APPROACH TO MINIMIZE COMPLIANCE BURDEN ON BUSINESSES

The government is following a four prolonged approach to reduce the compliance burden on business and promote ease of living, said DPIIT Secretary Guruprasad Mohapatra.

These are decriminalizing minor offences in all central government laws, removing redundant laws, introducing citizen governance, and easing license requirements for business, Mohapatra told journalists.

Ministries have asked to indentify outdated laws, rules and regulations that “do not promote ease of living or ease of doing business”, Mohapatra said. About 1,400 such Acts have already been removed since the government came to power, he said. Citing an example of recent reforms, he said the government relaxed the norms for attestation of documents. “In times of adversity it has helped everyone. Simple initiatives have removed irritants,” he said. A number of state legislation like shops and establishment Act, Labour Act, Civil Supplies Act are being reviewed.

Lastly, ministries and states have to identify compliance hurdles for trade and business based on the feedback from their representative bodies by March 31. For instance, renewal of facilities, like shops, can be done away with, he said. After registration, let such establishments continue without any renewals, till they want to continue, he added. If renewals are necessary, they should not be mandated annually, but for about five years or so. Also being explored is if registrations, inspections can be made faceless and automated.  


अनुपालन बोझ कम करने की कोशिश

सरकार उद्यमों पर अनुपालन का बोझ कम करने और सुविधाजनक एवं सरल जीवनयापन (ईज ऑफ़ लिविंग) को बढ़ावा देने के लिए चार तरीके अपना रही है। डीपीआईआईटी सचिव गुरुप्रसाद महापात्र ने यह बात कही।

  • कानूनों में दीवानी मामलों को गैर-आपराधिक करना

केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों से कहा गया है कि ऐसे कानूनों की पहचान की जाए, जिनमें दीवानी अपराधों में आपराधिक दंड मिलता है और उन्हें गैर-आपराधिक बनाया जाए।

  • अप्रचलित एवं अनावश्यक कानूनों को खत्म करना

महापात्र ने कहा कि दूसरे उपाय के तहत सभी मंत्रालयों से ऐसे अप्रचलित कानूनों, नियमों और नियमनों को चिह्निित करने को कहा गया है, जो किसी काम के नहीं हैं और अनावश्यक समय एवं लागत बढ़ाते हैं और जीवनयापन में आसानी या कारोबार करने में सहूलियत को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार सत्ता में आने के बाद ऐसे करीब 1,400 कानूनों को पहले ही खत्म कर चुकी है।

  • नागरिक-सरकार के जुड़ाव के स्तर पर बड़े सुधार लागू करना

तीसरा उपाय नागरिक-सरकार के जुड़ाव में बड़े सुधार लाना है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने दस्तावेजों के सत्यापन के नियमों में ढील दी और किसी राजपत्रित अधिकारी से दस्तावेजों के सत्यापन की अनिवार्यता खत्म कही और स्व-सत्यापन की मंजूरी दी। उन्होंने कहा, ‘इसने मुश्किल हालात में हर व्यक्ति की मदद की है। आसान पहलों ने तकलीफदेह चीजें खत्म कर दी हैं।’  दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, श्रम अधिनियम, नागरिक आपूर्ति अधिनियम जैसे बहुत से राज्य कानूनों की समीक्षा की जा रही है।

  • उद्यमों के लिए लाइसेंस की जरूरत में ढील देना

चौथे कदम के तहत सभी मंत्रालयों और राज्यों को व्यापार एवं उद्यमों के लिए अनुपालना अड़चनें उनकी प्रतिनिधि संस्थाओं के फीडबैक के आधार पर 31 मार्च तक चिह्निित करनी होंगी। उन्होंने कहा कि दुकान जैसी सुविधाओं के नवीनीकरण को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण के बाद ऐसे प्रतिष्ठानों को बिना नवीनीकरण के तब तक चलने दिया जाए, जब तक वे उसे चलाना चाहते हैं।

अगर नवीनीकरण आवश्यक है तो इसे सालाना बनाने की जरूरत नहीं है। इसकी अवधि पांच साल या अधिक रखी जा सकती है। महापात्र ने कहा कि इस बारे में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं कि क्या पंजीकरण, निरीक्षण जैसे कार्य फेसलेस और ऑटोमेटेड संभव हैं।


Trikalp Laminates   Century Plywood  Asean Plywood