FICCI chief Sangita Reddy

At least R1.5-2 trn capital infusion is needed:
FICCI chief Sangita Reddy


What measures have Ficci suggested to the government to get the economy out of the consumption slump?

Our foreign exchange reserves are among the highest and our fiscal deficit is under control. The large numbers show there is room for some bold steps. The first of those should be to infuse at least s1.5 – 2 trillion into the economy to boost consumption, which will spur investment in the production cycle.

But won’t ratings agencies cut sovereign ratings if the fiscal deficit widens?

Our ratings can be maintained if hand-in-hand with the infusion of capital comes a significant well-articulated disinvestment plan. If there’s a time-bound plan to raise s 3-5 trillion through disinvestment, which is more than adequate to cover the spending, it won’t affect the ratings.

Manufacturing output had shrunk multiple times over the past few months? How can be arrested?

More clusters should be created since raw material production, manufacturing, and port access are in different places now.

Countries like Bangladesh have reduced this gap and brought down transport logistic costs. Also, we need to be very cognizant of the fact that many of our industries have a very limited competitive advantage — neither land, nor labour cost, nor logistics. We only have the power of the Indian entrepreneur and India’s market size. But in the industries of the future, there is almost a level playing field. Pushing into areas like robotics, 3D printing, and artificial intelligence will bear significant fruits. With a focus on the environment, the world is also moving into conservation, waste processing, water management, and green energy. There should be more focus on these areas not only by industry, but also the government.

What changes in policy can be implemented to attract more private participation in agriculture?

People believe that with time, agriculture’s contribution to GDP will go down and that the number of people working in agriculture will also reduce, down from the current 53 per cent. But in India, agriculture’s share of the workforce will always be above 25-30 per cent, if we do it right. So food processing, improved warehousing, and a focus on exports are needed. We have discussed a plan to create cooperatives with common warehousing and processing facilities, which may be 51 per cent owned by a private entity so that investments and marketing help flows easier. Production of oilseeds, groundnuts, flowers. and even coffee or tea can be boosted this way.

अर्थव्यवस्था में 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये डालने की जरूरत

फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर आफ काॅमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष संगीता रेड्डी

खपत में आई मौजूदा गिरावट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार को फिक्की ने क्या सुझाव दिया है?

हमारा विदेशी मुद्रा भंडार इस समय सबसे ज्यादा है। हमारा राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है। तमाम आंकड़े मंदी दिखा रहे हैं, जिसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसमें पहला यह हो सकता है कि अर्थव्यवस्था में कम से कम 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये डाला जाए, जिससे खपत को बढ़ावा मिले। इससे उत्पादन चक्र में निवेश में तेजी आएगी।

अगर राजकोषीय घाटा बढ़ता है तो क्या रेटिंग एजेंसियां साॅवरिन रेटिंग नहीं घटाएंगी?

रेटिंग को बरकरार रखा जा सकता है अगर पूंजी लगाया जाए। हम विनिवेश योजना लागू कर धन वापस पाया जा सकता है। अगर 3 से 5 लाख करोड़ रुपये विनिवेश के माध्यम से जुटाने की समयबद्ध योजना बनाई जाए तो यह व्यय जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से पर्याप्त होगा। ऐसा होने पर रेटिंग पर कोई असर नहीं होगा।

विनिर्माण आउटपुट पिछले कुछ महीनों में कई बार कम हुआ है। यह गिरावट कैसे रोकी जा सकती है?

ज्यादा क्लस्टर बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि अभी कच्चे माल का उत्पादन, विनिर्माण व पोर्ट अलग अलग जगहों पर हैं। बांग्लादेश जैसे देशों ने यह खाईं कम की है और परिवहन लाॅजिस्टिक्स लागत कम किया है। साथ ही हमें इसे लेकर भी सचेत होने की जरूरत है कि हमारे तमाम उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सीमित लाभ है चाहे वह जमीन का मसला हो, श्रम की लागत हो या लाॅजिस्टिक्स का मसला हो। हमारे पास सिर्फ भारत के उद्यमियों और भारत के बाजार के आकार की ताकत है। अगर रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग और कृत्रिम मेधा पर जोर दिया जाए तो वह यह भविष्य के लिए बहुत अहम होगा। पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ विश्व कचरा प्रबंधन, संरक्षण, जल प्रबंधन और हरित ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है। ऐसे में उद्योग और साथ ही सरकार की ओर से ऐसे क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

कृषि में निजी क्षेत्र की भागीदारी आकर्षित करने के लिए किस तरह के नीतिगत बदलाव की जरूरत है?

लोगों का मानना है कि समय बीतने के साथ जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी कम होनी चाहिए। कृषि क्षेत्र में लगे लोगों की संख्या भी मौजूदा 53 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। लेकिन भारत में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 25-30 प्रतिशत हो सकते हैं, अगर हम सही दिशा मंे कदम उठाएं। खाद्य प्रसंस्करण, गोदामों की स्थिति में सुधार और निर्यात पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।