Builder’s Investigation is Necessary Before Investing in Under Construction Project
- October 12, 2022
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Recently, two towers built by Supertech Company were demolished inside the Emerald Cord in Noida. By ordering their demolition, the Supreme Court has given a clear message that violation of the rules and norms related to building construction will not be tolerated at any cost, no matter how big the building is and no matter how much it costs. This incident is also a warning bell for those people who are going to buy a house. When we go to buy a house, builders often claim us to have completed all the paperwork, get a No Objection Certificate (NOC) and have the building as per rules. But if you want to avoid getting into litigation or getting into a dispute with the developer, then you have to work hard to know the truth of his claims and promises. At least the Twin Tower incident has shown how important the exercise is.
Major violations
In Twin Tower, the developer made frequent changes in the building plan and kept increasing the number of storeys. In the Noida Building Rules, certain rules have been given to avoid disasters. While building tall buildings, developers have to maintain a certain distance between the towers, which is decided according to the height of the towers.
In this case, the two towers were much closer to each other than the distance fixed by the rules. When towers are built too close to each other, there is also a hindrance in the movement of sunlight and air. The provisions of the Uttar Pradesh Apartments Act were also violated here. According to this law, if the developer has sold a flat in a project, he has to take the consent of the people who have bought the house there before making major changes in the building plan. But this was not done in this case. In the initial plans of the project, that area was described as a green area. Later, the developer erected two towers on the same land, depriving the buyers of the greenery they had been promised.
Approved plan
It has become clear from the Twin Tower case that even the approved plan can be put on hold. Here the developer had the approved plan. This shows that even the approved scheme does not keep home buyers 100 per cent safe. People going to buy a house should not be satisfied with the developer saying that he has all the approvals. They should do their own investigation.
Check land and building
All those looking to buy a house in an under construction project and those looking to buy an expensive home should speak to a real estate consultant or lawyer who will do a thorough investigation on their behalf. Even if you have to spend something out of your pocket for this, you should not hesitate. With his help, check the papers etc. of the land on which the building is being built. The building code and rules should not be violated even in the superstructure.
Check whether the height of the building and earthquake protection measures are in accordance with the building rules. These are the kind of violations that can tear down your entire building.
Also make sure that all the approvals have been taken from various departments and officials. The height of the building should be approved by the Aviation Authority. Similarly, there should be environmental NOC and approval related to water, electricity etc. Also make sure that no condition has been added to the approval. Delays in getting approvals often lead to delays in projects and buildings.
Developer check up
After that, check the previous record of the developer also thoroughly. It is important to find out whether the builder has completed his previous plans and prepared on time. People going to buy houses should talk to government officials as well as those living in previous projects to know their experience, quality of construction and also to know whether they got houses on time or not. . Another suggestion is to ensure that the project is registered with the Real Estate Regulatory Authority (RERA) before finalizing the deal and starting the payment. After buying a house, if you find any fault with the builder, file a complaint with RERA or consumer court. When the real estate market is on the rise, most of them get in a hurry and start following others without hesitation. In the desire of immediate benefits, people start buying a house without checking and keeping caution in mind. Now that the market is rising again and many buyers are turning to the projects being completed without approval. This should be avoided.
