A year ago, when the first wave of Covid-19 upended lives in India’s metros and smaller cities, rural India, which was relatively insulated from the impact of the pandemic, came to the rescue of consumer-facing firms.

But the second wave, which is a lot fiercer and secular in nature, has everyone worried.

As the pandemic reaches the rural hinterland, sentiments are turning negative. Consumers are tightening their purse strings and saving for health emergencies. Amid localised lockdowns and a persistent increase in Covid cases, sales have started feeling the heat.

The impetus given to rural areas last year, including direct benefit transfers, a higher allocation to the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme, and raising food subsidies, might have to be considered again, said Mehta.

Unfortunately, this wave is going a lot deeper into our country and it’s very scary”, he said.


महामारी से घटी ग्रामीण मांग


साल भर पहले जब कोविड-19 की पहली लहर आई थी तो देश के महानगरों और छोटे शहरों का जीवन उसने अस्तव्यस्त कर दिया था। मगर ग्रामीण भारत काफी हद तक इसके असर से बचा रहा, जिससे उपभोक्ता वस्तु बनाने और बेचने वाली कंपनियों को बड़ा सहारा मिला था। लेकिन इस महामारी की दूसरी लहर ने गांवों में भी सेंध लगा ली है, जिससे कारोबारी जगत चिंतित है।

ग्रामीण इलाकों में महामारी पहुँचने से वहां भी खर्च और बचत का नजरिया बदल गया है। गांवों के उपभोक्त बेजा खर्च करने से बच रहे हैं और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति के लिए पैसा बचा रहे हैं। कोविड महामारी का प्रसार रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए गए लाॅकडाउन और प्रतिबंधों का असर दिखने भी लगा है।

पिछले साल ग्रामीण इलाकों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में ज्यादा आवंटन और खाद्य सब्सिडी बढ़ाने जैसे उपाय किए गए थे, जिन पर इस साल भी विचार करना पड़ सकता है।

दुर्भाग्यवश दूसरी लहर देश के अंदरूनी इलाकों में भी पहुंच चुकी है और काफी डरावनी है। स्थिति बड़ी विकट है और कुछ भी अनुमान लगाना कठिन है।

इस बार रबी की फसल अच्छी हुई है, खरीद भी चल रही है और माॅनसून के भी सामान्य रहने के आसार हैं। ऐसे में अगर दो से तीन हफ्तों में कोविड संक्रमण थम जाता है तो अच्छा होगा। मगर ऐसा नहीं हुआ तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है।