Craft Paper Prices are almost double as compared to last year. Problem is it’s fluctuation. Prices not getting stable.


Q. Impacts of Pandemic have reduced in the trade?
Three waves of pandemic has gone like a bad dream, but it’s not over yet. As covid strict restrictions are there in china. Simultaneously, due to Ukraine war every import in industries are also affected. Although we were hoping that gradually things will get normalized. But seeing the present situations, it seems to be time taking phenomena. Raw material prices are hiking, until prices will not get stable problems will persist & causing more and frequent problems.

With craft paper we can’t do any manipulation recently its prices are down by R2-3 Earlier it was at R47. last year it was around R24 to R25 Per kg. It means hike in price is almost double. Now with this changing and fluctuating raw materials, its difficult to sustain in the market.





Q. So, you have to increase your selling prices?

@ popular is at R1400 -1500 at present. But it may come down as after wheat harvesting. Although this kind of chances are very low to happen in present circumstances. But there is a planning to curtail the prices of plywood. Distributers are following the policy of wait and watch, which is not good for trade. Because bringing the price up is very difficult. If suddenly prices will fall, it will be trouble some for the industry. If any company reduces the price, other will have to follow the same trend.

For all this change in prices, we can blame our association a bit. As melamines rate were decreased at that time period, but after some time, it reached up to that same old level. But in case of laminate, reduced price could not be increased.

If prices would have not been reduced, then there would have been less or no problems for small scale manufacturers.

Q. How do you Plan to manage all this?
Large scale industries have an advantage of bulk buying. As they are getting raw material at very low and cheap price. We need to think on same line. We like minded people are planning for the bulk purchases, which is a future demand. For this, small groups have to be formed. Today it seems to be quite difficult, but in future it will be in great shape.

Multinational companies are also coming forward. They are providing raw material to the small scale manufacturer. They are also supplying material further, after having cash discount from the suppliers. This trend is in various trades. It will be of great benefit, if we accept good changes of other trades.

Actually this purchase will be like outsourcing arrangement. Together we can make a single company. Its job will be of bulk purchasing and equal distribution of profit to all. Because per cost unit is more in small units and because of that expenses will be high and margin will be lesser. To content all the losses we will have to take some great initiatives.

Q. How do you predict future vision?
Now in the country, Gradually restrictions and lockdown due to COVID is lifted. Now chances are that, scarcity of paper scrap will be reduced. So in prices of craft paper is expected to be reduced. Our craft industry is based on paper scrap. Imported scrap is very expensive. Now, when things are getting normal and school, colleges will open. Definitely availability of scrap paper will increase and we hope that it will create positive impact.

 


क्राफ्ट पेपर के दाम पिछले साल की तुलना में डबल हो गए, दिक्कत यह है कि दाम में उतार चढ़ाव है, ठहराव आए तो बने बात


Q. महामारी का असर तो Trade में कम हो गया होगा?
महामारी की तीनों लहर जो जा चुकी है, एक बुरे सपने की तरह थी। लेकिन परीक्षाएं अभी और भी हैं। जहां एक ओर चीन में कोविड की वजह से सख्त पाबंदियां अब भी लागु हैं, वही दूसरी ओर यूक्रेन युद्ध की वजह से सभी प्रकार के आयात लगातार महंगे होते जा रहें हैं। हालांकि हम आशा कर रहे थे कि अब धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जायेगा। पर लगता है परिस्थियों को अनुकूल होने में अभी भी कुछ और समय लगेगा।

रॉ मटेरियल के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही दिक्कत यह है कि रेट में उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा है। जब तक रेट में ठहराव नहीं होगा, तब तक समस्या बनी रहेगी। इस वजह से समस्याएं ज्यादा, और, बार बार आ रही हैं। क्राफ्ट पेपर एक ऐसी चीज है जिसमें मेन्यूप्लेशन नहीं हो सकती। वह जितना लगना है, उतना ही लगेगा। अभी दो से तीन रुपए डाउन हुआ है। पहले यह रू. 47 पर था। आज से साल भर पहले यह 24 से 25 रुपए किलो हुआ करता था। यानी कि सीधे-सीधे डबल हो गया। इस वजह से बाजार में टिके रहना मुश्किल हो रहा है।

