Arrangement for Settlement of Tax Dispute Soon
- December 22, 2020
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“There should be a system of monitoring the disputes simultaneously. If possible, there should be a system to save companies from disputes and if there is a dispute, it should be resolved without any delay.”
Union Finance Minister Nirmala Sitharaman said this while addressing the National MNC Conference, 2020 organized by the Confederation of Indian Industry (CII). The Finance Minister also mentioned two dispute resolution schemes for tax related matters. He said, ‘We have made our money clear why we had to start both these schemes. One of these plans was ‘Sabka Biswas’ and the other was ‘Conflict to Confidence’. However, I believe that we need to put in place a robust system whereby settlement of tax disputes goes hand-in-hand and do not have to wait for any special occasion or time.
If this system is implemented, it will help the taxpayers to settle the case by paying the tax due and they will get rid of lengthy legal procedures. A tax expert said that this can also be done through arbitration. According to the expert, a taxpayer can be given an opportunity to settle a dispute if there is a demand for tax under this, and instead he will get exemption from payment of fine and interest etc.
कर विवाद निपटान की व्यवस्था जल्द
’विवादों पर साथ-साथ नजर रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर संभव हुआ तो कंपनियों को विवाद से बचाने और अगर कोई विवाद हुआ तो इसके बिना किसी देरी के समाधान की व्यवस्था होनी चाहिए।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित नैशनल एमएनसी काॅन्फ्रेंस, 2020 को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। वित्त मंत्री ने कर संबंधित मामलों के लिए दो विवाद समाधान योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि आखिर क्यों हमें ये दोनों योजनाएं शुरू करनी पड़ीं। इनमें एक योजना ‘सबका विश्वास’ और दूसरी ‘विवाद से विश्वास’ थी। हालांकि मैं मानती हूं कि हमें एक ऐसी मजबूत व्यवस्था तैयार करने की जरूरत है, जिससे कर विवादों का निपटारा साथ-साथ चलता रहे और इसके लिए किसी खास मौके या समय का इंतजार नहीं करना पड़े।
अगर यह व्यवस्था क्रियान्वित होती है तो इससे करदाताओं को बकाया कर का भुगतान कर मामला निपटाने में मदद मिलेगी और उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से निजात मिल जाएगी। इस बारे में एक विशेषज्ञ ने कहा कि ऐसा मध्यस्थता के जरिये भी किया जा सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार इसके तहत कर की मांग आने पर किसी करदाता को विवाद सुलझाने का अवसर दिया जा सकता है और इसके बदले उसे जुर्माने और ब्याज आदि के भुगतान से छूट मिल जाएगी।