Avdhesh Jain
- July 22, 2020
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Even in times of international crisis of Corana, trust in each other remained intact
This is the biggest achievement
The Action Group is a 44 years old Conglomerate with a leading presence in the Footwear, Steel & Power, Chemicals, Real Estate, Health Care & Electronics. Now the group has forayed into manufacture of Engineering Panels under the brand name – Action Tesa
Everyone tries to save themselves in difficult times. In the crisis of Corona, of course everyone is shackled, But the biggest achievement we have seen that Mutual Trust in the business has grown up. Payment inflow is regular, may be a bit slow. Apart from this, whether it is a raw material supplier or the dealer or the manufacturer, everyone has supported each other. Ply Insight is interacting with various industrialists at the time of Corona, to find out, how we can come out of this crisis. This time the highlights of conversation with Sri Avadhesh Jain, GM of Action Tesa.
What is the situation in cities other than Metros ?
Yes, it is right that working is better there at present. But overall demand is poor. Even if there is demand in these cities, total output of Metros cannot be covered. Maharashtra is still closed. There is lockdown in Tamil Nadu. One-third of India’s market is closed, that’s why demand is poor.
It is true, that, market condition is better than Feb-March. Finance is recovering. Although tightness of payment is seen from some dealers. But still the overall situation can be said satisfactory. It is right that money is much needed at present to cover up the backlog. So we all are moving together, in such a way, that the flow of money is not interrupted. Supplies must be continued, with every precaution. Yet, we have to compromise somewhere.
Is the payment crisis more significant in bulk purchasers?
No. For us, the dealer is considered big, who is consuming more. If the off take from Action Tesa is low,he will not be called Bulk purchaser for us. So that dealer becomes more important to us, who is picking in quantity,and his payments is on time. There are some dealers who are trying to delay payments by taking advantage of the situation. But the good thing is that such cases are rare.
It was felt that Payment will be disturbed during the lockdown.
No, it did not happen. Although it was feared. But the payment flow is satisfactory, It is not as such a problem. The biggest achievement in Corona is , Mutual Trust between business houses was strengthened even more. Two-Three percent defaulters are a fact, even before corona, and they will remain even after.
Thinking about coming months , when the normalcy is expected
The market recovery that is seen since June, should now be carried forward. Lockdown conditions is improving. Now there is demand in the market, it will remain intact, we hope. Rainy season is less likely to affect the business, we assume. Situation will be more clear, when the entire market opens up after November and December. Hopefully the demand is likely to increase with the opening of the entire market. More over, confidence is built for the Indian product, a very good sign, indeed.
It is also said that import quality is better, dependence on it, is necessary.
No, we are producing international quality. The difference is that Imports are slightly cheaper. Our manufacturing cost is slightly higher but of course, with a much better quality. And this will certainly pay in long run.
कोराना जैसे अंतराष्ट्रीय संकट के समय भी एक दूसरे पर विश्वास बना रहा, यह सबसे बड़ी उपलब्धि है
मुश्किल वक्त में हर कोई खुद को बचाने की कोशिश करता है। कोरोना का जो संकट है, निश्चित ही एक बार तो इससे सब कुछ हिल गया है। लेकिन इसमें भी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है, वह यह है कि हमारे बिजनेस में एक दूसरे पर विश्वास बना रहा। जो पैमेंट होनी थी, वह हो रही है, भले ही रफ्तार थोड़ी कम है, लेकिन पैमेंट का आना बड़ी बात है। इसके अलावा चाहे कच्चा माल सप्लाई करने वाले हो या डीलर या फिर उत्पादक हर किसी ने एक दूसरे को आगे बढ़ाने का काम किया है। प्लाई इनसाइट ने कोरोना के समय प्लाइवुड से जुड़े अलग अलग उद्योगपतियों से बातचीत की। जानना चाहा कि कैसे इस संकट के समय में हम निकल सकते है। अपने इसी प्रयास में इस बार श्री अवधेश जैन … से बातचीत के मुख्य अंश..।
मेट्रो सिटी को छोड बाकी शहरों के क्या हालात है?
