Shri Vikas Mittal (Trikalp Laminates India Pvt. Ltd.)
- August 20, 2019
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श्री विकास मित्तल
Trikalp Laminates India Pvt. Ltd
Trikalp Laminates की अभी तक की यात्रा धैर्य और दृढ़ता की एक गाथा है। अपने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए Trikalp Laminates ने बाज़ार में एक अलग पहचान बनाई है। दिल्ली से करीब 50कि.मी. दूर सांपला, हरियाणा में स्थित प्लान्ट बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और अत्याधुनिक मशिनों से युक्त है। डायरेक्टर्स श्री विकास मित्तल, श्री रोहित वशिष्ठ और गौरव मित्तल के कुशल नेतृत्व में Trikalp Laminates के उत्पाद काफी लोकप्रिय हैं।
श्री विकास मित्तल की Ply Insight से हुई बातचीत के कुछ अंश।
मार्किट की सिचुएसन क्या बयां कर रही है?
पिछले दो-तीन महीने से मार्केट की स्थिति में ओवरआल मंदी है, ऐसा नहीं कि सिर्फ हमारी ट्रेड में है। कजंम्पशन तो आज भी उतनी ही है पर पेमेंट के हिसाब से मंदी है। वैसे देखा जाए तो बहुत सारे ट्रेड में देखा सभी का हाल यही है, दिक्कत यह नहीं है कि आर्डर नहीं है। पर पेमेंट वापसी में कम आ रही है। आ तो रही है, पर बहुत स्लो है, आशानुरूप नहीं आ रही है। कहीं न कहीं ओवरआॅल पूरे मार्केट का यही हाल है।
आम धारणा है कि अगले साल दो साल ये बाजार सुधरने वाले नहीं हैं।
ऐसा तो नहीं है, हम बहुत आशावादी हैं। मेरा सोचना है कि अगले महीने में सारे हालात सुधर जाएंगे। ऐसा सोचने का आधार तो वही है, ओवरआॅल मार्केट को देखता हूं, पिछले एक-दो महीने से आॅर्डर वगैरह भी कम हो गया था। पिछले कुछ दिनों से आॅर्डर आने लगे हैं। थोड़ा सा स्लो है। मानसून बाद अपने मार्केट के लिए ये गोल्डन टाइम है, अब जो अगस्त के बाद में समय आता है। उम्मीद तो पूरी है।
बाजार की सिचुएसन जो अभी देख रहे हैं जैसे प्लाइवुड की मैन्युफैक्चरिंग एक हफ्ते से बंद की हुई थी, रेट बढ़ाने के लिए सभी ने घोषणा भी कर दी फिर भी निराश दिख रहे हैं।
प्लाईवुड की मार्किट के उपर भी लैमिनेट का मार्केट डीपेंड करता है। प्लाईवुड डाउन गया तो लैमिनेट का उठना बहुत मुश्किल है। येे एक-दूसरे के हिसाब से ही चलते हैं। फिर भी यहां छब्त् में एनजीटी भी थोड़ा सख्त हो रही है। जैसे पुराने बाॅयलर बंद होने चाहिए, गैस वाले चालू होने चाहिए। तो ओवरआल इस चीज का सभी कंपनियों पर इफैक्ट आएगा। एक तरफ तो मार्केट 70 साल से जिस धारा पर चल रही थी उसको एकदम से चेंज करने की प्रवृत्ति जो सरकार की हो रही है। लगता है सरकार ने ये कसम खा रखी है कि ये जितने भी छोटे-मझोले व्यापारी हैं उनको बर्बाद करके ही छोड़ेगी जो इनकी पाॅलिसीज हैं। हो सकता है। इन पालिसी के दूरगामी परिणाम हो लेकिन अभी की स्थिति अच्छी नहीं है।
ये उनके लिए तो ठीक है जो बड़े उद्यमी हैं। ये जो बड़े-बड़े हैं इस लाइन में अंबानी है, इनके लिए तो बढ़िया है। इनका तो काफी स्कोप है। वैसे जेट एयरवेज जैसे तो एक्सेप्शनल है। बाकि हमारे जो सेगमैंट हैं वो बहुत स्माॅल हैं। लेकिन फिर भी जो नए-नए खिलाड़ी उभर कर आए हैं, हम जैसे भी हैं या और भी हैं जो आ रहे हैं अभी उनको अपने आप को सरवाईव करने के लिए बहुत कुछ कोम्प्रोमाइज़ करना पड़ेगा। प्लस कहीं न कहीं क्वालिटी और सर्विस ये बहुत बड़ा इम्पोर्टेन्ट फैक्टर रहेगा। आगे लंबे समय तक वहीं टिक पाएगें जो क्वालिटी और सर्विस दे पाएगंे। वही आगे तक जाएगा।
अच्छे ट्रेडर्स हैं जो उनका मार्केट है वो अगर अच्छा है चाहे पेमेंट नियत समय के बजाय बाद में आ रहा है लेकिन अगर वो वर्थफुल है तो टीक जाएगा। जो शाॅर्टटर्म वाले हैं भलें ही मार्जिन ज्यादा दें रहें पता चले की 4 सप्लाई के बाद 5 वीं लेकर बैठ गए, अब कुछ नहीं कर सकते। तो बहुत सी चीजें हैं, मार्किट को रिव्यू करना पड़ेगा अपने आप को खड़े होने के लिए। जो काम करने का माॅडल तरीका है जो हम पिछले 10-20 सालों से करते हुए आ रहे थे वो तरीके अब बिल्कुल ही चेंज कर देने पड़ेंगे, ऐसा 100 परसेंट तो नहीं कह सकते। बेसिक तो बेसिक ही रहता है। बेसिक से बाहर आप कहीं नहीं जा सकते। बिज़नेस तो पहले भी बेसिक से होता था और आज भी बेसिक से ही होता है। पर समय के हिसाब से बहुत सारी चीजें अपग्रेड होनी चाहिएं। वो करनी भी पड़ेंगी। समय के साथ चेंज होना बहुत जरूरी है।
तो एक जो बड़ी चीज आपने देखी कि उधार लेने की जो प्रक्रिया चलती है उसके बीच में अगर एक आदमी को दिक्कत आई और उसने सुसाइड कर लिया और उसने 20 आदमियों के नाम दे दिए और वो 20 आदमीं दिक्कत में आ गए तो ये प्रक्रिया जो है वो हमारे बिज़नेस माॅडल को एफेक्ट तो कर ही रही है?
