Household financial savings moderated in the third quarter (Q3) of 2020-21 (FY21) for the second consecutive quarter, household financial assets, which more than offset the moderation in household financial liabilities.

Preliminary estimates released by the Reserve Bank of India (RBI) showed that household financial savings were at 8.2 per cent of gross domestic product (GDP) in the Q3FY21.

The financial savings were recorded at 10.4 per cent in the second quarter (Q2), and stood at a healthy 21 percent in the first quarter (Q1) of FY21, which was the quarter before the pandemic and lockdown started.

In the nine months taken together, the financial savings pattern does not look so bad, as Q1 showed a healthy growth in financial savings, observe economists.

The rise in the ratio was largely due to a sharp jump in a household’s gross financial savings last fiscal year.

The quarterly fall, however, may mean that during the pandemic period, people’s earnings were hit, and at the same time, they pared their liabilities actively to stay nimble footed in an emergency.

It is interesting to note that at the end of Q3, the currency with the public also grew sharply at 22.7 per cent.

The household savings data, compared with the high currency with the public data as on January 1, indicates that households were under stress and cut down their liabilities, as well as were restrained by lower income due to the pandemic. The currency with public growth has now fallen to 13.1 per cent, as on June 4, which is its normal growth rate.


तीसरी तिमाही में परिवारों की बचत में कमी


वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में पारिवारिक वित्तीय बचत में कमी आई है। यह लगातार दूसरी तिमाही रही जिसमें परिवारों की वित्तीय बचत घटी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रारंभिक अनुमान से पता चलता है कि 2020-21 की तीसरी तिमाही में परिवारों की वित्तीय बचत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 8.2 फीसदी रही। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वित्तीय बचत 10.4 फीसदी रही थी और पहली तिमाही में यह 21 फीसदी थी। लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन शुरू होने के बाद वित्तीय बचत में खासी कमी आई है।

हालांकि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 9 महीनों के आंकड़ों को एकसाथ देखने पर वित्तीय बचत प्रारूप ज्यादा खराब नहीं दिखता है क्योंकि बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वित्तीय बचत बेहतर रही थी। तिमाही आधार पर बचत में कमी का मतलब है कि महामारी के दौरान लोगों की आय प्रभावित हुई है और साथ ही लोगों ने इस दौरान अपनी देनदारियां भी कम की हैं। दिलचस्प है कि तीसरी तिमाही के अंत में लोगों के पास नकदी की मात्रा बढ़कर 22.7 फीसदी पहुंच गई।

परिवारों की बचत का आंकड़ा और जनवरी, 2021 में लोगों के पास नकदी की ज्यादा मात्रा से संकेत मिलता है कि परिवार दबाव में थे और उन्होंने अपनी देनदारियों को भी कम किया है।

इसके साथ ही महामारी की वजह से उनकी आय भी घटी है। हालांकि 4 जून को लोगों के पास नकदी घटकर 13.1 फीसदी पर आ गई है, जो सामान्य स्तर है।

‘परिवारों की वित्तीय बचत में गिरावट जमाओं में उल्लेखनीय कमी को दर्शाता है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान परिवारों पर दबाव बढ़ा था। हालांकि वित्तीय बचत के रुझान में भी बदलाव आया है और ज्यादा रकम सेवानिवृत्त कोष में जमा किए गए हैं। यह रुझान पिछले दो साल से दिख रहा है।’