हां यह सही है कि यहां काम है। लेकिन ओवरओल डिमांड कम है। इन शहरों से यदि डिमांड आ भी रही है ,तो भी मैट्रो सिटी की डिमांड की कमी को पूरा नहीं कर सकती है। महाराष्ट्र अभी बंद है। तमिलनाडू में लॉकडाउन की स्थिति है। भारत का एक तिहाई मार्किट बंद है, इस वजह से अभी डिमांड काफी कम आ रही है।
यह सही है कि अभी फरवरी मार्च से बेहतर स्थिति है। पैमेंट भी आ रही है। कुछ जगह पैमेंट की दिक्कत है। लेकिन फिर भी स्थिति ठीक ही कह सकते हैं। यह सही है कि अभी पैसा चाहिए। इसलिए हम सभी मिल कर इस तरह से आगे बढ़ रहे हैं कि पैसे का प्रवाह बाधित न हो। माल निकलते रहना चाहिए। यह भी ध्यान रखना पड़ रहा है कि जहां से पैसा आने की संभावना है, वहीं माल भेजा जाना चाहिए। इसके लिए कहीं समझौता करना पड़ता है, कहीं थोड़ा टाइट रह कर काम करना पड़ रहा है।
पैमेंट के मामले में क्या बड़े डीलरों से पैमेंट की समस्या ज्यादा आ रही हैं
नहीं देखिए, हमारे लिए वह डीलर बड़ा है, जो हमारा माल ज्यादा उठा रहा है। अब वह डीलर जो माल तो बहुत ज्यादा बेच रहा है, लेकिन हमारे से कम माल ले रहा है। तो वह हमारे लिए छोटा है। इसलिए हमारे लिए वह डीलर ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। जो माल ज्यादा उठा रहा है, वह पैमेंट भी समय पर कर रहा है। कुछ डीलरों से पैमेंट की दिक्कत आ भी रही है। कुछ डीलर हालात का हवाला देकर पैमेंट रोकने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि ऐसे मामले कम ही हैं।
लॉकडाउन शुरू होने पर लग रहा था कि मार्किट से पेमेंट रिकवरी कम होगी
नहीं ऐसा हुआ नहीं। हालांकि यह लग रहा था। लेकिन पैमेंट का भुगतान हो रहा है। इसमें अधिक समस्या नहीं आ रही है। कोरोना में सबसे बड़ी बात यह रही कि व्यापारी और उद्योगपति के बीच में विश्वास बना रहा। यह इस मुश्किल दौर की बड़ी उपलब्धी कही जा सकती है। पैमेंट रोकने वाले दो से तीन प्रतिशत लोग होते हैं, वह कोरोना से पहले भी थे, अब भी है। आगे भी रह सकते हैं।
जुलाई और अगस्त में क्या सोच रहे हैं, कब तक हालात सामान्य हो सकते हैं
जून से जो मार्किट रिकवर हुआ है, अब इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। लॉकडाउन की स्थिति में सुधार है। अब जो बाजार से डिमांड आ रही है, वह तो बरकरार रहेगी ही। बरसात का सीजन तो हैं, लेकिन इससे ज्यादा अंतर बिजनेस पर आने की संभावना कम है। नवंबर दिसंबर के बाद जब मार्किट पूरा खुल जाएगा तो पता चलेगा कि हालात क्या रहते हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरा मार्किट खुलने से डिमांड बढ़ने की संभावना है। क्योंकि भारतीय उत्पाद के प्रति एक विश्वास पैदा हुआ है।
यह भी कहा जाता है कि आयात का माल ज्यादा अच्छा है, इस पर निर्भरता जरुरी है
नहीं ऐसा नहीं है, हम अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता का माल तैयार करते हैं। अंतर है तो यह है कि वहां का माल थोड़ा सस्ता है, तो उनकी क्वालिटी भी तो हल्की है। हमारे यहाँ थोड़ी लागत ज्यादा है तो क्वालिटी भी तो काफी बेहतर है।