Editorial 2021

Because Indian businessmen and industrialists know how to get rid of problems, they are doing well in difficult times.

In the midst of all the bad news from the slowdown in the economy during the corona period, this information gives a great relief that some industries are doing better than expected. That too when the gross domestic product (GDP) growth rate fell to -23.9 per cent during the April to June quarter. GDPs are also projected to fall by 10 to 12 per cent in the next quarter (July-September). But if this is indeed true, then we can say that the recession has come. But this is not true. Because the results released by the manufacturer Ambuja, it was reported that the consolidated net profit grew by 50.5% on an annual basis. The company’s net profit is higher this time than last year. Ambuja’s share price is at a two-year high. Ultratech sales have increased. This growth is not just for the cement industry, but also in steel, paint, packaging, chemicals, pharmaceutical plywood, laminate, MDF and software, the results are much better than expected. Some have also given better results than the same period last year. Many companies have raised more revenue while reducing their costs.

It would not be wrong to say that when everyone was assuming that the era of recession is coming, our industry is doing better in such a situation. These are pleasant signs. It is indicating that our industrialist and businessman is writing a new gesture of success in these difficult times, bypassing complex subjects like GDP. This is also the specialty of our industry and business.

In such a situation, the question is why the assumptions made about the economy proved to be wrong. The big reason for this is that there has been a lack of adequate data on the economy. Statistics change rapidly. Because of this the estimate is disturbed. The second reason is that the presumption of downfall in the economy is also disturbed because, according to the new theory, markets and economies are complex, emerging and flexible systems. If we examine these three qualities, then we will find that it is very difficult to make any guess.

Actually it happens that whenever uncertainty comes, the worst is imagined. This is a natural process. By doing this, we forget that something good can happen. Then instead of trying to expect good, we create an atmosphere of fear by engaging in negative things. In this we do not see what is going well in the market. Actually the market has its own behavior. Which is difficult to understand.

The late William Goldman, the Oscar-winning author of super hit films like ‘All the President’s Man’ and Bach Cassidy and the Sundance Kid, said that no one knows the fact of what kind of films will hits. The same thing applies to the Indian economy to some extent.

In the end, all we can say is that India’s business will be victorious. By keeping all estimates in mind, business activities in India will be advanced. There may be some shortcomings. But the future is good. The businessman here is combative.

If you see the rules, then the Bumble bee should not fly. Because his body is heavy and wings are weak, but Bumble bee still flies. Because the Bumble bee does not know this. So he tries and keeps flying. That’s how our businessmen are, who have nothing to do with GDP. Because GDP is the concept of big economists, and operates according to foreign countries. If we see it in the native language, it looks a different form. And this is the reason why our economy has been running smoothly even after GST or Notebandi closure. On the strength of our businessmen and industrialists, it kept rising higher. This is the quality of our economy.


क्योंकि भारतीय व्यापारी और उद्योगपति दिक्कतों से निजात पाना जानते हैं, इसलिए वह मुश्किल वक्त में भी कर रहे हैं अच्छा प्रदर्शन

करोना काल में अर्थव्यवस्था में आई मंदी से तमाम बुरी खबरों के बीच यह जानकारी खासी राहत देती है कि कुछ उद्योग उम्मीद से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। वह भी तब जब अप्रैल से जून तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर -23.9 फीसदी तक गिर गयी हो।अगली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भी जीडीपी 10 से 12 फीसदी की गिरावट के अनुमान लगाए जा रहे हैं। लेकिन यह यदि वास्तव में सच है तो फिर हम कह सकते हैं कि मंदी का दौर आ गया। लेकिन यह सच नहीं है। क्योंकि निर्माता कंपनी अंबुजा ने जो नतीजे जारी किए, इसमें बताया गया कि समेकित शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 50.5 फीसदी बढ़ा है। कंपनी का शुद्ध लाभ पिछले साल से इस बार ज्यादा है। अंबुजा के शेयर की कीमत दो साल के सर्वोच्च स्तर पर है। अल्ट्राटेक की बिक्री बढ़ी है। यह बढ़ोतरी सिर्फ सिमेंट उद्योग तक नहीं है, बल्कि इस्पात, पेंट, पैकेजिंग, रसायन, दवा प्लाईउड,लेमीनेट,एम डी एफ और सॉफ्टवेयर में भी परिणाम उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे हैं। कुछ ने तो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में बेहतर नतीजे भी दिए हैं। कई कंपनियों ने तो अपनी लागत में कमी करते हुए ज्यादा रेवेन्यु जुटाया है।

