भी हमें निर्यात और स्थानीय मार्केट के लिए अलग-अलग ही विनीयर बनाना पड़ता है।