China’s lockdown damages the economy of the world
- June 23, 2022
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Chinese President Xi Jinping’s imposition of lockdown in 45 districts in the name of zero tolerance regarding Covid seems to be a controversial decision.
China is the world’s largest importing and exporting country. If imports and exports in China are disrupted, then raw materials start becoming cheaper for China and the products made by them start becoming expensive from bicycles to semiconductors.
China’s total imports decreased by 25 percent in March compared to August. 2021. There is a discussion among diplomats that China’s expenditure is coming down in the immediate phase and income may increase in the coming times. That is, profit from both sides.
But, due to this decision of China, the world economy will be forced to bear the brunt of high inflation. Central banks will have to raise interest rates, which will lead to a severe economic slowdown.
100 percent of India’s potash comes from China, which is an important part of manure. If the supply is disrupted, Kharif crops will be affected. In such a situation, if China fulfills its diplomatic interests in the name of helping poor-forced countries and takes possession of their roads, rails, canals, ports, mines, then it will be like a big victory without war.
चीन के लॉकडाउन से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को नुकसान
चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग का कोविड को लेकर जीरो टॉलरेंस के नाम पर 45 जिलों में लॉकडाउन लगा देना एक विवादित निर्णय जान पड़ता है।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा आयात और निर्यात करने वाला देश है। अगर चीन में आयात और निर्यात बाधित हो जाए तो चीन के लिए कच्चा माल सस्ता होने लगता है और उसके बनाए साइकिल से सेमिकंडक्टर तक महंगे होने लगते हैं।
अगस्त 2021 की तुलना में चीन का कुल आयात मार्च में 25 प्रतिशत घटा है। कूटनीतिज्ञों में चर्चा है कि तात्कालिक तौर पर चीन का खर्चा कम हो रहा है और आने वाले समय में आमदनी बढ़ सकती है। यानी, दोनों तरफ से लाभ।
लेकिन, चीन के इस फैसले से दुनिया की अर्थव्यवस्था अधिक महंगाई की मार झेलने पर मजबूर हो जाएगी। केंद्रीयं बैंकों को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ेंगी, जो घोर आर्थिक मंदी को जन्म देगा।
भारत का तो 100 प्रतिशत पोटाश चीन से आता है, जो खाद का अहम हिस्सा है। सप्लाई बाधित हुई तो खरीफ फसलों पर असर पड़ेगा। ऐसे में अगर चीन गरीब दृ मजबूर देशों को मदद देने के नाम पर अपने कूटनीतिक हितों की पूर्ति करता है और उनके रोड, रेल, नहर, पोर्ट, खदानें अपने कब्जे में कर लेता है तो यह बिना यूद्ध किए एक बड़ी जीत जैसी होगी।