Cash is admissible in Covid Expenses
- May 11, 2021
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The Central Board of Direct Taxes (CBDT) has said that hospitals, nursing homes, Covid care centres, or similar medical facilities providing treatment for coronavirus can accept cash payment of Rs 2 lakh or more till May 31. This can be done only after receiving valid identity proof such as PAN card or Aadhaar of the patient and by informing about the relationship between the patient and the payee.
At present, the I-T Act restricts any person from receiving an amount of Rs 2 lakh or more in cash, from a person in a day, in respect to a single transaction or in respect to transactions relating to one event or occasion from a person. In case of violation, it attracts 100 per cent penalty on the amount taken in cash.
The tax department is of the opinion that the exemption would help patients get timely treatment and also encourage transparent billing by hospitals in case of cash receipt. Tax experts, however, feel that such caveats may discourage people from helping critical patients out of fear of getting scrutinised later by the tax department.
The circular allows people to pay hospital bills in cash but they may have to explain the source, if income later doesn’t match with the returns of the payer. Also, it may create confusion as there could be cases where not one but many relatives will be contributing for the treatment of one patient.
Section 269SS and 271D of I-T the Act (deals with cash payments and penalty) was introduced by the government in 2017, post note ban, to discourage black money generation.
कोविड खर्च के लिए नकद भुगतान की अनुमति
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अस्पतालों, नर्सिंग होम, कोविड केयर सेंटरों या इसी तरह के अन्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों को कहा है कि वे 31 मई तक कोरोनावायरस के उपचार के लिए दो लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि स्वीकार कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें मरीज और भुगतानकर्ता दोनों से पैन या आधार जैसे किसी वैध पहचान साक्ष्य हासिल करना होगा और उनके बीच के संबंध की जानकारी रखनी होगी।
फिलहाल आयकर अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति से एक बार में या किसी एक काम या अवसर के लिए किसी एक व्यक्ति से 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि प्राप्त नहीं कर सकता है। इसका उल्लंघन होने पर नकद ली गई राशि के बराबर जुर्माना लगाने का प्रावधान है। कर विभाग का मानना है कि छूट देने से मरीज को समय पर उपचार करने में मदद मिलेगी और नकद प्राप्ति पर अस्पतालों को पारदर्शी तरीके से बिल बनाने का भी प्रोत्साहन मिलेगा।
वहीं कर विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की चेतावनियों से गंभीर मरीजों की नकद राशि से मदद करने से लोग हिचकेंगे क्योंकि उन्हें बाद में कर विभाग की ओर से जांच का सामना करने का डर सताएगा। आदेश के तहत लोगों को अस्पताल का बिल नकद चुकाने की अनुमति दी गई है लेकिन यदि आगे चलकर आय भुगतानकर्ता के आय के रिटर्न से मेल नहीं खाता है तो उन्हें इसका स्रोत बताना पड़ सकता है। साथ ही इससे संदेह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां एक नहीं बल्कि कई संबंधी एक मरीज के उपचार के लिए योगदान कर रहे होंगे।