लेकिन आप इससे उपर जा नहीं सकते। ठीक है बीच-बीच में ये चीजें आती रहेगी, लेकिन क्रेडिट में बिज़नेस किए बिना आप बिज़नेस कर ही नहीं सकते। वो तो बिज़नेस की धारा ही नहीं है। तो ये एक्सेप्शनल हैं। टाइम टू टाइम रिव्यू होते रहेंगे। कुछ चीजें बनेंगी जो थोड़े-बहुत अपग्रेड होंगे वो होंगे । ओवरआल चलेगी इसी धारा पर। एक्चुअली क्या है कि मंदी आती है तो बहुत सारी चीजें रिव्यू होती हैं। जैसे ही ये मंदी खत्म हो जाएगी सारे फिर उसी धारा पर चलने लग जायेंगे । पुराने लेवल से, हां वहीं बोलने और करने में बहुत अतंर है। मंदी का टाइम है, पेशंस से चलेंगे। सबके पास समय है लोग इन चीजों को रिव्यू कर रहे हैं। शाॅर्टलिस्ट कर रहे हैं, उस आदमी के साथ काम करना है कि नहीं करना है। ये कब तक, जब तक मंदी चल रही है। हम अपने आप को एडजस्ट कर लेते हैं कि हमें करना ही नहीं। 10 की जगह 5 से काम करेंगे पर शाॅलिड़ वालों से। ऐसा तो हर किसी के साथ होता है, हर कोई रिव्यू करता है। कुछ टाईम जब रूटिन में आने लगती हैं तो फिर वापस हो जाता है। लोग चाह रहे हैं कि उन्हीं लोगों के साथ काम करना है जो पर्फेक्ट हैं। जिनके साथ कोई दिक्कत नहीं सब ठीक है, बेशक उधारी लंबी हो रही है, पर डूबने वाली नहीं है। तो ये रिव्यू तो चलता रहता है, रेगूलर चलता है इंडस्ट्री में।
आपको क्या लगता है ये मंदी कब तक, पूरे हिंदुस्तान की मंदी की बात है।
पूरे हिंदुस्तान की मंदी तो 1 2 साल तक नहीं जाएगी। प्रिपरेशन माॅडल, स्ट्रेटेजी उसी हिसाब से बनानी पड़ेगी कि कम से कम 1 साल तक बाजार ऐसे ही चलेगा। हम उसके हिसाब से कैसे सरवाईव कर सकते हैं। क्या इम्प्लीमेंटेशन करें, क्या पाॅलिसीज बनाएं। कैशलैस होना है बाजार आगे जाकर। और ये कैश की वजह से ही आज ये दिक्कत आ रही है, जो कि पेमेंट की दिक्कत दिख रही है। क्योंकि बाजार में कैश नहीं है, तो ये तो आपको अपग्रेड करना ही पड़ेगा, पाॅलिसी उसी हिसाब से लानी पड़ेगी, डे-बाय-डे जिसको इनक्रीज किया जाए। और जहां ये इनक्रीज हो जाएगी तो वहां दिक्कत नहीं आएगी। फ्यूचर में तो ये होना ही है, कैशलेश अभी नहीं तो पांच साल बाद होना ही है। अभी से जो लोग अपने आप को अपग्रेड करेंगे, पक्के में ज्यादा काम करेंगे उतना ही उनके लिए ईजी होती जाएगी। बाजार से रिस्क खत्म हो जाता है अगर आप पक्के में काम कर रहें तो। आपकी अकाॅउंटेबिलिटी बहुत ईजी हो जाती है। इस समय अगर कोई व्यापारी पैसे लेकर भाग जाए कुछ नहीं कर सकते आप कच्चे का। अगर पक्के में है तो एनसीएलटी में कंपलेन कर दीजिए। कहीं न कहीं लायबिलिटी तो बनती है। आपके लिए थोड़ी सी एश्योरेंस बनती है। बिज़नेस सारा एश्योरेंस का ही है। अभी भी जो चल रहा है एश्योरेंस पर ही चल रहा है जिनकी बैकग्राउंड अच्छी है। लेकिन अभी बाजार इतना ओपन हो गया, वाईड हो गया कि रोज नए-नए लोग पैदा हो रहे हैं, खड़े हो रहे हैं। उसमें सरवाईव करने के लिए सपोर्ट चाहिए। हम लोगों के खर्चे भी तो दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। मार्जिन कम हो रहा है। एक समय था 10 साल पहले लाईन में लगकर माल बिकता था। अपनी कंडीशन पर माल बिकता था। अब अपनी कंडीशन बची कहां है। आज तो बाजार की कंडीशन पर काम करते हैं। फैक्टरी वाले की मजबूरी है कि प्लांट रन करना है, 24 घंटे चलाना है।
