प्लाईबोर्ड इंडस्ट्री में फर्जी ट्रेडिंग कंपनियों के सहारे चल रहा है टैक्स चोरी का धंधा
- March 7, 2019
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प्लाईबोर्ड इंडस्ट्री में फर्जी ट्रेडिंग कंपनियों के सहारे चल रहा है टैक्स चोरी का धंधा
- फर्जी फर्मे दिल्ली हिसार से कागजों में मंगा रही है प्लाईबोर्ड, जबकि लोकल मैन्यूफेक्चर्ड माल को फर्में जारी कर रहे है ई वे बिल
- टैक्स एजेंसियों के हाथ लगे पुख्ता सबूत, जांच जारी
प्लाईबोर्ड हब कहे जाने वाले व पूरे देश को प्लाईबोर्ड करने वाले यमुनानगर जिले में बीते एक साल से भारी संख्या में प्लाईबोर्ड दिल्ली व अन्य जगहों से आ रहा है, आप मानने को तैयार हो न हों, लेकिन कागजों में ऐसा हो रहा है। टैक्स एजेंसियों के हाथ इस तरह के कई सबूत लगे है और यह पूरा खेल टैक्स चोरी व जीएसटी कानून को ठेंगा दिखाने के लिए खेला जा रहा है। यमुनानगर की सबसे बड़ी इंडस्ट्री प्लाईबोर्ड में जीएसटी को ठेंगा दिखाते हुए फर्जी बिलों से माल सप्लाई का काम हो रहा है। टैक्स एजेंसियों की जांच में उसकी परतें खुलने लगी है, हालांकि अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है, मगर एजेंसियों के हाथ बड़े पुख्ता सबूत लगने की खबर हैं।
जीएसटी में फर्जी कंपनियां रजिस्टर्ड करवा कर उसके माध्यम से माल की सप्लाई के कई टैक्स एजेंसियों के हाथ लग चुके हैं। यह कंपनियां केवल फर्जी बिल व ई वे बिल देने का काम कर रही हैं। इस पूरे खेल के तार दिल्ली, गुड़गांव, हिसार, यमुनानगर, रोहतक जैसे एरिया से जुड़े हुए हैं। फर्जी फर्मे करोड़ों के माल की सप्लाई कर अपनी टैक्स रिटर्न निल दिखा रही है। वहीं बिना ई वे बिल के भी लाखों रुपये का माल दिल्ली तक भेजा रहा है।
ट्रांसपोर्ट माफिया का बड़ा रोल
इस खेल में ट्रांसपोर्ट माफिया भी शामिल है जो केवल माल के ट्रांसपोर्टेशन के चार्जेज ही नहीं लेता, बल्कि इस बात की गारंटी लेता है कि बिना ई वे बिल के वह माल खरीददार तक पहुंचा देगा इसकी एवज में प्रति किवंटल के हिसाब से अलग से चार्जिज लेता है, यानी फैक्टरी से निकला बिना ई वे बिल का माल जब तक मंजिल तक नहीं पहंुचता, रास्ते में होने वाले किसी नुकसान हर्जाने का जिम्मेदार उक्त ट्रांसपोर्टर होगा। अब ऐसे में फैक्टरी संचालक को पूरा टैक्स बचाने का मौका मिल जाता है। दूसरे राज्यों में काम करने वाले ट्रांसपोर्टर अब यमुनानगर में इस तरह हा काम अंजाम देने का प्रयास करने लगे थे, मगर सैंट्रल जीएससी जिस प्रकार कार्रवाई कर रही है उससे लगता नहीं है उनकी अब ज्यादा दाल गलने वाली है।
हर रोज करोड़ों को माल बिना ईवे बिल या फर्जी बिल और ई वे बिल के माध्यम से जिला हीं नहीं राज्य के पार भेजा जा रहा है। ऐसा ही एक ताजा मामला सैंट्रल जीएसटी डिपार्टमेंट ने पकड़ा है जिसमें आठ से दस लाख रुपये का प्लाईबोर्ड बिना ईवे बिल के माध्यम से ले जाया जा रहा था। रुटीन चैंकिंग के दौरान सैंट्रल जीएसटी अधिकारियों ने जब ट्रक की चेंकिंग की तो पाया उसके पास ई वे बिल नहीं है, सूत्रों का कहना है कि अभी इसकी जांच जारी है।
वहीं बताया जा रहा है कि कई फर्मों के रिकार्ड भी विभागीय अधिकारियों के हाथ लग चुके हैं। इसमें एक फर्म की जांच के दौरान पाया गया कि जिस मकान नंबर पर फर्म ने आफिस बना रखा है और बिल व ई वे बिल जारी किए वहां पर केवल खाली प्लाट है रेजीडंेशियल एरिया में जब फर्म के आफिस की जगह खाली प्लाट मिला तो विभाग के अधिकारियों ने अब उसकी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी, उसमें कई बड़ी चीजें सामने आई उसके आधार पर जब जांच को आगे बढ़ाया गया तो कई अन्य फर्मों में इस तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं।