निर्माणाधीन परियोजना में निवेश से पहले
बिल्डर की जांच पड़ताल जरूरी है
हाल में ही में नोएडा में एमरल्ड कोर्ड के भीतर सुपरटेक कंपनी के बनाए दो टावर गिरा दिए गए। उन्हें गिराने का आदेश देकर उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भवन निर्माण से जुड़े नियमों और पैमानों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जाएगा चाहे इमारत कितनी भी बड़ी क्यों न हो और कितने भी खर्च से क्यों न बनी हो। यह घटना उन लोगों के लिए भी सावधान होने की घंटी है, जो मकान खरीदने जा रहे है। जब हम मकान खरीदने जाते है तो अक्सर बिल्डर हमसे सभी कागजी कार्रवाही पूरी होने, अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिलने और नियमों के मुताबिक ही इमारत होने का दावा करते हैं। मगर मुकदमेबाजी से या डेवलपर के साथ विवाद में उलझने से बचना है तो उसका दावों और वादों की सच्चाई जानने के लिए आपको मेहनत करनी होगी। कम से कम द्विन टावर की घटना ने तो बता ही दिया है कि कवायद कितनी अहम है।
बडे़ उल्लंघन
द्विन टावर में डेवलपर ने बिल्डिंग प्लान में बार-बार बदलाव किया और मंजिलों की संख्या बढ़ाता रहा। नोएडा भवन नियमों में आपदाओं से बचने के लिए कुछ खास तरह के कायदे दिए गए हैं। ऊंची इमारतें बनाते समय डेवलपरों को टावरों के बीच एक खास दूरी बनाए रखनी होती है, जो टावरों की ऊंचाई के हिसाब से तय की जाती हैं। इस मामले में दोनों टावर नियमों में तय दूरी के मुकाबले एक-दूसरे के काफी करीब बने हुए थे।
जब टावर एक-दूसरे के बहुत करीब बनाए जाते हैं तो सूरज की रोशनी और हवा की आवाजाही में भी रूकावट आती है।
यहां उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया था। श्इस कानून के मुताबिक अगर डेवलपर किसी परियोजना में फ्लैट बेच चुका है तो उसे बिल्डिंग प्लान में बड़े बदलाव करने से पहले वहां मकान खरीद चुके लोगों की रजामंदी लेनी ही पड़ेगी। मगर इस मामले में ऐसा नहीं किया गया था।
परियोजना के शुरूआती नक्शों में उस इलाके को ग्रीन एरिया यानी हरियाली वाला हिस्सा बताया गया था। बाद में डेवलपर ने उसी जमीन पर दो टावर खडे़ कर दिए, जिससे खरीदार उस हरियाली से वंचित हो गए, जिसका वादा उनसे किया गया था।
स्वीकृत योजना की धज्जियां
द्विन टावर मामले से यह साफ हो गया है कि मंजूरी मिली योजना को भी ताक पर रखा जा सकता है। यहां डेवलपर के पास मंजूरी प्राप्त योजना थी। इससे पता चलता है कि मंजूरी मिली योजना भी मकान खरीदारों को 100 फीसदी महफूज नहीं रख पाती। मकान खरीदने जा रहे लोगों को डेवलपर के यह कहने भर से संतुष्ट होकर नहीं बैठ जाना चाहिए कि उसके पास हर तरह की मंजूरी है। उन्हें अपनी ओर से पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए।
जांचें जमीन और इमारत
इमारत तैयार की जा रही है। सुपरस्ट्रक्चर में भी भवन संहित और नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
देख लें कि इमारत की ऊंचाई और भूकंप से बचाव जैसे इंतजाम भवन नियमों के अनुसार हैं या नहीं। ये इस तरह के उल्लंघन हैं जिनके कारण आपकी पूरी इमारत डहाई जा सकती है।
किसी निर्माणधीन परियोजना में मकान खरीदने जा रहे सभी लोगों को और महंगा मकान खरीद रहे लोगों को रियल एस्टेट सलाहकार या वकील से बात करनी चाहिए, जो उनकी और से पूरी जांच-पड़ताल करें। इसके लिए अपनी जेब से कुछ खर्च करना पड़े तो भी गुरेज नहीं करना चाहिए।
उसकी मदद से उस जमीन के कागज आदि जांच ले, जिस पर यह भी पक्का कर लें कि विभिन्न विभागों और अधिकारियों से सभी प्रकार की मंजूरी ले ली गई हैं या नहीं। इमारत की ऊंचाई के लिए विमानन प्राधिकरण से मंजूरी मिली होनी चाहिए। इसी तरह पर्यावरण संबंधी एनओसी और पानी, बिजली आदि से जुड़ी मंजूरी भी होनी चाहिए। यह भी देख लें कि मंजूरी के साथ किसी तरह की शर्त तो नहीं जोड़ दी गई है। मंजूरी मिलने में देर होने से ही अक्सर परियोजनाओं और इमारतों में देर होती है।
डेवलपर की भी पड़ताल
इसके बाद डेवलपर का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छी तरह खंगाल लें। यह पता करना जरूरी है कि बिल्डर ने अपनी पिछली योजना पूरी की है या नहीं और समय पर तैयार की है या नहीं। मकान खरीदने जा रहे लोग सरकारी अधिकारियों से इसका पता करने के साथ ही पिछली परियोजनाओं में रहने वालों से भी बात करें ताकि उनका अनुभव, निर्माण की गुणवत्ता का पता चल सके और यह भी पता लगे की उन्हें मकान तय समय पर मिल गए थे या नहीं। एक सलाह यह भी है कि मकान का सौदा पक्का करने और भुगतान शुरू करने से पहले यह भर पक्का कर लिया जाए कि वह परियोजना रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के पास पंजीकृत है या नहीं।
मकान खरीदने के बाद अगर आपको बिल्डर की कोई गड़बड़ी नजर आती है तो रेरा या उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करें। जब रियल एस्टेट बाजार चढ़ रहा होता है तो ज्यादातर लोग हड़बड़ी में आ जाते हैं और सोचे-समझे बगैर दूसरों की तरह काम करने लगते है। तुरंत फायदे की इच्छा में लोग सावधानी को ताक पर रखकर जांचें-पड़ताले बगैर मकान खरीदने चल पड़ते है। अब जब बाजार फिर चढ़ रहा है और कई खरीदार मंजूरी के बगैर ही तैयार हो रही परियोजनाओं का रूख करने लगे है। इससे बचना चाहिए।