Lock down and Plywood

लाॅकडाउन और प्लाईवुड


सरकार ने रिलिफ के तौर पर बिजली बिलों के फिक्सड चार्ज में दस हजार छोड़े है, वो भी बिल अगर पचास परसेंट से कम आएगा, एवरेज तीन महीने का, तो। पचास किलोवाट से उपर वाले का दस हजार छोड़ा है। मार्च में तो कोई रिलिफ नहीं है क्योंकि मार्च में काम चला है। दिक्कत तो अब अप्रैल के बिल में आएगी। हमनें डिस्ट्रीक्ट लेवल पर लिखा है नोडल अफसर को और उन्होंने डीसी को फोरवर्ड कर दिया। इसमें कुछ कर सकते हैं तो करिए। नोडल ऑफिसर ने भी आगे लिख दिया। आर्डर आएंगे तो पूरे हरियाणा के आएंगे। कोई भी रिवेन्यू मैटर में कोई भी डिस्ट्रीक ऑफिसर कुछ नहीं कर सकते, सिवाय राज्य सरकार के।

हमने लिखा था कि हमारे वहां लकड़ी का स्टाॅक है। सफेदा सूख रहा है। वो उन्होंने सर्वे करवा दिया था। अगर वो परमिशन आ जाए तो मशीन चलाने को मिल सकती है। पिलिंग में तो 15 आदमी से चल जाती है। सोशल डिस्टेशिंग करते हुए उतने की परमिशन मिल सकती है। फैक्टरी पूरी चलाने का मतलब तो आपने लाॅकडाउन को पूरा डिफिट कर दिया। लाॅकडाउन 15 अप्रैल को खुल जाएगा इसमें लोगों को शंका है। क्योंकि अगर पहले खोल देंगे तो पुराना बेकार चला जाएगा।

ये जो जमात का चक्कर है उसने काम खराब कर दिया है। सरकार पूरी दुविधा में ही है। अगर ये जमात वाला मसला नहीं होता तो भारत में स्थिति बहुत ठीक थी और काबू में थी। अगर पूरे विश्व के हिसाब से देखा जाए तो हमारे यहां स्थिति बहुत ठीक थी। इसके बाद ही ये केस डबल हुए हैं। जो केस अभी आ रहे हैं वो जहां पर ये पहुंचे हैं या जहां पर इन लोगों ने इनफेक्ट किया है। वहीं ज्यादा आ रहे हैं। नहीं तो छोटे-मोटे ही आ रहे हैं। हो सकता है गांवों तक सरकार पहुंची न हो। लेकिन वहां केस होंगे भी नहीं। क्योंकि वहां पर बाहर से आने वाले लोग कम हैं। पंजाब में ज्यादा था तो पंजाब में पहले से ही हो गया था लाॅकडाउन। वहां स्थिति अब कंट्रोल में हैं। अब आपके पास मानलिजिए दो ऑप्शन हैं कि या तो आप एक हफ्ता चला दो और फिर एक महीने के लिए बंद कर दो या फिर 15 दिन अभी लगातार बंद कर दो। अच्छा यही है कि इकट्ठा अभी बंद कर लो क्योंकि अभी तो सभी का मन बना हुआ है। पांच दिन खोलने का मतलब पता नहीं किसने केस हो जाए और अफरा-तफरी भी बहुत हो जाएगी। तकलीफ तो दोनों ही जगह है लेकिन अगर आप आगे की ज्यादा सख्ती करेंगे तो इससे अच्छा है कि इसी लाॅकडाउन को चालू रहने दो। पांच दिन में कुछ नहीं चलता, न तो उद्योग चलते और न ही कोई काम पटरी पर आता। इतना समय तो सिस्टम बनाने में ही लग जाएगा। भुख से तो कोई मरने वाला नहीं। छोटी-मोटी रिलेक्शेशन दे दें, तो लोगों को आसान हो जाएगा। जैसे फसल कटाई का समय है। उसके लिए आने जाने के लिए अनुमति हो जाएगा और सारी फसले हैं भी गावों में। 30 अप्रैल करके ये मई से खोल दो तो बहुत बढ़िया है। खोलते हुए उससे भी थोड़ा रेस्ट्रीकशन रहे। अभी कुछ एरिया को कंटेटमेंट बना रहे हैं उसके बाद एक सेफ जाॅन भी बना रहे हैं।

शहर बंद होने से गांवों वालों का मूवमेंट भी कम है। अगर गांवों में परिवार आपस में मिलते जुलते हैं और अगर वहां कोई पेशेंट नहीं है तो फिर वहां कोई दिक्कत नहीं और वहां फर्क नहीं पड़ता।

चाहे जब मर्जी, सरकार की ओर से लाॅकडाउन खुल जाए फैक्ट्रियां पूर्ण रूप से नहीं खुलती। वैसे भी ये टाइम मजदूरों का घर जाने का होता है, काफी लेबर कम हो जाती है मार्च व अप्रैल में। कुछ फसल व खेती संभालने के लिए जाते हैं। और अब लाॅकडाउन है तो अपने घर देखने जाएंगे, किसी के बच्चे हैं या मा-बाप हैं उनको क्या तकलीफ रही और घरवाले भी चाहेंगें कि हमारा बच्चा घर आए। जो भी मजदूर हैं उनमें से आधे से ज्यादा घर जाने का मन बना रखी है। पहले ही आधी प्रोडक्शन चल रही थी अब और अब उससे आधी हो पाएगी। और कुछ तो चल ही नहीं पाएगी।

पेमेंट की भी समस्या आएगी जहां पर एक रूप्या आना था अब पच्चीस पैसे ही आएंगे। सारा सिस्टम खराब हो गया है जो तीन-चार महीने तक ही सुधर पाने का अनुमान है। अब बिज़नेस के माॅडल भी कई तरीके से चेंज हो जाएंगे।

हम लोग सरकार के सपंर्क में बने हुए हैं। उम्मीद है 20.25 प्रतिशत लिमिट बढ़ाने का आरबीआई से अनुमति आ जाए। क्योंकि उद्योग में लिक्वीडीटी नहीं है। वो आपसे लिमिट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। जिनकी एक करोड़ की लिमिट है। बीस/पच्चीस तत्काल बिना अतिरिक्त डाॅक्यूमेंटेशन के दे दिए जाए। आरबीआई ने भी कह दिया टर्म लोन के ब्याज की रिकवरी रोक दी जाए।

अभी हमने फिक्शड चार्ज में छूट के लिए अपील की है। पहले तो हमने लिखा है कि बिजली के बिल दो महीने के लिए डिले कर दिए जाए और फिक्सड चार्ज लाॅकडाउन पीरियड के बाद ही लिए जाए। अगर किसी फैक्टरी में एक हजार यूनिट चल रहे हैं तो एक हजार के पैसे ले लो। इसमें सभी डिस्ट्रीक्ट को फायदा होगा।