संरचनात्मक परिवर्तन का माहौल
- जनवरी 3, 2020
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संरचनात्मक परिवर्तन का माहौल स्वयं को बदलें खुदरा विक्रेता
इस समय देश में खरीदारी के तरीकों में अहम बदलाव आ रहे हैं और ई-काॅमर्स कंपनियों को वरीयता मिल रही है। हालांकि खुदरा कारोबारी इसके लिए ई-काॅमर्स कंपनियों द्वारा दी जा रही छूट को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन अगर गहन पड़ताल करें तो हमें कुछ संरचनात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। ई-प्लेटफाॅर्म मिलने से निर्माताओं को सामान बेचने में सहूलियत हो रही है और वहीं खरीदारों को भी आसानी होती है। यहां बात बड़ी ई-काॅमर्स कंपनियों की नहीं है। निर्माता स्वयं अपना सामान ऑनलाइन बेचना चाहता है। इस समय देश में करीब 70-80 करोड़ लोगों के पास मोबाइल है और लगभग 50 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। इतनी बड़ी संख्या तक अपनी पहुंच बनाने के लिए निर्माता आॅनलाइन बिक्री को अहमियत दे रहे हैं। ई-काॅमर्स प्लेटफाॅर्म के जरिये निर्माताओं का खर्च घट जाता है जिसे वह छूट के रूप में उपलब्ध करा देते हैं। इससे निर्माताओं को ग्राहकों की पूरी जानकारी मिलती है और वे किसी आयु अथवा वर्ग विशेष से संबंधित उत्पाद की जानकारी हासिल कर सकते हैं। खरीदारों को भीड़ भरे इलाकों और जाम में फंसने की जरूरत नहीं है। वे अपनी सहूलियत से किसी भी ब्रांड का सामान आॅनलाइन मंगा सकते हैं। छोटे और मझोले उद्योगों को भी ई-काॅमर्स कंपनियों से काफी मदद मिली है। पहले उनकी बिक्री काफी कम रहती थी और खुदरा कारोबारियों के पास महीनों तक भुगतान अटका रहता था। आज वे आसानी से अपना उत्पाद बेच सकते हैं और भुगतान की समस्या भी नहीं होती। छोटे शहरों के विनिर्माता अब दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आसानी से अपना सामान बेच सकते हैं। खुदरा कारोबारी लाभ और बिक्री में गिरावट का आरोप लगा रहे हैं लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि खुदरा करोबार एवं ई-काॅमर्स क्षेत्र, दोनों आज के समय की वास्तविकता हैं और खुदरा कारोबार को अपना स्वरूप तथा तरीकों में अहम बदलाव लाने होंगे। भारत में संगठित रिटेल कारोबार का आकार बहुत छोटा होना भी एक बड़ी समस्या है जिसका समाधान होना चाहिए। खुदरा कारोबार ग्राहकों के करीब है और अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करते हुए रिटेलरों को इसका लाभ उठाना चाहिए।