With the increase in the area of ​​agro-forestry, demand for setting up a forest research center in Haryana is gaining momentum.

As the agro-forestry is expanding its area in Haryana. Regular new research is needed for it. So that farmers can get proper guidance and solution. Ghanshyam Das Arora MLA Yamunanagar said that for this purpose, Forest Research Center or Agro-Forestry University should be established in the state. Specifically in Yamunanagar. Because the area under agro-forestry is substantial in the district. The MLA has also briefed CM Manohar Lal in this regard.

Then there is agro-forestry on about 18 thousand hectares In Yamunanagar. This includes Safeda and poplar crops.

Similarly, agro-forestry is being done in 15 thousand hectares in Ambala, 11 thousand in Kurukshetra, 7 thousand in Karnal, 6 thousand hectares in Kaithal.

However, to increase plantation, every year four lakh saplings are being supplied to the farmers in every district of the state by the Forest Department.
The MLA said that because a large part of the forest areas in Haryana is under agro-forestry University. There should be a forest research center or a agriculture and forestry. Its absence has been felt for a long time. New varieties are not coming up. Farmers face problems because of insects and diseases. If Forest Research Center or Agricultural and Forestry University Starts in the district, it will be a big relief.

Subhash Jolly Wood Technology Association president has supported the demand raised by the MLA. “Till such an institute is not opened here, the help of scientists of Forest Research Institute, Dehradun can be taken. A place should be ensured in Yamunanagar, where the scientists of FRI can come and listen to the farmers and guide them headed.”

FRI is ready to help and associate as the distance from Yamunanagar to FRI Dehradun is only 100 kms. So the Basic idea of associating with FRI should be implemented immediately. Because this is the biggest requirement of present day. It may take some time to become a university or center, but it will not take any time to take the services of FRI scientists, just one initiative has to be taken.

It is also worth noting that the state government is enthusiastic on the growth of wood based industries. Now more and more industries can be set up in the state. Obviously, if this happens, there will be spur in demand for wood as raw material. For this, farmers should be motivated to do timber cultivation on a large scale. in this way also, a research center in the area, can do a great job by helping in the production of wood.

Subhash Jolly, president of Wood Technology Association, believes that Agro-forestry has immense potential in Haryana. He said that Yamunanagar MLA Ghanshyam Das Arora and CM Manohar Lal are continuously working to promote agro-forestry in the state and the farmers are getting a lot of benefits.

Subhash Jolly told that farmers, wood based industries, government representatives and scientists should come on one platform. It should be targeted that agro-forestry can be promoted more and more in the state. It should also be the increases in income of farmers doing agro-forestry can be acquired. Industry is also cooperating in the mission. Many webinars have been organized upon the subject. Almost every industrialist is ready to promote agro-forestry. It was the outcome in the webinars.

New or better intercrop in Agroforestry should also be discovered. That crop should be delivered to the farmers after proper research. Haryana can become an example for the country in agro-forestry if the advanced seeds are provided to the farmers on time.

Prime Minister Narendra Modi has also praised Manohar Lal for the advancement in the field of agro-forestry. It is certainly a matter of pride for the state.

Subhash Jolly said that this is the best time that we should also make a proper policy regarding agro-forestry. Because in future agro-forestry is going to be the main source of income for the farmers. Hence, there is immense potential in this field.

Rohit Chauhan, a student of MSc Agriculture, told that Small farmers can also get good income from agro-forestry. Plantation can be done on the ridge of the field. The government is also giving help for agroforestry plantation.

The risk in agro-forestry is low, so it is proving to bevery effective for the farmers. Along with this, farmers also play an important role in environmental protection. He told that there are many farming methods like Agri Horti Culture, Agri Silviculture, Silvi Postoral, Heart Agri Silviculture, which can prove to be very effective for the farmers.

The consumption of poplar is on large scale in the district. There are more than 400 units of plywood here and More than one lakh people are employed. One to 1.5 lakh quintals of wood is consumed every day. The ply boards prepared here are being supplied to different parts of the country including Nepal, Sri Lanka and Bangladesh. Popular and Safeda wood is reaching the market here from different districts of the state, Punjab and Uttar Pradesh.


यमुनानगर में वन अनुसंधान केंद्र बनाने की मांग


कृषि वानिकी का क्षेत्र बढ़ने से अब हरियाणा में वन अनुसंधान केंद्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही है

हरियाणा में कृषि वानिकी के क्षेत्र में जिस तरह से विस्तार हो रहा है। अब इसमें लगातार नए शोध की जरूरत है। जिससे किसानों को उचित मार्गदर्शन मिल सके। हरियाणा के यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा ने बताया कि इस लिहाज से प्रदेश में वन अनुसंधान केंद्र या कृषि वानिकी विश्वविद्यालय खोला जाना चाहिए। यह केंद्र यमुनानगर में होना चाहिए। क्योंकि जिले में कृषि वानिकी का क्षेत्र काफी है। इस संबंध में विधायक ने सीएम मनोहर लाल से बातचीत भी की है।

अगर यमुनानगर की बात की जाए तो यहां करीब 18 हजार हेक्टेयर पर कृषि वानिकी है। इसमें सफेदा व पॉपुलर की फसल शामिल है। इसी तरह से अंबाला में 15 हजार हेक्टेयर, कुरुक्षेत्र में 11 हजार, करनाल में सात हजार कैथल मे 6 हजार हेक्टेयर में कृषि वानिकी हो रही है। हालांकि इसका रकबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से हर वर्ष प्रदेश के हर जिले में चार लाख पौधे किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं।

