Haryana Government Strict on Officers
- December 30, 2021
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The government’s eyes are on the government employees and officers who hang people’s work in the offices. The Chief Minister has directed the Right to Service Commission to take action on the culprits within a month in cases of lateness. In fact, the main goal of the State Government and the State Service Rights Commission is to deliver the full benefits of government services and schemes in a time bound period to common people. At present, 546 services have been notified under the Right to Service Act in the state. In case of delay in these, the Commission of Service can impose a fine of up to twenty thousand rupees on the guilty employee or officer. Provision has been made that if any officer or employee will not give time bound benefit of government services, then the related complaint will go to appeal in auto mode on this portal.
After going to the first and second appellant, if the complaint or problem is not resolved within the stipulated time, it will automatically reach the Right to Service Commission. Overall, it is the right step to rein in the personnel or officers who obstruct the delivery of services at unnecessary time. It is seen many times that some personnel or officers keep work hanging unnecessarily in the interest of convenience fee. This strictness of the government will directly benefit the common man. He will not have to make repeated rounds of babus-offices for his work. Timely work of the general public not only increases the credibility of the concerned department, but also creates a better image of the concerned officer and employee among the general public. At the same time, transparency and timeliness in the work improves the image of the administration.
अफसरो पर हरियाणा सरकार सख्त
प्रदेश के सरकारी दफ्तरों मे लोगों के काम लटकाने वाले कर्मियों व अफसरों पर सरकार की टेढ़ी नजर है। मुख्यमंत्री ने लेटलतीफी के मामलों में सेवा का अधिकार आयोग को दोषियों पर एक माह के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। असल में प्रदेश सरकार व राज्य सेवा अधिकार आयोग का मुख्य ध्येय आम जनमानस तक सरकारी सेवाओं तथा योजनाओं का पूर्ण लाभ समयबद्ध अवधि में पहुंचाना है। वर्तमान में प्रदेश में सेवा के अधिकार अधिनियम के तहत 546 सेवाएं अधिसूचित की गई हैं। इनमें देरी की सूरत में सेवा का आयोग दोषी कर्मचारी या अधिकारी पर बीस हजार रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। प्रविधान किया गया है कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी सरकारी सेवाओं का समयबद्ध लाभ नहीं देगा तो आस पोर्टल पर संबंधित शिकायत आटो मोड में अपील में जाएगी।
फर्स्ट और सेकेंड अपीलेंट के पास जाने के बाद निर्धारत समय में शिकायत या समस्या का समाधान नहीं हुआ तो यह स्वतः सेवा का अधिकार आयोग के पास स्वतः पहुंच जाएगी। कुल मिलाकर जो कर्मी या अफसर अनावश्यक समय पर सेवाएं देने में अड़ंगा डालेंगे, उन पर लगाम कसना सही कदम है। कई बार देखने में आता है कि कुछ कर्मी या अफसर सुविधा शुल्क के चक्कर में अनावश्यक काम को लटकाए रखते हैं। सरकार की इस सख्ती का आमजन को सीधा लाभ होगा। उसे अपने काम के लिए बार-बार बाबुओं-दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। देखा जाए तो आमजन का समय पर काम होने से न केवल संबंधित विभाग के प्रति विश्र्वसनीयता बढ़ती है, बल्कि संबंधित अधिकारी व कर्मचारी की भी आमजन के बीच बेहतर छवि बनती है। साथ ही कामकाज में पारदर्शिता व समयबद्धता से शासन-प्रशासन की छवि सुधरती है।