Editorial 2021

Activities had revived in the fourth quarter (Q4) of last Year, and in the second half the economy had emerged out of contraction and had entered positive territory. Then we had the interruption of the second wave, which peaked in May. If you look at the high speed indicators, sequentially there are growing signs of improvement in certain indicators. For example, data on freight traffic, GST e-way bills, import and export, electricity consumption, volume of transactions in the payment and settlement systems are showing sequential improvement. The lockdowns were localized this time and economic activities, including manufacturing, continued. Individuals and businesses have better adapted to Covid protocols. So, we can assume that the worst of the second wave is left behind. Economic activities are expected to improve further going into, August or into the second half. Further, congenial financial conditions continue to prevail and vaccination is gathering pace. Detailed assessment on that basis, we feel our projection of improvement in productivity can be very well achieved.

In the rural areas there was good agricultural production last year, and there are expectations of a good monsoon this year. Both of them provide strong support to the rural sector and going forward that should support rural demand and also incomes.

Change policies to promote industry and manufacturing

We have lot of cash crops, and are a unique landmass that can produce the rarest of fruit and vegetables. We have to reimagine how we see our plantations. We have to chalk out plans to make funds available for cold chains and processing centres for making value-added products from fruit, vegetables, and spices, which are aplenty in India.

Many people are willing to experiment with their ideas in this field. We need to handhold them and ensure they can make industrial raw materials from agricultural products, and get scale and market access. In the health sector also, we are to encourage small and medium industries to come up with products and ideas. We have to facilitate them via cheap loans and other help.

The problem is that the industrial atmosphere in the country has to change. The government of India needs to change its policies to promote industry and the manufacturing sector. We need to promote indigenous industry and indigenous knowledge and translate them into industrial production.


पिछले वर्ष की चैथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां सुधर गई थी और दुसरी छमाही में अर्थव्यवस्था सुस्ती से बाहर निकल गई थी और वृध्दि दर तेज हो गई थी। इसके बाद दूसरी लहर आ गई जो मई में चरम पर पहुंच गई। हर एक महीनों के आर्थिक संकेतकों पर गौर करें तो इनमें कुछ में सुधार के संकेत मिलने शुरु हो गए हैं। उदाहरण के लिए माल भाड़े, जीएसटी ई-वे बिल, आयात एवं निर्यात, बिजली उपभोग, भुगतान एवं निपटान प्रणाली में लेनदेन आदि में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। दूसरी लहर में लॉकडाउन सीमित स्तर पर था, इसलिए विनिर्माण सहित आर्थिक गतिविधियां में कोई बाधा नहीं आई। व्यावसायिक स्तर पर कोविड-19 से जुडी सावधानियों के साथ गतिविधियां जारी हैं और लोग भी काम-काज के लिए घरों से निकलने लगे हैं। इन बातों के मद्देनजर लगता है कि दूसरी लहर का असर पीछे छूट गया है। अगस्त में आर्थिक गतिविधियों में और सुधार आने की उम्मीद है। देश में कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान तेज हो रहा है और आर्थिक स्थिति सुधर रही है। इन सकारात्मक बातों को ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि आर्थिक विकास दर का लक्ष्य निश्चित ही हासिल किया जा सकता है।

पिछले वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में कृषि उत्पादन शानदार रहा था और इस वर्ष भी मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। उत्पादन में इजाफा और अच्छी वर्षा दोनों से ग्रामीण क्षेत्र को खासी मदद मिलती है और भविष्य में इससे इस क्षेत्र में मांग और आय में वृध्दि होनी चाहिए।

उद्योग और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बदलें

हमारे पास बहुत सी नकदी फसलें हैं, और हमारे पास एक अद्वितीय भूभाग हैं जो दुर्लभतम फल और सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं। हमें फिर से सोचना होगा कि हम अपने वृक्षारोपण को कैसे देखते हैं। हमें फल, सब्जियों और मसालों से मूल्य वर्धित उत्पाद बनाने के लिए कोल्ड चेन और प्रसंस्करण केंद्रों के लिए धन उपलब्ध कराने की योजना बनाई जानी चाहिए जो भारत में प्रचुर मात्रा में हैं।

बहुत से लोग इस क्षेत्र में अपने विचारों के साथ प्रयोग करने को तैयार हैं। हमें उन्हें संभालने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे कृषि उत्पादों से औद्योगिक कच्चा माल बना सकें, और पैमाने और बाजार तक पहुंच प्राप्त कर सकें। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी, हमें छोटे और मध्यम उद्योगों को उत्पादों और विचारों के साथ आने के लिए प्रोत्साहित करना है। हमें सस्ते कर्ज और अन्य मदद के जरिए उन्हें सुविधा देनी होगी।

समस्या यह है कि देश में औद्योगिक माहौल को बदलना होगा। भारत सरकार को उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव की जरूरत है। हमें स्वदेशी उद्योग और स्वदेशी ज्ञान को बढ़ावा देने और उन्हें औद्योगिक उत्पादन में बदलने की जरूरत है।

सुरेश बाहेती
9050800888