विधायक महोदय ने बताया कि क्योंकि हरियाणा में वन क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा कृषि वानिकी में आ रहा है। यहां वन अनुसंधान केंद्र या कृषि व वानिकी विश्वविद्यालय की कमी लंबे समय से खल रही है। नई वैराइटियां तैयार नहीं हो पा रही है। कीड़े-बीमारियां आने की स्थिति में किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है। यदि जिले में वन अनुसंधान केंद्र या कृषि व वानिकी विश्वविद्यालय खुल जाए तो बड़ी राहत होगी।

वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष जोली ने मांग का समर्थन किया है। उन्होंने आगे कहा, “जब तक यहां इस तरह का संस्थान नहीं खुल जाता, तब तक देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद ली जा सकती है। यमुनानगर में एक जगह सुनिश्चित कर दी जाए, जहां एफआरआई के वैज्ञानिक आकर किसानों की बात सुन कर उनका मार्ग दर्शन कर सकते हैं।

एफआरआई इसके लिए तैयार है, क्योंकि यमुनानगर से एफआरआई देहरादून की दूरी मात्र सौ किलोमीटर है। इसलिए वहां की मदद ली जा सकती है, इस विचार को तुरंत ही अमली जामा पहनाया जाना चाहिए। क्योंकि यह आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। विश्वविद्यालय या केंद्र बनने में तो वक्त लग सकता है, लेकिन एफआरआई के वैज्ञानिकों की सेवा लेने में कुछ वक्त नहीं लगेगा, बस एक पहल भर करनी है।

यह भी ध्यान देने लायक बात है कि प्रदेश सरकार लकड़ी उद्योग को प्रोत्साहित करने को लालायित है इस तरह से देखा जाए तो अब ज्यादा से ज्यादा ॅठप् प्रदेश में लग सकते हैं। जाहिर है, यदि ऐसा होता है तो कच्चे माल के तौर पर लकड़ी की जरूरत होगी। इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जाए कि वह टिंबर की खेती बड़े पैमाने पर करे। इस तरह से भी देखा जाए तो यदि यहां कोई रिसर्च सेंटर होता है तो इससे लकड़ी के उत्पादन की दिशा में भी बड़ा काम हो सकता है।

वुड टेक्नोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष जोली का मानना है कि हरियाणा में कृषि वानिकी की दिशा में अभी बहुत काम हो सकता है। कृषि वानिकी की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि हालांकि यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा और सीएम मनोहर लाल लगातार प्रदेश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। सीएम मनोहर लाल जिस तरह से किसानों की आय को डबल करने की दिशा में दिन रात काम कर रहे हैं,इससे किसानों को काफी लाभ हो रहा है। इस क्रम में कृषि वानिकी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

सुभाष जोली ने बताया कि होना यह चाहिए कि किसान, लकड़ी उद्योग संचालक, सरकार के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक एक मंच पर आए। यह देखा जाए कि किस तरह से प्रदेश में कृषि वानिकी को और ज्यादा बढ़ावा दिया जा सकता है। यह भी देखा जाना चाहिए कि किस तरह से कृषि वानिकी करने वाले किसानों की आय बढ़े। इसमें इंडस्ट्री का भी सहयोग मिल रहा है। क्योंकि इसको लेकर कई सेमिनार आयोजित हुए है। लगभग हर उद्योगपति कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। ऐसा वेबीनार में पता चला।

होना यह भी चाहिए कि कृषि वानिकी में इंटर क्रॉप क्या हो सकती है? वह फसल किसानों तक पहुंचाई जाए। बीज भी किसानों को समय पर मिले तो हरियाणा कृषि वानिकी में देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मनोहर लाल की कृषि वानिकी के क्षेत्र में किए जा रहे कामों को लेकर सराहना की है। निश्चित ही प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है।

सुभाष जोली ने बताया कि अब वक्त आ गया कि हमें कृषि वानिकी को लेकर उचित नीति भी बनानी चाहिए। क्योंकि आने वाले वक्त में कृषि वानिकी किसानों की आय का मुख्य माध्यम बनने जा रहा है। इस तरह से देखा जाए तो इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं है।
एमएससी एग्रीकल्चर के छात्र रोहित चौहान ने बताया कि कम जमीन के किसान भी कृषि वानिकी से अच्छी आय ले सकते हैं। खेत की मेढ़ पर पौधारोपण हो सकता है। कृषि वाणिकी के लिए सरकार भी मदद दे रही है।

कृषि वानिकी में जोखिम कम है,इसलिए भी किसानों के लिए यह कारगर साबित हो रही है। इसके साथ ही किसान पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एग्री हॉर्टी कल्चर, एग्री सिल्वीकल्चर, सिल्वी पोस्टोरल, हार्ट एग्री सिल्वीकल्चर जैसी कई कृषि पद्धती है, जो किसानों के लिए खासी कारगर साबित हो सकती है।

जिले में पापुलर की खपत बड़े स्तर पर है। यहां प्लाइवुड की 400 से अधिक इकाइयां हैं। एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। एक से सवा लाख क्विंटल लकड़ी की हर दिन खपत है। यहां तैयार प्लाइबोर्ड देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ नेपाल, श्रीलंका व बांग्लादेश भी सप्लाई हो रहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों, पंजाब व उप्र से पापुलर व सफेदा की लकड़ी यहां की मंडी में पहुंच रही है।

–  मनोज ठाकुर