Reserve Bank of India (RBI) on 07 April extended the National Electronic Funds Transfer (NEFT) and Real-Time Gross Settlement (RTGS) facilities to non-bank payment system operators.

“Membership to the RBI-operated Centralised Payment Systems (CPSs) – RTGS and NEFT – is currently limited to banks, with a few exceptions. It is now proposed to enable non-bank payment system operators like Prepaid Payment Instrument (PPI) issuers, card networks, White label ATM operators and Trade Receivables Discounting System (TReDS) platforms regulated by the Reserve Bank, to take direct membership in CPSs. This facility is expected to minimise settlement risk in the financial system and enhance the reach of digital financial services to all user segments,” RBI governor Shaktikanta Das said.

The aim is to encourage participation of non-banks across payment systems, the central bank said. “This facility is expected to minimise settlement risk in the financial system and enhance the reach of digital financial services to all user segments. These entities will, however, not be eligible for any liquidity facility from the Reserve Bank to facilitate settlement of their transactions in these CPSs. Necessary instructions will be issued separately,” a statement by RBI mentioned.

The central bank also increased the maximum end of day balance for payment banks to Rs. 2 lakh. Earlier, the limit was Rs.1 lakh. Payments banks have been asking a hike in deposit limit for a long time.

This move is a massive move in the direction to help MSMEs, unorganised entities and other small businesses. This also shows the trust that RBI has placed on payments banks to make this a move in right direction. There are still 20 percent of unbanked citizens in the country and this will help them avail better, faster and safer services of the bank,”.


RTGS और NEFT के लिए बैंक की जरूरत नहीं

अब RTGS और NEFT करने के लिए बैंक के ऊपर पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने RTGS और NEFT का दायरा बैंकों से आगे बढ़ा दिया है। माॅनिटरी पाॅलिसी का ऐलान करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने ऐलान किया कि ये सुविधा अब नाॅन बैंकिंग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स भी दे सकेंगे।

1.RTGS, NEFT का दायरा बढ़ा

RTGS और NEFT एक Centralised Payment Systems है, जिसे रिजर्व बैंक ऑपरेट करता है। अब इसी CPS का हिस्सा नाॅन बैंक पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स जैसे कि Prepaid Payment Instrument (PPI) जारी करने वाले, कार्ड नेटवक्र्स, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर्स और ट्रेड रिसीवेबल डिस्काउंटिंग सिस्टम होंगे। ये सभी अब सीधे ही सीपीएस की मेंबरशिप ले सकते हैं।

2. बिना बैंक के भी कर सकेंगे RTGS और NEFT

आरबीआई का कहना है कि इस सुविधा से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट रिस्क को कम करने में मदद मिलेगी और डिजिटल वित्तीय सेवाएं की पहुंच सभी यूजर्स तक बढ़ेगी। नाॅन पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स का मतलब हुआ Mobikwik, PayU,Ola Pay, Amazon Pa वगैरह। यानी अगर आपके पास मोबाइल वाॅलेट है तो आप RTGS और NEFT के जरिए किसी को भी पैसा भेज सकते हैं।

3. एक वाॅलेट से दूसरे में 2 लाख रुपये भेज सकेंगे

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने एक और बड़ी राहत दी है, Prepaid Payment Instrument (PPIs) यानी मोबाइल वाॅलेट इंटरआपरेबिलिटी के जरिए अब 2 लाख रुपये तक पैसे भेज सकते हैं। यानी अगर आपके पास Ola Pay है, आप किसी दूसरे के वाॅलेट में पैसे भेज रहे हैं, जो कि कोई दूसरा वाॅलेट इस्तेमाल करता है, तो इसकी लिमिट अब 2 लाख रुपये कर दी गई है, पहले ये लिमिट 1 लाख रुपये ही थी हालांकि इसके लिए फुल KYC अनिवार्य हैं।

4. मोबाइल वाॅलेट बन जाएगा ATM
अब बैंकों की ओर से जारी फुल KYC PPI से कैश निकासी की जा सकती है। अब रिजर्व बैंक ने सभी PPIs के लिए कैश निकासी के दरवाजे खोल दिए हैं। अब रिजर्व बैंक ने प्रस्ताव दिया है कि नाॅन बैंक PPIs इश्यूअर के फुल KYC PPIs से कैश निकाला जा सकता है। यानी आपका मोबाइल वाॅलेट अब ATM की तरह काम करेगा, क्योंकि इससे पैसा निकाल सकते हैं, भेज सकते हैं अभी तक बस पेमेंट कर सकते थे या ट्रांसफर कर सकते थे।


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