Market trends in Tier-2 and 3 cities

Studies show that around 50% of startups in India are in Tier-2 and Tier-3 cities. Many multinational companies are establishing themselves outside tier-1 cities. This shows that these areas are attracting both entrepreneurs and businesses. What is the reason behind this trend?

For many years, Tier-1 cities like Mumbai, Delhi and Bengaluru has been the hub of the corporate world. However, in recent years, even non-tier-1 cities like Nagpur, Jaipur, and Coimbatore have become hotspots for business investment. There are three main reasons for this.

High cost of living: Most of the metro cities are witnessing space crunch with increasing population. And the pollution is also unprecedented. Due to these reasons the cost of living has increased manifold. In contrast, living in non-Tier-1 cities is cheaper, allows employees to live better and has a better work-life balance. A recent study suggests that the cost of living in tier-2 cities is 10 to 35 per cent lower than in tier-1 cities. Businesses also get advantages like low operational cost and less competition.

Skill Availability: Tier-2 and 3 cities have seen an increase in the number of skilled people who have not yet worked and such cities are also becoming hubs of people with special expertise. Cities like Mangalore, Lucknow, Pune are growing in importance for finding IT and BFSI talent.

Government Efforts: Through subsidies and interlinked programmes, the government has also played a key role in making rural areas employment hubs. The Smart Cities Mission aims to promote sustainable and inclusive urban development in 100 cities across India. This has led to the creation of new infrastructure such as roads, public transport and water supply systems, which have improved the quality of life and made these cities attractive for employees and businesses alike.

Similarly, the self-reliant India campaign launched in 2020 aims to promote domestic production, especially in rural areas. This has encouraged MSMEs to set up their base in such areas and generate local employment. Along with this, the migration of talents towards the metropolitan cities has reduced.

Also, a large number of these belong to small towns and rural areas. He has a good understanding of how things work in these fields. They can also share their understanding of local markets, thereby helping businesses to serve target customers better.


बाजार का रूझान टिअर-2 और 3 शहरों की ओर

अध्ययन बताते हैं कि भारत में लगभग 50 प्रतिशत स्टार्टअप, टिअर-2 और टिअर-3 शहरों में हैं। बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां टिअर-1 शहरों से बाहर खुद को स्थापित कर रही हैं। इससे पता चलता है कि ये इलाके उद्यमी और व्यापार, दोनों को आकर्षित कर रहे हैं। इस ट्रेंड के पीछे के कारण क्या है?

कई सालों से, मुंबई, दिल्ली और बेगलुरू जैसे टिअर-1 शहर काॅर्पोरेट जगत के कंेद्र बने हुए हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, नागपुर, जयपुर, कोयंबटूर जैसे गैर-टिअर-1 शहर भी व्यापार निवेश के लिए आकर्षण का कंेद्र बने हैं। इसके तीन मुख्य कारण हैं।

जीवनयापन पर ज्यादा खर्चः ज्यादातर मेट्रो शहरों में बढ़ती आबादी के साथ जगह की कमी देखी जा रही है। वहीं प्रदूषण भी अभूतपूर्व है। इन कारणों से जीवनयापन की लागत कई गुना बढ़ गई है। इसके विपरित, गैर-टिअर -1 शहरों में रहना सस्ता है, इससे कर्मचारी बेहतर जिंदगी जी पाते हैं और काम और निजी जीवन में बेहतर संतुलन मिलता है। एक हालिया अध्ययन बताता है कि टिअर-2 शहरों में जीवनयापन का खर्च टिअर-1 शहरों की तुलना में 10 से 35 प्रतिशत कम है। व्यापार को भी कम परिचालन लागत और कम प्रतिस्पर्धा जैसे फायदे मिलते हैं।

हुनर की उपलब्धताः टिअर-2 और 3 शहरों में ऐसे हुनरमंद लोगों की संख्या बढ़ी है, जिन्होंने अभी तक काम नहीं किया है और ऐसे शहर खास विशेषज्ञता वाले लोगों का केंद्र भी बन रहे हैं। मैंगलोर, लखनऊ, पुणे जैसे शहरों का आईटी और बीएफएसआई टैलेंट खोजने के लिए महत्च बढ़ रहा है।

सरकार के प्रयासः सब्सिडी और इंटरलिंक्ड प्रोग्रामों के माध्यम से सरकार ने भी ग्रामीण क्षेत्रों को रोजगार के केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाई है। स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य पूरे भारत के 100 शहरों मेें टिकाऊ और समावेशी शहरी विकास को बढ़ावा देना है। इससे सड़क, सार्वजनिक परिवहन और जल आपूर्ति प्रणाली जैसे नए बुनियादी ढ़ांचे का निमार्ण हुआ है, जिसने जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है और इन शहरों को कर्मचारियों और व्यवसायों के लिए समान रूप से आकर्षक बना दिया है। इसी तरह 2020 में लाॅन्च किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलु उत्पादन को बढ़ावा देना है। इससे एमएसएमई को ऐसे क्षेत्रों में अपना आधार स्थापित करने और स्थानीय रोजगार पैदा करने के लिए प्रोत्साहन मिला हैै। साथ ही प्रतिभाओं का महानगरों की ओर जाना कम हुआ है।

इसके अलावा, बड़ी संख्या में इन का संबंध छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों से रहा है। उन्हें इस बात की अच्छी समझ है कि इन क्षेत्रों में चीजें कैसे काम करती हैं। वे स्थानीय बाजारों के बारे में अपनी समझ भी साझा कर सकते हैं, जिससे व्यवसायों को लक्षित ग्राहकों की बेहतर सेवा करने में मदद मिलेगी।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

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