Effect of use of Less or Overcooked Resin in Plywood Manufacture – Dr. SK Nath
- January 13, 2023
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Period of condensation of the resin determines the length of the polymer formation.
If the resin is cooked for lesser time than schedule, length of polymer formed will be shorter.
This may lead to:
1) A smaller size polymer will penetrate more into porous veneer leaving a very small quantity of resin on the veneer surface.
This will lead to poor bond in plywood unless higher spread of glue is given.
This will increase glue line cost.
2) Less cooked resin will require higher hot press time to be cured.
Hence if the hot press time is not increased, resin will not be cured properly and bond in plywood will be poor.
Increase of hot press time will lead to lesser production.
3) Less condensed resin will leave higher percentage of un-reacted formaldehyde, trapped in the resin which will be released in air during spreading and hot pressing.
And will make the Surrounding uncomfortable and un–hygienic Plywood made with such resin will release more formaldehyde from plywood at the users end.
Effect of using over cooked resin for making plywood
The effects of using over cooked resin in making plywood are:
1) Storage life of resin will be shorter.
2) Chances of pre-cure of resin in making plywood will increase leading to poor bond and even delamination.
3) Water tolerance of resin will be less and hence, if extra water is added to mix the Extender/filler to the glue mix, there are chances of resin getting separated from the glue mix.
This will affect uniform glue spreading and ultimately lead to poor bond in plywood.
प्लाईवुड निर्माण में कम पकी रेजीन के उपयोग का प्रभाव
रेजीन के संघनन की अवधि, बहुलक (पोलीमर) गठन की लंबाई निर्धारित करती है।
यदि रेजीन को तय आवश्यक समय से कम समय में पका लिया जाता है, तो बनने वाले बहुलक की लंबाई कम होगी।
इससे ये हो सकता हैः
1) छोटे आकार का पॉलीमर विनियर के सुराखों में अधिक प्रवेश करेगा और विनियर की सतह पर रेजिन की बहुत कम मात्रा छोड़ेगा। यह प्लाईवुड में खराब बंधन का कारण बनेगा जब तक कि गोंद का उच्च फैलाव नहीं दिया जाता। इससे ग्लू लाइन की लागत बढ़ जाएगी।
2) कम पकी रेजीन को ठीक से पकाने के लिए अधिक हॉट प्रेस समय की आवश्यकता होगी। अतः यदि हॉट प्रेस का समय नहीं बढ़ाया जाता है, तो रेजीन ठीक से नहीं पकेगा और प्लाईवुड में बंधन खराब होगा। हॉट प्रेस टाइम बढ़ने से उत्पादन कम होगा।
3) कम संघनित रेजीन, रेजीन में फंस कर अप्रतिक्रियाशील फॉर्मेल्डिहाइड का उच्च प्रतिशत छोड़ देगा। जो स्प्रेडींग और हॉट प्रेसींग के दौरान हवा में फैल जाएगा। और आसपास को असहज और अस्वच्छ बना देगा इस तरह के रेज़िन से बने प्लाइवुड, अंत में उपयोगकर्ता के प्लाइवुड से अधिक फॉर्मलडिहाइड छोड़ेंगे।
प्लाईवुड बनाने के लिए अधिक पकी हुई रेजीन का उपयोग का प्रभाव
प्लाईवुड बनाने में अधिक पकी रेजीन का उपयोग करने के प्रभाव
1) रेजीन का भंडारण जीवन कम होगा।
2) प्लाइवुड बनाने में रेजीन के समय पूर्व-सुखने की संभावना बढ़ जाएगी जिससे खराब बंधन और यहां तक कि कोर की परत अलग हो सकती है।
3) रेजिन की पानी की सहनशीलता कम होगी और इसलिए, अगर एक्सटेंडर/फिलर को गोंद मिश्रण में मिलाने के लिए अतिरिक्त पानी मिलाया जाता है, तो गोंद के मिश्रण से रेजीन के अलग होने की संभावना है।
यह एक समान गोंद के प्रसार को प्रभावित करेगा और अंततः प्लाईवुड में खराब बंधन का कारण बनेगा।