Best Time to Encourage Agroforestry
- January 24, 2022
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This is the best time that the wood based industries make a strategy along with the farmers regarding the availability of raw materials.
In the webinar of The Plyinsight, many suggestions came up in the conversation between Director IWST, Dr. MP Singh and Industrialist. Everyone were agreed to adopt. The Haryana government has invited fresh licenses for the WBI. What impact it will have on the industry? The PlyInsight had organized a webinar on this topic.
Querry by Jugal Kishore Biyani: the units which are operating in Haryana at present, are not getting sufficient quantity of wood. If the license of WBI is open for the new comers, where is the provision of wood to accommodate all?
Dr. MP Singh
I admit that there will be some problem in the beginning. Which is inevitable, it will be definitely here also. But in 4 to 5 years everything will be back to normal. Because farmers will also move towards agroforestry and in turn. This will solve the raw material problem. Industry should encourage farmers a bit. Interact with the farmers, explain to them and be told that whatever wood will be grown in agroforestry will be used in WBI including plywood industries.
Need to move to a new area
There is a need to move to new are and to work in the direction of agroforestry where agroforestry is not being done so far. If such measures are taken, then the problem of raw material which is visible now will automatically be fixed.
Don’t worry, as the industry doesn’t come up in a day
Another reason is that the industry does not come up in a day; it also takes time to be functional, so the area of agroforestry will also increase in the mean time. There is no need to worry about the raw material right now. However, unit operators will also have to make extra efforts for this. Such catchment areas should be created where agroforests are encouraged.
What should be tried: Steps should be taken to promote agroforestry among farmers
Small steps like the industrialist should provide seeds and saplings to the farmers, the farmers will move towards agroforestry. Farmers should also be assured that the wood they grow in agroforestry will be bought by industrialists at a reasonable price. The trust of the farmer has to be won. Once this trust is built, then, believe me that there will be no shortage of raw materials.
Because it is not only the industry who is in need of wood, farmers also want to move towards alternative farming. He is also searching such opportunities. This is an opportune time that the industry and farmers together take steps in this direction. There is no doubt that agroforestry is emerging as a great option for the farmers.
Haryana has a lot of scope in this direction. There is a lot of potential for agroforestry in new areas in Haryana. Government scheme should be availed
Vimal Chopra asked that how agroforestry can be promoted.
Dr. MP Singh said that under the Agroforestry Mission, the central government is constantly trying to promote agroforestry across the country. This mission is for each state. Under the mission, farmers are given grant for planting tree. Agroforestry mission should be.
Industrialists can act as a bridge between the government and farmers regarding the mission.
Now if the industrialists act as a bridge between the farmers and the government, then surely this mission can be achieved successfully. This will give two advantages to the industry, one, they will continue to get wood as raw material for the industry; secondly agroforestry will be encouraged for green cover in the country.
Urge the government to make the wood of industrialists of Haryana free from mandi tax
Dr. MP Singh told they have also proposed to the government that there should be no mandi tax on wood. Continuous work is being done for this. He also urged the plywood manufacturers of Haryana to make a similar request to the government. A proposal was also given to the central government to make the guidelines of the WBI clearer.
This fact also came out in the conversation.
Industrialists and farmers together fix a minimum rate of wood.
Industry and government should provide high quality nursery and seeds to farmers for agroforestry. To get better quality of timber.
The industry which are sick now because of raw material and, if the industrialist wants to set up his unit by shifting to another place, then the state government should not charge fresh registration fee. The industry should talk to the government for giving such industrialists the facility of shifting. Agroforestry will also be promoted on a large scale in the state and unit operators will be able to set up their units by going to new areas for wood based units.
कृषि वाणिकी को प्रोत्साहित करने का उचित समय