कहना गलत नहीं होगा कि जब हर कोई यह मान बैठा था कि अब मंदी का दौर आने वाला है, ऐसे में हमारे उद्योग बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सुखद संकेत हैं। यह इशारा कर रहा है कि जीडीपी जैसे जटिल सब्जेक्ट को दरकिनार कर हमारा उद्योगपति और बिजनेसमैन इस मुश्किल वक्त में सफलता की नई इबारत लिख रहा है। यहीं हमारे उद्योग और बिज़नेस की खूबी भी है।

तो ऐसे में सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान लगाया जाता है, वह गलत साबित क्यों हुए। इसकी बड़ी वजह तो यह है कि अर्थव्यवस्था को लेकर पर्याप्त आंकड़ों की कमी रही है। आंकड़े तेजी से बदलते रहते हैं। इस वजह से अनुमान गड़बड़ा जाता है। दूसरा कारण यह है कि अर्थव्यवस्था में डाउन फॉल को लेकर अनुमान इसलिए भी गड़बड़ा जाता है, क्योंकि नए सिद्धांत के मुताबिक बाजार और अर्थव्यवस्थाएं जटिल, उभरती एवं लचीली प्रणालियां हैं। अगर इन तीन खूबियों की पड़ताल करेंगे तो पाएंगे कि कोई भी अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।

दरअसल होता यह है कि जब भी अनिश्चितता आती है तो बुरे से बुरे की कल्पना होती है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। ऐसा करते हुए हम भूल जाते हैं कि कुछ अच्छा भी हो सकता है। तब बजाय इस बात के लिए कि हम अच्छे की उम्मीद करें, हम नेगटिव बातों में उलझ कर डर का माहौल बना लेते हैं। इस में हम यह देख ही नहीं पाते कि बाजार में अच्छा क्या हो रहा है। दरअसल बाजार का अपना व्यवहार होता है। जिसे समझना मुश्किल काम है।

‘ऑल दी प्रेसिंडेट्स मैन’ और बच कैसिडी और सनडांस किड जैसी सुपरहिट फिल्मों के ऑस्कर विजेता लेखक दिवंगत विलियम गोल्डमैन ने कहा था कि किस तरह की फिल्में हिट होती हैं, यह तथ्य कोई व्यक्ति नहीं जानता। यहीं बात अर्थव्यवस्था पर भी कुछ हद तक लागू होती है।

अंत में हम यही कह सकते हैं कि भारत का व्यवसाय जगत विजयी होगा। सभी अनुमानों को ताक पर रख कर भारत में बिज़नेस गतिविधियाँ उन्नत होगी।कभी थोड़ी बहुत कमियाँ रह सकती है। लेकिन भविष्य अच्छा है। यहां के बिजनेसमैन जुझारु है।

अगर तय नियम देखे तो भंवरें को उड़ना नहीं चाहिए। क्योंकि उसका शरीर भारी है और पंख कमजोर, लेकिन भवंरा फिर भी उड़ता है। क्योंकि भंवरे को यह मालूम नहीं होता। इसलिए वह कोशिश करता है और उड़ता रहता है। इसी तरह से हमारे बिजनेसमैन हैं, जिन्हें जीडीपी से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि जीडीपी बडे़ बड़े अर्थशास्त्रियों की अवधारणा है, और विदेशी हिसाब से चलती है। हम इसे देशी भाषा में देखे तो इसका एक अलग ही रूप नजर आता है। और यहीं वजह है कि जीएसटी हो या नोट बंदी इसके बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था सुचारु रूप से चलती रही हैं। हमारे व्यापारियों व उद्योगपतियों के दम पर और उंची ही उठती रही। यही हमारी अर्थव्यवस्था की खूबी है।

सुरेश बाहेती
9050800888