देश भर प्लाईबोर्ड उत्पादन में अपना अलग स्थान रखने वाले जिले में दिल्ली से आ रहा है प्लाईबोर्ड
इन फर्मों के माध्यम से जो खेला जा रहा है उसमें एक मजेदार खुलासा हुआ है जो इंडस्ट्री पूरे देश में प्लाईबोर्ड को सप्लाई कर रही है वह अब प्लाईबोर्ड का खरीदार बनता जा रहा है। यह अपने आप में चैंकाने वाली बात है जबकि सच्चाई यह है न तो माल आ रहा है न ही उसे बेचा जा रहा है केवल दिल्ली व अन्य जगह से फर्जी फर्मों के सहारे ई वे बिल मंगाए जाते हैं उसके बाद यहां पर उस बिल को लेने वाली फर्म किसी फैक्टरी से निकलने वाले दो नंबर के माल को अपना बिल वे ई वे बिल जारी कर देती है यानी कि माल बेचने वाली फैक्टरी क पूरी टेंशन खत्म। कागजों में तो माल दिल्ली से आया उसे आगे बेचा गया। टैक्स चोरी का पूरा खेल इस माध्यम से खेला जा रहा है । जीएसटी पर विभाग कितने सिर-पैर मार ले ऐसे टैक्स चोरी को पकड़ना आसान नहीं है। मगर फिर भी जब जांच गहराई तक गई तो सारी परतें अपने आप खुलने लगीं मामला इंटरस्टेट होने की वजह से एजेंसियों को कार्रवाइ्र में कुछ समय लग रहा है।
ऐसा ही एक अन्य मामले में जांच चल रही है कि उसमें शहर की एक फर्म ने अपना अधिकार प्लाईबोर्ड हिसार से मंगाया, हिसार में फर्म ने उसको माल सप्लाई किया उसका भी यमुनानगर की इस फर्म के अलावा कोई अन्य खरीदार नहीं, उस फर्म ने दिल्ली, गुड़गांव से माल मंगाया वहां पर उन फर्मों का रिकार्ड जांचा गया तो उनकी भी हिसार की उन दो तीन फर्मों के अलावा कोई खरीदार नहीं, यानी सीधा मतलब यह ही कि क्या इतनी दूर बैठी ट्रेडिंग फर्म क्या एक या दो कस्टमर के सहारे ही अपना बिजनेस चला रही हैं। इस मामले की भी तह तक जांच हो रही है। हालांकि इस बारे में विभागीय अधिकारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है, मगर सूत्र बताते हैं कि इतने व्यापक पैमाने पर टैक्स चोरी के मामले सामने आ रहे हैं कि अगर विभाग कोई कार्रवाई करता है तो पूरी इंडस्ट्री में हाहाकार मच जाएगी।
फर्जीवाड़े के इस खेल में जहां टैक्स चोरी करने वाली फर्मे चांदी कूट रही है वहीं ईमानदारी से काम करने वाली फर्मों के लिए मार्किट में काम करना मुश्किल हो रहा है।
एक अन्य फर्म का मामला जो पिछले दिनों सुर्खियों में आ गया था जिसमें एक फर्म ने कई फर्जी ई वे बिल जारी किए, लेकिन रिर्टन फाइल नहीं की जिसकी शिकायत स्टेट जीएसटी ने पुलिस में की थी। उस मामले में एक अन्य बात जो सामने आ रही है कि जिन गाड़ियों के नंबर से ई वे बिल यमुनानगर से जारी किए उस समय उन गाड़ियों की जीपीएस लोकेशन गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि एरिया की बताई जा रही है। यानी जो गाड़ियां शहर में थी ही नहीं उनके नाम ई वे बिल जारी किया गया। एजेंसियां हर एंगल से जांच कर रही है कि ऐसी फर्जी फर्मों का पुलिंदा बांधने में कोई कोरकसर बाकी न रहे।
फर्जी फर्मों के सहारे कौन लोग इस पूरे फर्जीवाडे के पीछे खेल रहे हैं यानी मास्टर माइंड कौन है इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है मगर जांच इस प्रकार चलती रही तो जल्द ही एजेंसियों के हाथ गिरेबां तक पहुंच ही जाएंगे।