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FRI को मिली यमुना बेसिन को हरा-भरा करने की जिम्मेदारी

यमुना बेसिन को हरा-भरा करने की जिम्मेदारी वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) निभाएगा। केंद्र के निर्देश पर इंडियन काउंसिल ऑफ़ फोरेस्ट रिसर्च एजूकेशन (आईसीएफआरई) ने एफआराआई को यह जिम्मेदारी दी है।

FRI को मिली यमुना बेसिन को हरा-भरा करने की जिम्मेदारी
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संस्थान यमुना बेसिन में आने वाले उत्तराखंड के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी काम करेगा। इसके साथ ही देश के आठ अलग रिवर बेसिन के संबंध में कांसेप्ट नोट (पूरी योजना का खाका) तैयार करने की जिम्मेदारी अन्य संस्थानों को दी गई है।

नमामि गंगे परियोजना की डीपीआर तैयार करने के साथ ही केंद्र ने यमुना बेसिन के लिए भी एफआरआई से कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा था। लेकिन इस पर काम शुरू हो सका। बाद में नमामि यमुने परियोजना शुरू करने के लिए केंद्र ने हामी भरी, लेकिन परियोजना पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब यमुना के लिए अलग से कार्ययोजना तैयार करने के लिए कांसेप्ट नोट तैयार किया जा रहा है।

नमामि गंगे के बाद यमुना की परियोजना को अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।  एफआरआई कांसेप्ट नोट तैयार करके आईसीएफआरई को देगी। इसके बाद केंद्र इस पर परियोजना पर अंतिम मोहर लगाएगा।

यमुना बेसिन के अलावा कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, ब्रहमपुत्र, नर्मदा, महानदी, लूना और सिंध (इंडस) नदी बेसिन का भी कांसेप्ट नोट तैयार किया जाना है। कृष्णा का कांसेप्ट नोट इंस्टीट्यूट ऑफ़ वुड्स साइंस एंड टेक्नोलाॅजी बंगलुरू, कावेरी का इंस्टीट्यूट ऑफ़ फोरेस्ट डायवर्सिटी हैदाराबाद, ब्रहमपुत्र का रेन फोरेस्ट इंस्टीट्यूट जोरहाट असम, नर्मदा का ट्रोपिकल फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जबलपूर, महानदी का इंस्टीट्यूट आफ फोरेस्ट प्रोडक्टीविटी रांची और सिंधु नदी बेसिन का कांसेप्ट नोट एडेड फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जोधपुर तैयार करेगा।

सौजन्यः अमर उजाला