New GST Rule Against Fraudster
- January 17, 2021
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Last week, the Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC) had inserted a rule under the Central GST Act that businesses with monthly turnover of over R50 lakh will have to mandatorily pay at least one per cent of their GST liability in cash. The rule will become effective on January 1.
Reacting to the rule, trader body CAIT wrote to finance minister Nirmala Sitharaman to defer its implementation. Earlier a section of traders cried foul over the new rule, sayin it would apply to just 40,000-45,000 taxpayers, representing 0.37 per cent of the total GST base.
Finance ministry sources in the know of the matter explained that the new provision applies to those whose annual turnover is more than Rsix crore and large number of exemptions and exclusions have been provided.
For instance, they said this rule is not applicable in the cases where the registered person deposited more than Rone lakh as income tax in each of the last two years. Also, if registered person has received a refund of more than Rone lakh in the preceding financial year on account of export or inverted tax structure, he does not come under the ambit of this rule.
Explaining the reason of introducing this rule, a highly placed Source said that a legitimate business runs for profit and a minimum value addition is expected from them. It is only where a lot of fake credit is used that no tax payment in cash is made.
Further, dummy companies which generate fake ITC or are used to be a layer in multi-layer fake credit flow pays no tax in cash.
“This provision is a very smart rule against fraudster and would not affect any genuine business entities or Ease of Doing Business in any manner,” he said.
Sources said that the new measures provided in the recent notification are very diligently and selectively designed after thorough discussions in the law committee of the GST Council over a month to pin-pointedly identify and control only fake invoices and ITC fraudsters.
The seriousness of this menace to GST ecosystem may even be understood by the fact that in the recent nationwide drive against GST fake invoice frauds that was launched in the second week of November and still going on, has resulted in the arrest of more than 175 fraudsters and more than 1800 cases are booked against 8000 fake entities in just 40-45 days, sources said.
धोखाधड़ी को रोकने के लिए जीएसटी नियम
पिछले सप्ताह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने केंद्रीय जीएसटी अधिनियम में एक नियम डाला था, जिसके मुताबिक 50 लाख से ऊपर मासिक कारोबार करने वालों को अपनी जीएसटी देनदारी का 1 प्रतिशत नकद भुगतान को कहा गया था। यह नियम 1 जनवरी से प्रभावी होगा।
इस नियम पर प्रतिक्रिया देते हुए कारोबारियों के संगठन कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इसे लागू न करने का अनुरोध किया था। उनका कहना था कि यह नियम सिर्फ 40,000-45,000 करदाताओं पर लागू होगा, जिनकी कुल जीएसटी आधार में हिस्सेदारी महज 0.37 प्रतिशत है।
इस मामले से जुड़े वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि नया प्रावधान उन पर लागू होता है, जिनका सालाना कारोबार 6 करोड़ रुपये से ऊपर है और उन्हें बड़े पैमाने पर छूट एवं दायरे से बाहर रहने की सुविधा मुहैया कराई गई है।
उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि यह नियम उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां पंजीकृत व्यक्ति ने पिछले 2 साल के दौरान हर साल 1 लाख रुपये से ज्यादा आयकर जमा किया हैै। साथ ही अगर पंजीकृत व्यक्ति ने निर्यात के मद में या इनवर्टेड कर ढांचे में पहले के वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा रिफंड प्राप्त किया है तो वह इस नियम के दायरे में नहीं आएगा।
यह नियम लाए जाने के बारे में स्पष्ट करते हुए एक उच्च स्तरीय सूत्र ने कहा कि उनसे मुनाफे के लिए कानूनी तरीके से कारोबार चलाने और न्यूनतम मूल्यवर्धन की उम्मीद की जाती है। अगर सिर्फ तमाम फर्जी के्रडिट का इस्तेमाल होगा तो नकदी में किसी कर का भुगतान नहीं होगा।
इसके अलावा डमी कंपनियां फर्जी आईटीसी सृजित करती हैं और इनका इस्तेमाल विभिन्न चरणों में एक चरण के रूप में फर्जी धन निकासी के लिए किया जाता है, जिन मामलों में नकदी में किसी कर का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘यह प्रावधान धोखाधड़ी करने वालों के लिए बहुत स्मार्ट नियम है और यह किसी सही कारोबारी इकाई या कारोबार सुगमता को किसी तरीके से प्रभावित नहीं करेंगे।’
सूत्रों ने कहा कि सिर्फ फर्जी रसीदों और आईटीसी में धोखाधड़ी को रोकने के लिए हाल की अधिसूचना में उठाए गए कदम बहुत सावधानीपूर्वक तैयार किए गए हैं और जीएसटी परिषद की कानून समिति के साथ चर्चा के बाद एक महीने से ज्यादा समय में बने हैं। उन्होंने कहा कि इसका मकसद सिर्फ फर्जी रसीद और आईटीसी धोखाधड़ी को चिहिन्त कर उस पर नियंत्रण करना है।
इसकी गंभीरता का इस बात से भी पता चलता है कि हाल ही में जीएसटी व्यवस्था में फर्जी रसीद प्रस्तुत किए जाने को लेकर देशव्यापी अभियान चलाया गया था। इसे नवंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू किया गया और यह अभी भी चल रहा है। अभियान के तहत धोखाधड़ी करने वाले 175 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है और महज 40-45 दिन में ही 8,000 से ज्यादा फर्जी इकाइयों के खिलाफ 1,800 से ज्यादा फर्जी इकाइयों के खिलाफ 1,800 मामले दर्ज कराए गए हैं।