अब वक्त आ गया है, लकड़ी यूनिट संचालक किसानों के साथ मिल कर कच्चे माल की उपलब्धता पर के बारे में रणनीति बनाए
द प्लाईइनसाइट के वेबनार में IWST के डायरेक्टर एमपी सिंह और इंडस्ट्रिलिस्ट की बातचीत में कई सुझाव सामने आए। जिसे अपनाने पर सभी ने सहमति भी जताई। हरियाणा सरकार ने लकड़ी आधारित उद्योगों को नयें लाइसेंस आवेदन करने का मौका दिया है। इससे इंडस्ट्री को क्या दिक्कत आ सकती है। इस विषय पर द प्लाईइनसाइट ने वेबिनार का आयोजन किया था।
जुगल किशोर बियानी का सवाल: अभी तक हरियाणा में जो यूनिट चल रही है इनको ही लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है यदि WBI को लाइसेंस मुक्त कर दिया और नई इंडस्ट्री आ गई तो उनके लिए लकड़ी का क्या प्रावधान होगा।
एमपी सिंह का जवाब
मेरा मानना है कि शुरुआत में थोड़ी दिक्कत आएगी। हर नई शुरुआत में दिक्कत आती है। निश्चित ही इसमें भी आएगी। लेकिन 4 से 5 साल में सब कुछ सामान्य हो जाएगा। क्योंकि तब किसान भी एग्रोफोरेस्ट्री की ओर बढ़ेंगे। इससे निश्चित ही कच्चे माल की समस्या का समाधान हो जाएगा। इंडस्ट्री को चाहिए कि वह किसानों को थोड़ा प्रोत्साहित करें। किसानों के साथ बातचीत करें उन्हें समझाएं और बताया जाए कि एग्रोफोरेस्ट्री में जो भी लकड़ी उगाएगा उसका उपयोग प्लाईवुड इंडस्ट्रीज समेत दूसरी लकड़ी आधारित उद्योग में किया जाएगा।
नए एरिया में जाने की जरूरत है
नए एरिया में भी जाने की जरूरत है। जहां अभी तक एग्रोफोरेस्ट्री नहीं की जा रही वहां भी एग्रोफोरेस्ट्री की दिशा में काम करने की आवश्यकता है । इस तरह के उपाय करेंगे तो कच्चे माल की जो समस्या अभी नजर आ रही है वह खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी ।
चिंता न करें, क्योंकि इंडस्ट्री एक दिन में नहीं लगती
दूसरी वजह यह है कि इंडस्ट्री कोई 1 दिन में नहीं लगती, इसमें भी समय लगता है, तो इतने समय में एग्रोफोरेस्ट्री का क्षेत्र भी बढ़ेगा। इसलिए अभी कच्चे माल को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। हालांकि इसके लिए यूनिट संचालकों को भी अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। इस तरह के कैचमेंट एरिया बनाए जाने चाहिए जहां एग्रोफोरेस्ट को बढ़ावा मिले।
कोशिश जो करनी चाहिए: किसानों में एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए
इंडस्ट्री संचालक यदि किसानों को बीज और पौधे उपलब्ध करा दें तो भी किसान एग्रोफोरेस्ट्री की ओर बढ़ जाएंगे। इसके साथ-साथ किसानों को यह भी आश्वासन दिया जाना चाहिए कि वह जो एग्रोफोरेस्ट्री में लकड़ी उगाएंगे उसे उद्योगपति वाजिब दाम पर खरीदेंगे। किसान का विश्वास जीतना होगा। एक बार यह विश्वास बन गया तो यकीन मानिए कच्चे माल की कोई कमी नहीं रहेगी ।
क्योंकि ऐसा नहीं है इंडस्ट्री को ही लकड़ी की जरूरत है, किसान भी चाहते हैं कि वह वैकल्पिक खेती की ओर जाए। वह भी इस तरह के अवसरों की तलाश में हैं। यह उचित मौका है कि इंडस्ट्री और किसान एक साथ मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि एग्रोफोरेस्ट्री किसानों के लिए एक बड़ा विकल्प बनकर उभर रहा है।
हरियाणा में इस दिशा में काफी स्कोप है। हरियाणा में नए-नए एरियों में एग्रोफोरेस्ट्री की काफी संभावनाएं हैं। सरकार की योजना का लाभ उठाया जाना चाहिए
विमल चोपड़ा ने सवाल उठाया कि कैसे एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा दिया जा सकता है।
एग्रोफॉरेस्ट्री मिशन का लाभ उठाया जाना चाहिए
डॉक्टर एमपी सिंह ने बताया कि एग्रोफोरेस्ट्री मिशन के तहत देश भर में एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा दिया जाने की कोशिश केंद्र सरकार लगातार कर रही है। यह मिशन प्रत्येक राज्य के लिए है। मिशन के तहत किसानों को पेड़ उगाने पर अनुदान दिया जाता है।
मिशन को लेकर इंडस्ट्रिलिस्ट सरकार और किसानों के बीच पुल का काम कर सकते हैं।
अब यदि इंडस्ट्री संचालक किसानों और सरकार के बीच पुल का काम करें तो निश्चित ही इस मिशन को बहुत ज्यादा कामयाब किया जा सकता है। इससे इंडस्ट्री के दो फायदे होंगे एक तो इंडस्ट्री को लगातार कच्चा माल के तौर पर लकड़ी मिलती रहेगी, दूसरा एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार से आग्रह करे हरियाणा के इंडस्ट्रिलिस्ट की लकड़ी को मंडी टैक्स से मुक्त किया जाए
डॉक्टर एमपी सिंह ने यह भी बताया कि उनकी ओर से सरकार को यह भी प्रस्ताव दिया गया की लकड़ी पर मंडी टैक्स ना लगे। इसके लिए भी लगातार काम किया जा रहा है। उन्होंने हरियाणा के प्लाईवुड निर्माताओं से भी आग्रह किया कि वह भी सरकार से इस तरह का आग्रह करें। केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव यह भी दिया गया कि वह WBI की जो गाइडलाइन है उसे और ज्यादा स्पष्ट करें।
बातचीत में यह तथ्य भी निकल कर सामने आए
इंडस्ट्रिलिस्ट और किसान मिल कर लकड़ी का एक न्यूनतम रेट तय करे।
इंडस्ट्री और सरकार एग्रोफोरेस्ट्री के लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता की नर्सरी और बीज उपलब्ध कराएं। यदि बीज और अच्छी गुणवत्ता के पौधे किसानों को मिलेंगे तो निश्चित ही अच्छी गुणवत्ता की लकड़ी इंडस्ट्री को मिलना संभव होगा।
जो इंडस्ट्री अभी इसलिए बंद हो गई है कि उन्हें कच्चा माल नहीं मिल रहा वह उद्योगपति दूसरी जगह पर जाकर अपनी यूनिट स्थापित करना चाहता है, तो राज्य सरकार फ्रेश रजिस्ट्रेशन फीस ना ले। ऐसे उद्योगपतियों को शिफ्टिंग की सुविधा सरकार दें इसके लिए सरकार से बातचीत करनी चाहिए। इससे होगा यह की प्रदेश में व्यापक स्तर पर एग्रोफोरेस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा और लकड़ी आधारित यूनिट को भी। यूनिट संचालक नए-नए एरिया में जाकर अपनी यूनिट स्थापित कर पाएंगे।
Watch suggestion & effort discussed in the Webinar