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Large amounts of global capital are probably being used to buy Paytm and Nayak’s Public Initial Offers (IPOs) as well as high payments for imports. Perhaps this is the reason why November 2021 saw a huge jump in bank deposits followed by massive withdrawals.

With the economy picking up further and withdrawal of funds from capital markets by international investors, deposit growth may further slow down.

Reserve Bank of India (RBI) data shows that deposits of commercial banks grew by 2.1 per cent, or R3.35 lakh crore, to R160.46 lakh crore in the quarter ending November 5, 2021. However, in the next fortnight, there was a sharp decline of 1.7 per cent or R2.67 lakh crore in deposits and on November 19, 2021, it came to the level of R157.8 lakh crore. Bankers say that generally the trend of uptick and contraction in deposits is visible at the end of the quarter. The growth in the amount in the accounts took place in the last fortnight of the quarter and contraction came at the end of the first fortnight of the new quarter.

Bankers say that prima facie it appears that a large sum of money, ie global money, came for public issues of Paytm and Nayak. On completion of this process, the money was drained out of the system which led to a fall in the outstanding deposits. This situation prevailed in the fortnight ending November 19, 2021. The chances of this happening again and again are slim. According to the Ecowrap report of the State Bank of India (SBI), this growth in deposits and subsequent decline is a very reverse trend. It said the mystery behind the rise and fall of deposits may be difficult to decipher, but it raises questions about liquidity manageability or financial stability.


बैंक जमा में उछाल और निकासी का अजीबोगरीब रुझान


पेटीएम और नायिका के सार्वजनिक आरंभिक निर्गम (आईपीओ) की खरीद के लिए बड़ी मात्रा में संभवत वैश्विक पूंजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और साथ ही आयात के लिए उच्च भुगतान किए जा रहे हैं। शायद यही वजह है कि नवंबर 2021 में बैंक जमाओं में बड़ी उछाल और उसके बाद बड़ी मात्रा में निकासी का दौर देखा गया।

अर्थव्यवस्था के और गति पकड़ने और पूंजी बाजार से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा धन निकालने से जमा वृद्धि की रफ्तार आगे और सुस्त पड़ सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि वाणिज्यिक बैंकों का जमा 5 नवंबर, 2021 को समास पखवाड़े में 2.1 फीसदी यानी 3.35 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 160.46 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, उसके अगले पखवाड़े में जमाओं में 1.7 फीसदी यानी 2.67 लाख करोड़ रुपये की तेज गिरावट आई और 19 नवंबर, 2021 को यह 157.8 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया। बैंकरों का कहना है कि आमतौर पर जमाओं में तेजी और संकुचन का रुझान तिमाही के समाप्त होने के समय पर नजर आता है। खातों में रकम की वृद्धि तिमाही के अंतिम पखवाड़े में हुई और इसमें संकुचन नई तिमाही के पहले पखवाड़े के अंत में आया।

बैंकरों का कहना है कि प्रथम दृष्टि में ऐसा लगता है कि बड़ी रकम यानी कि वैश्विक धन पेटीएम और नायिका के सार्वजनिक निर्गमों के लिए आया। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर प्रणाली से पैसा निकल गया जिसके कारण बकाया जमाओं में गिरावट आई। यह स्थिति 19 नवंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बनी। ऐसा बार बार होने की संभावना कम रहती है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक जमाओं में यह वृद्धि और उसके बाद गिरावट बहुत ही उलट रुझान है। इसमें कहा गया है कि जमाओं में वृद्धि और उसके बाद गिरावट के रहस्य को समझ पाना मुश्किल हो सकता है लेकिन इससे तरलता प्रबंधनय या वित्तीय स्थिरता पर प्रश्न खडे होते हैं।