Nitin Gadkari’s criticism of NHAI casts shadow on the body’s functioning
- November 3, 2020
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Union Minister Nitin Gadkari’s rebuke — for the National Highways Authority of India (NHAI) regarding the delay in completing its new office building has cast a shadow on the functioning of the body.
The minister said the photographs of the officials responsible for the delay should be displayed in the building “so that people came to know about those great personalities who took nine years to construct it”.
Gadkari said he was ashamed at the delays in decision making by NHAI officials. This has cost the sector dear and he wanted the authority to function in a “transparent, time-bound, result-oriented, qualitative and corruption-free” manner.
The minister, too, said: “You (NHAI) take action against contractors but never against PDs (project directors) and independent engineers.”
His principal peeve was the tardiness in decision making and lack of monitoring. Some officials, however, blamed the contractors for this.
“When delays happen, officials do not want to take decisions since they fear corruption charges can be levelled against them,” said an official.
गडकरी के निशाने पर एनएचएआई
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की एक नई इमारत के पूरा होने में हुई देरी के लिए फटकार लगाई जिससे इस संस्था के कामकाज पर सवालिया निशान लगे हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की तस्वीरों को इमारत में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को उन महान हस्तियों के बारे में पता चले जिन्हें एक इमारत बनाने में नौ साल लग गए। गडकरी ने कहा कि उन्हें एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा फैसला लेने में देरी पर शर्म आ रही है जिनकी वजह से इसकी लागत बढ़ी और वह चाहते हैं कि प्राधिकरण पारदर्शी, समयबद्ध, बेहतर गुणवत्ता वाले काम के नतीजे देने के साथ भ्रष्टाचार मुक्त तरीके से काम करे।
मंत्री ने कहा, ‘आप (एनएचएआई) ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं लेकिन कभी भी परियोजना निदेशकों और स्वतंत्र इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते।’ वह दिल्ली के द्वारका में एनएचएआई के नए भवन का उद्घाटन वर्चुअल तरीके से कर रहे थे जिसे पूरा होने में नौ साल लग गए।
हालांकि, सरकारी इंजीनियरों पर आमतौर पर अक्षम और भ्रष्ट होने का आरोप लगाया जाता है लेकिन गडकरी की आलोचना के केंद्र में फैसला लेने में देरी और निगरानी की कमी जैसी अहम बात थी। हालांकि कुछ अधिकारियों ने महत्त्वाकांक्षी ठेकेदारों को देरी के लिए दोषी ठहराया। एक अधिकारी ने कहा, ‘जब देरी होती है तब अधिकारी फैसले नहीं लेना चाहते क्योंकि उन्हें डर होता है कि भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा सकते हैं।