Ghanshyam Lahoti
- January 16, 2021
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The Production will Increase in Gabon when the Weather Gets Better in January
New Hope in New Year. Industrialists are now looking ahead, leaving behind all the problems of last year. Because to get rid of these night mares we will have to move forward. Gabon peeling manufacturers also have high hopes from the new year. In this sequence, Ply Insight spoke to Gabon with face Veneer producer Mr. Ghanshyam Lahoti.
How was the year 2020 in Gabon?
The lockdown came all of a sudden all over the world. The lockdown was very hard in many countries. Due to this, production was bound to be hampered. The entire system of transport was destroyed. The shipment has not yet been well arranged. At one time, the communication system was also stalled. The year 2020 was very challenging for the face veneer producers of Gabon.
What is the situation now?
Right now there is scarcity of raw materials (timber logs). The weather is also going a little rough. Because of this, we are not able to utilize our full potential. As soon as rain stops, production will be streamlined.
What is the delivery position?
There is problem of ship, otherwise there is problem of container. Another problem is that container are often misplaced. Which was supposed to be delivered in India, it is unloaded at Sri Lanka or elsewhere. Due to this, the face veneer is not reaching regularly/timely. Hopefully, in the New Year all this problem will be solved.
Even before, it used to take around one month to get the shipment.
Yes, it used to take 45 days. But now it is taking 60 to 65 days. Due to this delivery is not available on time. Although the Containers are loading at regular intervals. But consistency is not there. Container fares have also increased. Because if there are problems in facilities, then obviously the cost will increase.
But are not the markets booming?
It appears so. The reality is that timber prices have gone up. Cost soared. The price of raw materials increased. Therefore, it is not correct to say that there is boom. Because the currency of countries like Africa weakened against dollars. Because of this we are facing problems. As you have to pay in dollars. It is true that working culture in Gabon is very difficult. It’s not that easy.
Who is getting advantage of the market?
As far as the industrialist is concerned, he is not able to any gain in this phase of price rise. Because there is no face veneer stock available. Now the rain started. And Timber’s rates gone up. The overall total cost increased, Circumstances is become more difficult than before.
What are you getting from peeling waste?
No, it is of no use here. It is used only as a balan. However, it is also true that installing a plywood unit is also now a risk. Because latest machine has to be installed. Finance and labour have to be managed. In such a situation, wise decision should be to retain our possession.
Europe market?
Europe is a very good market for face veneer. But the problem is their quality requirement is different. They demand thicker face. They don’t compromise with the quality. Therefore, in European market, we have to enter with very cautiously.
Looking forward to the New Year?
Will have to find new opportunities in the New Year. As far as industrialists are concerned, they have to do better in their own work. By the end of January one can expect Gabon’s situation to be better. As Timber is expected to reach during late January. Which will stabilize production.
गेबोन में जनवरी में मौसम बेहतर होगा तभी उत्पादन भी बढ़ पाएगा
Ghanshyam Lahoti
PRIME WOOD SARL, C-15K, GSEZ, NKOK, LIBREVILLE, GABON
9868257747
नया साल। नई उम्मीद। पिछले साल की सारी समस्याओं को पीछे छोड़ कर इंडस्ट्रियलिस्ट अब आगे की सोच रहे हैं। क्योंकि इन दिक्कतों से निजात पाकर आगे बढ़ना ही होगा। गेबान पीलिंग निर्माताओं को भी नए साल से बहुत ज्यादा उम्मीद है। इसी क्रम में इस बार प्लाई इनसाइट ने गेबौन से फेस विनीयर निर्माता श्री घनश्याम लाहोटी से बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश।
गेबान में पिछला साल कैसा रहा?
लाॅकडाउन पूरे विश्व में था। कई देशों में लाॅकडाउन कड़ा था। इसे वजह से उत्पादन में रूकावट आना स्वाभाविक था। ट्रान्सपोर्टेसन की सारी व्यवस्था तहस-नहस हो गयी। शिपमेंट (Shipment) तो अभी तक व्यवस्थित नहीं हो पाया है। एक वक्त तो संचार व्यवस्था (Communication) भी ठप्प पड़ गयी थी। गेबान के फेस विनीयर उत्पादकों के लिए वर्ष 2020 काफी चुनौतियां से भरा हुआ रहा।
अब कैसी स्थिति है?
