नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के साढ़े नौ सालों में संरचनात्मक सुधारों के कारण भारतीय रियल एस्टेट बाजार में बिक्री और स्थिरता देखी जा रही है। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी एनारॉक ने नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के साथ एक संयुक्त रिपोर्ट में यह दावा किया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि सुधारों की वजह से 2030 तक भारतीय रियल एस्टेट बाजार 2017 के 20 अरब डालर के मुकाबले 1 खरब डॉलर तक बढ़ सकता है।

इसमें रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा), और प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), किफायती और मध्य-आय आवास (एसडब्ल्यूएएमआईएच) फंड के लिए विशेष विंडो व जीएसटी के प्रावधान रियल एस्टेट उद्योग में बदलाव में मील के पत्थर साबित हो रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, 2017 से कई राज्यों में लागू किया गया, रेरा रियल एस्टेट में पारदर्शिता और समय पर परियोजना पूरी करने की गारंटी उपभोक्ता को दे रहा है। इससे घर खरीदारों के हितों की रक्षा हो रही है।

नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रेरा की स्थापना के बाद से आज तक राज्यों में लगभग 123,000 रियल एस्टेट परियोजनाएं पंजीकृत की गई हैं, और देश भर में 121,000 से अधिक उपभोक्ता शिकायतों का समाधान किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वामी फंड के तहत लगभग 26,000 घर पूरे हो चुके हैं। इस फंड से देश में रूकी हुई उन परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी गई जो किफायती और मध्यम आय वाली आवास परियोजनाएं चला रही थी। कई परियोजना पूंजी की कमी के कारण मुश्किल में थी। अगले तीन वर्षों में अन्य 80,000 इकाइयां पूरी होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में पिछले दशक में पीएमएवाई (शहरी और ग्रामीण), जीएसटी, विमुद्रीकरण और रियल एस्टेट में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग जैसी कई अन्य सरकार समर्थित पहलों के सकारात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है।

रिपोर्ट 2016 के नोटबंदी का भी उल्लेख किया गया है, जो कहता है कि इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

रिपोर्ट में पाया गया है कि 10 वर्षों में घरों की डिमांड बढ़ने की वजह से अब आपूर्ति के व मांग के बीच संतुलन है। 2017 में आपूर्ति ज्यादा थी, लेकिन मांग कम थी। अब, 2023 में आपूर्ति कम और मांग ज्यादा हो रही हे।

बडे़ सात शहरों में आवास की मांग बढ़ी, इसके साथ साथ आपूर्ति पिछले दशक में बढ़ी है, खासकर महामारी के बाद, घरों की मांग तेजी से बढ़ी है। इसका बड़ा उदाहरण है हर रोज शुरू हो रही नई आवासीय परियोजनाएं।

इस वजह से 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में रियल एस्टेट का योगदान 13 प्रतिशत तक होने की संभावना है। जिससे यह क्षेत्र आर्थिक विकास वित्त में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बन जाएगा।

यह संभव हो रहा है, स्थिर सरकार, स्थिर ब्याज दरें, रोजगार सृजन और निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि जैसे कारणों से क्षेत्र की विकास संभावनाएं मजबूत होंगी।