Durga Maa Navratri

नवरात्रि
मां दुर्गा के नौ स्वरूप

 रोग-शक्ति का विनाश करतीं मां शैलपुत्री
मां दुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ इनकी पूजा की जाती है।

अडिगता का संदेश देतीं मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्र के दूसरे दिन भक्त ध्यानमग्न होकर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। देवी ब्रह्मचारिणी तप की शक्ति का प्रतीक है। मां का यह स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला कहा गया है।

साहस और शक्ति की देवी मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा सच्चे और एकाग्र भक्त को बहुत जल्दी फल देती हैं और उनके कष्टों को निवारण तुरंत करती हैं। इनकी उपासना से विनम्रता का विकास होता है।

प्राणशक्ति देतीं मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा का निवास सूर्यलोक में है। उस लोक में निवास करने की शक्ति और क्षमता केवल उनमें ही है। उनके स्वरूप का तेज और कांति सूर्य के समान है।

मोक्ष प्रदाता हैं मां स्कंदमाता
पौराणिक मान्यतानुसार, देवी का यह रूप इच्छा, ज्ञान और क्रियाशक्ति का समागम हैं। जब ब्रह्मांड में व्याप्त शिव तत्व का मिलन त्रिशक्ति के साथ होता है, तो स्कंद का जन्म होता है।

तेज और प्रताप बढ़ातीं मां कात्यायनी
मां कात्यायनी की उपासना करने वाले भक्त बड़ी सहजता से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, इन चारों पुरूषार्थों को प्राप्त कर लेते हैं।

ग्रह-बाधा दूर करने वाली मां कालरात्रि
मां कालरात्रि का स्वरूप भयानक होने के बावजूद भी वह शुभ फल देने वाली देवी हैं। मां कालरात्रि नकारात्मक, तामसी और राक्षसी प्रवृतियों का विनाश कर भक्तों को दानव, दैत्य आदि से अभय प्रदान करती हैं।

सुख-संपन्नता प्रदाता मां महागौरी
महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके एक हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है, तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। तीसरा हाथ वरमुद्रा में है और चैथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता है।

सिद्धियां प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री
सिद्धिदात्री देवी उन सभी भक्तों को महाविद्याओं की अष्ट सिद्धियां प्रदान करती हैं, जो सच्चे मन और विधि-विधान से मां की आराधना करते हैं। इससे उन्हें यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।