एग्रो प्लांटेशन की लकड़ी कृषि उत्पादन में परिभाषित होनी चाहिए

प्लाईवुड और पैनल उद्योगों द्वारा खरीदी लकड़ी एग्रोफॉरेस्ट्री प्लांटेशन की , लेकिन कृषि उत्पादन की परिभाषा में ऐस लकड़ी का उल्लेख नहीं है

फैडरेशन ऑफ इंडियन प्लाइवुड एंड पैनल इंडस्ट्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर जानकारी दी कि प्लाईवुड और पैनल उद्योगों द्वारा खरीदी गई पूरी लकड़ी एग्रोफॉरेस्ट्री प्लांटेशन है। लेकिन कृषि उत्पादन की परिभाषा में ऐसी लकड़ी का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा धारा 2 उपधारा (ए) के तहत किसानों की ज़मीन पर उगाई जाने वाली लकड़ी के लिए एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इसमें यह बताया जाता है कि यह लकड़ी वन क्षेत्र की नहीं है, बल्कि इसे खेत में उगाया गया है। इस तरह के प्रमाणपत्र बहुत महंगे हैं और इसे संभालना पड़ता है। इससे न सिर्फ किसानों को बल्कि लकड़ी के खरीददार को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। फेडरेशन ने मांग की कि इस प्रावधान को तुरंत ही खत्म कर दिया जना चाहिए। फेडरेशन की ओर से पीएम के नाम लिखे गए पत्र में प्रधान सज्जन भजंका ने बताया कि इस वक्त प्लाइवुड इंडस्ट्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंपीटिशन करना पड़ रहा है। तो इस तरह की छोटी छोटी दिक्कत भी बड़ी परेशानी की वजह बन जाती है। प्लाईवुड और पैनल उद्योग में पूरी तरह से एग्रोफॉारेस्ट्री से आने वाली लकड़ी को ही प्रयोग किया जाता है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार राष्ट्रीय वन नीति 1988 का इसमें हर स्तर पर पालन किया जा रहा है। यहीं वजह है कि वनों की लकड़ी का प्लाइवुड और पैनल उद्योग में इस्तेमाल पूरी तरह से रोक दिया गया है। सारी की सारी इंडस्ट्री अब एग्रोफॉरेस्ट्री से आ रही लकड़ी का ही इस्तेमाल कर रही है।

भारतीय वन अधिनियम, 1927, अध्याय 1, सेक्शन 2 उल्लेख खंड (4) (ए) में बताया गया कि जंगल से लायी लकड़ी इसमें लकड़ी, चारकोल, कौंचौच, लकड़ी-तेल, राल, प्राकृतिक वार्निश, छाल, लाख, महुआ के फूल, महुआ के बीज, और लोहबान आदि को शामिल किया गया है। लेकिन दूसरी ओर यह स्पष्ट नहीं किया गया कि एग्रोफॉरेस्ट्री में किस किस पेड़ की लकड़ी को शामिल किया गया है। किसान जब खेत में लकड़ी उगाता है तो किस किस्म की लकड़ी को एग्रोफॉरेस्ट्री में शामिल किया जाए इसे फसल की तरह माना जाए, इस बारे में तुरंत ही स्पष्टीकरण होना चाहिए। क्योंकि इस स्पष्टीकरण के बाद कच्चे माल में प्रयोग होने वाली लकड़ी की एक निश्चित परिभाषा होगी। जिससे उद्योगपति व किसान दोनों को काम करना आसान हो जाएगा।

फेडरेशन के उपप्रधान एसपी मित्तल और दीन दयाल डागा ने बताया कि 2014 की नेशनल एग्रोफोरेस्ट्री नीति की की घोषणा में सरकार एग्रोफॉरेस्ट्री की लकड़ी की एक निश्चित परिभाषा देगी, जिससे लकड़ी को लेकर यह अस्पष्टता दूर हो सके। यह किसानों और प्लाईवुड इंडस्ट्री के हित में सरकार का एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

फेडरेशन ने सरकार से निवेदन किया कि कृषि क्षेत्र में पैदा होेने वाला पोपलर, सफेदा, रबर, सिल्वर ओक, मेलिया दुबिया, व कदम आदि नगदी फसल है। किसान इनकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं।

प्रधानमन्त्री आवास योजना और आत्मनिर्भर भारत योजना की घोषणा के बाद देश में लकड़ी की मांग इन सभी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ी है।

2016-2019 की अवधि में लकड़ी आधारित निर्यात और आयात में 31,655 करोड़ का अंतर देखा गया है। इससे यहीं पता चल रहा है कि विदेशी मुद्रा की बड़ी मात्रा बाहर जा रही है। इसे रोका जाना चाहिए। यह संभव है। बस इसके लिए तुरंत सकारात्मक कदम उठाने होंगे। इसके लिए बस एग्रोफाॅरेस्ट्री की परिभाषा को और ज्यादा स्पष्ट करना है। इसके साथ ही किसानों को एग्रोफॉरेस्ट्री से एक निश्चित आय हो, इसके लिए भी उचित कदम उठाने होंगे।

किसानों को लकड़ी की खेती से एक निश्चित आय हो, इसके लिए किसान व उद्योगपति आपस में मिल कर एक नीति तैयार कर सकते हैं। इससेे किसानों को एक लकड़ी का एक निश्चित कीमत तो मिलती रहे, इसके साथ ही उद्योगपतियों को अपनी आवश्यकता के मुताबिक लकड़ी भी मिलती रहे। इसी तरह से किसानों के साथ मिल कर उद्योगपति कांट्रेक्ट फार्मिंग भी कर सकते है। इसमें मेलिया, कैसुरीना आइलेंटस, कदम्ब, टोना, सिल्वर ओक रबरवुड आदि की खेती की जा सकती है। इससे जहां लकड़ी की कीमतों के उतार चढ़ाव को रोका जा सकता है, इसके साथ ही उद्योग को नियमित लकड़ी मिलेगी। यह प्रावधान मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 को भी पूरा कर सकता है।

फेडरेशन ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार उनके सुझाव पर अमल करेगी। एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देेने की दिशा में सरकार तेजी से कदम उठाएगी। एग्रोफोरेस्ट्री में लकड़ी की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने की क्षमता है। फसल विविधिकरण से
भोजन, फाइबर, चारा, फल, ईंधन और लकड़ी उत्पादन किया जा सकता है। बस इसे मौजूदा हालात में लोकप्रिय करने की आवश्यकता है। इसके लिए उचित कृषि माडल विकसित होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो प्लाइवुड उद्योग और कागज उद्योग एग्रोफॉरेस्ट्री को हाथों हाथ लेने के लिए तैयार है।