Q.  फिर तो आपके रेट बढ़ते ही रहने चाहिएं?
समस्या एक नहीं कई है। पॉपुलर के दाम अभी 1400 से 1500 रू हैं, लेकिन गेहूं की कटाई खत्म होते ही पॉपुलर के रेट कम भी हो सकते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से इस तरह की संभावना कम देखने को मिल रही है। लेकिन, प्लाईवुड के जो दाम बढ़े थे, यह दाम कम करने की सोच अभी से पनप रही है। वितरकों ने इन्तजार करने की निती अपना रखी है। यह सही नहीं है। क्योंकि मुश्किल से तो दाम बढ़ते हैं। इसे एक दम से कम कर देना उद्योग के लिए घातक हो जाता है।

कोई भी एक यूनिट संचालक रेट अगर कम कर देता है तो बाकी सभी को भी यह कदम उठाना पड़ता है। इसके लिए हम अपनी एसोसिएशन को कुछ हद तक जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। तब मेलामाइन के रेट थोड़े कम हुए थे। कुछ समय बाद मेलामाइन के रेट तो वापस वहीं पहुंच गए। लेकिन लेमीनेट के रेट जो कम कर दिए थे, वो वापस बढ़ा नहीं सके। तब यदि रेट कम न किए होते तो हम जैसे छोटे मैन्यूफेक्चरर इंडस्ट्री को दिक्कत कम आती।

Q. इसे मैनेज करने के लिए क्या सोच रहें हैं?
बड़े उद्योगों के पास एक एडवांटेज है कि उनकी परचेज भी बल्क में हैं। इससे क्योंकि उन्हें कच्चा माल कुछ सस्ते में मिल जाता है। हम भी इस एंगल पर सोच रहे हैं। हम लाइक माइंडेड लोग मिल कर बल्क प्रचेज करने की कोशिश कर रहे हैं। यह भविष्य की जरूरत है। इसके लिए छोटे-छोटे ग्रुप बनाने की कोशिश हो रही है। भले ही आज यह मुश्किल नजर आ रही है, लेकिन यह भविष्य की सबसे बड़ी जरूरत बन सकती है।

हालांकि कई मल्टीनेशनल कंपनियां भी इस फील्ड में आ रही है, वह यूनिट संचालकों को रॉ टेरियल उपलब्ध करा रहे हैं। वह कैश डिस्काउंट लेकर आगे माल सप्लाई कर रहे हैं। यह कई ट्रेड में आ गया है। दूसरी ट्रेड की अच्छी चीजों को हम जितना जल्दी अपना लेंगे, उतना फायदा होगा।



दरअसल यह परचेज आउट सोर्स जैसी व्यवस्था जैसा ही होगा। सभी मिलकर एक कंपनी बना सकते हैं, उसका काम यह होगा कि सभी के लिए परचेज करना और इसमें जो मुनाफा होगा, वह सभी को बराबर बंट जाएगा। क्योंकि जितनी छोटी यूनिट होती हैं, उतनी ही per unit cost ज्यादा होती है। इससे खर्च बढ़ेंगे, तो जाहिर सी बात है नुकसान होता हैं। नुकसान को हैंडल करने के लिए कुछ नया तो करना ही पड़ेगा।

Q. आगे क्या नजर आ रहा है?
अब लगता है कि देश में कोविड-19 कम हो रहा है। धीरे-धीरे पूरा देश खुल रहा है। इससे रद्दी की समस्या भी कम होगी। क्राफ्ट की किमतों में कमी आ सकती है। हमारा क्राफ्ट रद्दी पर ही निर्भर है। imported रद्दी और भी ज्यादा महंगी है, अब जबकि सब कुछ सामान्य हो रहा है स्कूल, कॉलेज खुल जायेंगे तो निश्चित ही रद्दी कागज की उपलब्धता बढ़ेगी। और उम्मीद करते हैं कि इसका असर सकारात्मक ही होगा।