Editorial August 2020
- August 27, 2020
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It is difficult to estimate the rapid rise
in the market from current levels
Is it correct to assume that markets are now overcome with concerns?
It is difficult to talk of any big rise from the current levels in the market. It may be fair to say, however, that the recent acceleration in all sectors indicates an uptick in the reopening of the economy and a resumption of demand. still,Given the improvement in the markets, we see a very low probability of the markets in India as well as in the global reaching levels of march 2020 again. The reason for this is that due to lockdown and social distancing during the last three-five months, control of corona epidemic has been found in many parts of the world. Since the low levels of March, strong fiscal and monetary strengthening measures have been taken by many governments worldwide. Efforts are being made rapidly in many medical institutes across the world regarding the treatment of Kovid virus. In addition, economies globally are trying to emerge from the pressure of lockdown.
Are markets underestimating the pressure in the economy?
Along with the softening of interest rates in recent times, India is likely to get support from better rural scenario and strong agricultural economy. However, given the tight lockdown, weak urban demand is expected to put pressure on the overall economy and it may take four to six quarters to improve. Although markets are not considering FY2021 earnings as more responsible for any pressure, the delay or any disappointment in FY2022 on earnings improvement could pose a downside risk to the market. We have to move cautiously.
बाजार में मौजूदा स्तरों से तेजी का अनुमान है कठिन
क्या यह समझना सही है कि बाजार अब चिंताओं से उबर गए हैं?
बाजार में मौजूदा स्तरों से किसी बड़ी तेजी की बात करना कठिन है। हालांकि यह कहना उचित हो सकता है कि सभी क्षेत्रों अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने को लेकर उत्साह बढऩे और मांग बहाल होने का संकेत मिलता है। फिर भी, हमें वैश्विक के साथ-साथ भारत में बाजारों के फिर से मार्च 2020 के स्तरों पर पहुंचने की काफी कम संभावना दिख रही है। पिछले तीन-पांच महीनों के दौरान लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाया जा चुका है। मार्च के निचले स्तरों के बाद से दुनियाभर में कई सरकारों द्वारा मजबूत राजकोषीय और मौद्रिक मजबूती के उपाय किए गए हैं। दुनियाभर में कई चिकित्सा संस्थानों में कोविड वायरस के उपचार को लेकर प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं। इसके अलावा वैश्विक तौर पर अर्थव्यवस्थाएं लॉकडाउन के दबाव से उभरने के लिए प्रयास कर रही हैं।
क्या हम बाजार अर्थव्यवस्था में दबाव को कम आंक रहे हैं?
हाल के समय में ब्याज दरों में नरमी के साथ-साथ भारत को बेहतर ग्रामीण परिदृश्य और मजबूत कृषिगत अर्थव्यवस्था से समर्थन मिलने की संभावना है। हालांकि, सख्त लॉकडाउन को देखते हुए कमजोर शहरी मांग से कुल अर्थव्यवस्था पर दबाव पैदा होने की आशंका है और उसमें सुधार आने में चार से छह तिमाहियों का समय लग सकता है। हालांकि बाजार वित्त वर्ष 2021 की आय को किसी तरह के दबाव के लिहाज से ज्यादा जिम्मेदार नहीं मान रहे हैं, लेकिन वित्त वर्ष 2022 में आय सुधार को लेकर विलंब या किसी तरह की निराशा से बाजार के लिए गिरावट का जोखिम पैदा हो सकता है। हमें अपने कदम सावधानी से उठाने पड़ेंगे