हम बहुत आप्टिमिस्टिक हैं, होना भी चाहिए, अगस्त में मार्केट ओपन होना चाहिए। लेकिन दूसरी बात जो बाजार के हालात को देखते हुए अगला एक साल है प्रीपेयर करें। हम अपनी पाॅलिसी बनाएंगे, उसके अकोर्डिंग चलेंगे। कंजम्पशन की कमी नहीं है आज भी बाजार में। आज भी जितनी फैक्टरी चल रही हैं उनका 100 परसेंट बाजार में जा रहा है। ऐसा नहीं कि कंजप्शन कम है और आगे फ्यूचर में भी सबस्टीच्यूट कोई पैदा नहीं हो रहा लैमिनेट का, जो इसकी जगह ले पाए। लैमिनेट का सबस्टीच्यूट अभी तक कुछ भी नहीं है। प्लाईवुड के सबस्टीच्यूट तो हैं पर लैमिनेट के नहीं हैं। जितना इकाॅनोमिक और परपजफुल है इसका फिलहाल कंपीटिशन आगे दिखता नहीं है 8-10 साल तक। बस अपने सिस्टम, पाॅलिसी अपग्रेड करनी पड़ेगी। समय के हिसाब से चेंजेज लाने पड़ेंगे।
लोगों में डर है कि इस मंदी में बहुत सारे कमजोर प्लेयर छंट जाएंगे।
100 परसेंट छटेंगे चाहे वो प्लाईवुड हो या लैमिनेट हो। जिनकी कोई डिग्निटी नहीं है, पाॅलिसी नहीं है, जो आया उसके साथ जुड़ गए वो ज्यादा समय तक नहीं टिक पांएगे। यमुनानगर में तो किराए पर फैक्टरी लेकर चलाने वाले बाहरी बहुत हैं। आधे से ज्यादा तो बंद हो गए हैं बाकि भी जो सीनसीयर नहीं है बंद हो जायेंगे।
ठीक है वो अगर बंद होते हैं तो उनके साथ में और भी एफेक्टेड़ होते हैं। पर नए प्लेयर भी तो आ रहे हैं। और जो नए प्लेयर आ रहे हैं कहीं न कहीं मार्केट स्टड़ी करके आ रहे हैं। जितने डाउन होंगे उतने बढ़ भी रहे हैं।
डिस्ट्रीब्यूशन का माॅडल थोड़ा बहुत इंप्रूव करना ही पड़ेगा। वो हरेक का अपना-अपना असेसमेंट और अपना-अपना तरीका है। कोई क्या सिक्योरिटी पर बिलिव करता है। हमारे साथ जितने भी लोग जुड़े हुए हैं वो दस दस – बारह बारह साल से जुड़े हुए हैं। उन्हीं लोगों के साथ हम एंटरटेन कर रहे हैं। तो हमारे लिए यही प्लस पाॅइंट है हम किसी नए बंदे के साथ नहीं है। 99 परसेंट हमारे साथ वो लोग हैं दस दस – बारह बारह साल से एसोसिएट हो रखे हैं। और अपना फोकस भी यही रहता है चाहे 60-65, दिन हो जाए लेकिन जुड़े हम उसी के साथ जो वर्थफुल हो। बाजार का पुराना बंदा हो।
एक्सपोर्ट के बारे में आपके क्या योजना है?
एक्सपोर्ट के लिए फिलहाल हमारे पास तो प्रोडक्शन ही उतना नहीं है कि हम बाहर जा पाएं। अभी एक्सटेंशन में लगे हैं अगले महीने से हमारा दूसरी प्रैस चालू हो जाएगी। अभी तो हम डोमेस्टिक को ही सप्लाई पूरी नहीं कर पाते। लेकिन आगे हमारा टार्गेट है नेपाल और बांग्लादेश और बाकि यूरोपियन कंट्री में भी हमारी बातचीत लगातार चल रही है।