Developers struggle for funds, prices crash, buyers wait

 

 

 

Developers are worried about their loans. They want to sell, but buyers are in no mood to purchase,”

“There are good opportunities to buy now. But it is felt that prices will correct further,”

Faced with no movement in sales in the past three-odd months due to lockdown and Covid-19-related issues, property developers are resorting to price cuts.

It is oversupply which is forcing developers to slash prices.

Active sanctioned loans to the Indian real estate stand at Rs 8.1 trillion; Rs 1.2 trillion worth of loans were sanctioned to developers in 2019-20.

HDFC Chairman Deepak Parekh said in April this year that property developers should be prepared for up to 20 per cent fall in housing prices, and must create liquidity by selling their inventory at whatever prices they get.

Union Minister Piyush Goyal echoed Parekh’s views later. Goyal asked developers to reduce prices and sell their inventories rather than wait for the market to bounce back. “Unless you reduce your rates, you will be stuck with inventories. You can be stuck with that and default or get rid of whatever you quoted at high prices. Consider it a bad decision and move ahead,” he said. Local brokers already see prices crashing.

All developers have cut prices. If you make full payment, there will be further discounts,” says a prominent broker.

“No one will make buyers unhappy due to prices,”.

Many say the price cuts are desperate attempts by developers to generate sales which were subdued for the past five-six years due to inflated prices.

“This is a buyer’s market. Developers are ready to do anything. There is complete deadlock. There are no sales, no transactions, no registrations,”. “The situation is worsening. Nobody knows what is happening,”.

However, big national developers do not agree that prices have crashed. “The day prices come down 20 per cent, it means buyers will not be able to afford it. This means gross domestic product is low, job insecurity is high, inflation and interest rates are also low. The food chain is disturbed,” says Sanjay Dutt, managing director and chief executive officer, Tata Realty & Infrastructure.



रकम का पड़ा टोटा तो रियल्टी का भाव टूटा


डेवलपर परियोजनाओं के वास्ते लिए गए कर्ज के बोझ से परेशान हैं और मांग में सुस्ती देखकर वे कम कीमतों पर भी मकान-दुकान बेचने को तैयार हो गए हैं। मुश्किल यह है कि दाम इतने गिराने के बाद भी खरीदार उन्हें पूछ नहीं रहे हैं। रियल एस्टेट संपत्ति खरीदने के लिहाज से यह अच्छा वक्त है मगर लगता नहीं है कि कीमतों में गिरावट थमेगी। अभी दाम और कम होंगे।

कोविड-19 महामारी और लाॅकडाउन के कारण पिछले तीन महीने से रियल्टी बिक्री ठप ही पड़ी है।

पिछले करीब दस साल में रियल्टी में इतनी बड़ी गिरावट शायद नहीं आई। ब्रोकर बताते हैं कि डेवलपर कर्ज से दबे पड़े हैं। ज्यादा मकान होने की वजह से कीमतें घटाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। इस वक्त देसी रियल एस्टेट पर 8ण्1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज चल रहा है और पिछले वित्त वर्ष में ही 1.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज मंजूर किए गए हैं।

एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने इसी अप्रैल में कहा था कि डेवलपरों को मकानों की कीमतों में 20 फीसदी तक कमी के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने डेवलपरों को ग्राहकों की पसंद की कीमत पर मकान बेचकर नकदी हासिल करने की सलाह भी दी थी। केंद्रीय मंत्री पीयूश गोयल की भी यही राय थी। उन्होंने डेवलपरों से बाजार सुधरने का इंतजार करने के बजाय कीमत घटाने और मकान बेचने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था, ‘जब तक आप कीमता नहीं घटाते, आपकी संपत्ति बिना बिके पड़ी रहेगी। आप हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहिए और कर्ज चुकाने में चूक कर जाइए या जो कीमत मिले, उस पर बेच दीजिए।’
ब्रोकरों की कीमत घटती दिख रही हैं। सभी डेवलपर कीमत घटा चुके हैं। अगर आप पूरी रकम फौरन दें तो और भी छूट मिल सकती है। केवल कीमत की वजह से ग्राहक को नाखुश कोई नहीं करेगा।

कई ब्रोकर मानते हैं कि बढ़ी हुई कीमतों की वजह से पिछले पांच-छह साल से रियल्टी को कम ग्राहक मिल रहे हैं। इसी से परेशान होकर और बिक्री बढ़ाने के लिए डेवलर कीमत कर रहे हैं। प्र्रमुख कंसल्टेंट ने कहा, ‘इस समय बाजार ग्राहक के इशारे पर चल रहा है। डेवलपर कुछ भी करने को तैयार हैं। सब कुछ ठप पड़ा है। बिक्री नहीं हो रही, सौदे नहीं हो रहे और रजिस्ट्री भी नहीं हो रहीं। हालत बिगड़ती जा रही है। किसी को नहीं पता कि हो क्या रहा है।’ बहरहाल देश भर में पैठ वाले बड़े रियल्टर ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्य अधिकारी संजय दत्त ने कहा, ‘जिस दिन रियल एस्टेट की कीमतें 20 फिसदी नीचे आएं, समझ लीजिए कि ग्राहक उन्हें खरीद ही नहीं पाएंगे। उसका मतलब होगा कि जीडीपी कम है, रोजगार में बड़ी असुरक्षा है और महंगाई है और ब्याज दरें कम हैं।’