अभी कच्चे माल (टिंबर लाग्स) की दिक्कत आ रही है। खराब मौसम की वजह से हम पूरी क्षमता का इस्तेमाल ही नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन एक बार मौसम सही हो जाए तो शायद बहुत कुछ ठीक हो सकता है।
फेस की डेलीवरी की स्थिति क्या है?
कभी शिप की दिक्कत तो कभी कंटेनर की समस्या और इसके साथ माल को गलत जगह उतार देने की समस्या भी है। जैसे कंटेनर भारत आना था, उसे श्रीलंका या किसी दूसरी जगह उतार दिया जाता है। इससे फेस विनीयर की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उम्मीद है नए साल में यह सारी दिक्कत दूर हो जाएगी।
पहले भी तो माल आने में एक से डेढ माह का समय लग जाता था।
हां पहले भी 45 दिन लग जाते थे। लेकिन अब 60 से 65 दिन लग रहे हैं। इस वजह से डेलीवरी समय पर नही मिल रही है। हालांकि माल आ रहा है। कंटेनर लोड हो रहे हैं। लेकिन रेगुलर नहीं आ पा रहे हैं। कंटेनर का किराया भी बढ़ गया है। क्योंकि यदि कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है तो जाहिर है, किराया बढ़ ही जाता है।
लेकिन बाजार में तेजी हैं?
यह दिखायी जरूरत देती है। हकीकत यह है कि लकड़ी के दाम बढ़ गए। लागत बढ़ गयी। कच्चे माल की कीमत बढ़ गयी। इसलिए यह कहना तो सही नहीं कि तेजी है। क्योंकि डाॅलर की सामने अफ्रीका जैसे देशों की करेंसी कमजोर हुई। इस वजह से हमारे सामने दिक्कत आ रही है। क्योंकि भुगतान डालर में करना पड़ रहा है। यह सच है कि गेबान का काम खासा मुश्किल है। यह इतना आसान नहीं है।
बाजार की तेजी का लाभ किसे मिल रहा है।
जहां तक उद्योगपति का सवाल है, उसे कोई लाभ नहीं है। क्योंकि बारिसें होने की बजह से माल तैयार नहीं हो पा रहा है, दूसरा टिंबर के रेट बढ़ गए हैं जिसकी वजह से कुल भुगतान भी बढ़ गयी है, कुल मिलाकर परिस्थितियां पहले से अधिक कठिन हो गयी हैं।
पीलींग वेस्ट का क्या उपयोग कर रहे हैं?
नहीं फिलहाल यहां इसकी कोई उपयोगिता नहीं है। इसका उपयोग तो बालन के तौर पर ही होता है। हालांकि यह भी सही है कि गेबोन में प्लाइवुड यूनिट लगाना भी अब जोखिम का काम है। क्योंकि लेटेस्ट मशीन के साथ-साथ फाइनेंस और लेबर भी संभालनी पड़ेगी। ऐसे में कोशिश यहीं होनी चाहिए कि अभी जिसके पास है, उसे ही संभाल कर रखा जाए।
यूरोप की मार्केट?
वहां मार्केट है। लेकिन दिक्कत यह है कि वहां अलग क्वालिटी चाहिए। थिकनेस भी अधिक चाहिए। वहां क्वालिटी से समझौता नहीं कर सकते। इसलिए यूरोप की मार्केट में सोच समझ कर ही कदम बढ़ाने पड़ते हैं।
नए साल में क्या उम्मीद देख रहे हैं?
नए साल में नए अवसर खोजने पडेंगे। जहां तक इंडस्टिंलिस्ट की बात है, उन्हें अपने ही काम में बेहतर करना होगा। जनवरी के अंत तक उम्मीद कर सकते हैं कि गेबान की स्थिति अच्छी होगी। क्योंकि टिंबर की उपलब्धता होगी। जिससे उत्पादन बढ़ेगा।