External Shocks Biggest Risk Despite Recovery
- October 25, 2021
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RBI Governor Shaktikanta Das expected the economic output to exceed the pre-pandemic level only by Q3FY22. “Durable recovery in manufacturing and services sectors should support revival in the informal economy. The future trajectory of growth, however, is strewn with many challenges. Central bank remained “laser-focused” to bring back CPI inflation to 4 per cent overall, growth remains critically dependent on policy support and needs nurturing for sustained recovery,” the governor said.
In this context, continued monetary support is necessary. “At this critical juncture, our actions have to be gradual, calibrated, well –telegraphed to avoid any undue surprises,” das said.
RBI Deputy Governor Michael Patra said inflation should soften but there are repeated shocks which the central bank must remain guarded against.
“The biggest risks to India’s macroeconomic prospects are global and they could materialize suddenly,” Patra said. “While the trajectory of inflation may undershoot the projections made in August, it is likely to be uneven, sluggish and prone to interruptions.”
RBI Executive Director Mridul K Saggar also warned of “significant head winds” from the shifting global macroeconomic conditions.
“These (global policies) can have significant spillovers and spillbacks running through trade, financial and market expectations channels,” he warned, even as he was confident that the country has enough buffers.
बाहरी झटके रिकवरी पर बड़े जोखिम
आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास ने उम्मीद जताई कि अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती के बीच चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आउटपुट कोविड-पूर्व के स्तर पर पार कर जाएगा। दास ने कहा, रिकवरी जोर पकड़ रही है और कुल मांग भी बढ़ रही है लेकिन अब भी अर्थव्यवस्था महामारी से पहले के स्तर से नीचे ही है। केंद्रीय बैंक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को 4 फीसदी पर रखने के लिए कृत-संकल्प है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में टिकाऊ रिकवरी से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में बहाली को समर्थन मिलना चाहिए। हालांकि वृद्धि का भावी रास्ता कई चुनौतियों से भरपूर है जिसमें महामारी सबसे अहम है। कुल मिलाकर वृद्धि अब भी नीतिगत समर्थन पर निर्भर है और रिकवरी बनाए रखने के लिए समर्थन की भी जरूरत है। इस संदर्भ में सतत मौद्रिक समर्थन आवश्यक है क्योंकि आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया अब भी नाजुक मोड़ पर है और वृद्धि को अपनी जड़ें जमानी हैं।’ उन्होंने कहा कि इस महत्त्वपूर्ण मोड़ पर हमारे कदम क्रमिक, सोचे-समझे, सही समय पर और सही संदेश देने वाले होने चाहिए ताकि किसी भी तरह के अनचाहे आश्चर्यों से बचा जा सके।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माईकल पात्रा ने कहा कि आगे चलकर खाद्य कीमतों के कम होने से मुद्रास्फीति में नरमी आनी चाहिए लेकिन केंद्रीय बैंक को बार-बार लगने वाले झटकों से सजग रहना चाहिए। संक्रमणकालीन आघातों से अधिक स्थायी प्रवृत्ति वाले झटके नहीं पैदा होने चाहिए।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक मृदुल के सागर ने भी वैश्विक वृहत-आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव होने से बड़े तूफान आने को लेकर आगाह किया। उन्होंने कहा कि इन वैश्विक नीतियों का व्यापार, वित्तीय एवं बाजार प्रत्याशा के लिए खासा असर हो सकता है। हालांकि उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि इन झटकों का सामना करने के लिए भारत के पास पर्याप्त बफर है।