Sarvesh Goenka
- January 16, 2021
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Face veneers shortage after unlock
Sunit Plywood Corporation is one of major importer of Face Veneer from Gabon Myanmar, Indonesia. Sarvesh Goenka is blessed and guided by his father Sri Santosh Goenka, ex. Vice President Kitply Ind. Ltd.
The plywood industry is facing new challenges after Covid. Which is pleasant but trouble some in some extent. Pleasant, because the industry recovered to a great extent from Covid. Now the working is on track. The industrialists are excited & optimistic. The challenge at the moment is that there is shortage of raw materials. Especially the raw material coming from abroad is short supplied. The cost of imported raw materials in production has also increased. Due to which the cost of the finished product is increasing.
How do you see the situation after the lockdown?
The emergence from a worldwide epidemic can certainly be considered a major achievement of this year. There is no doubt that the industry has now crossed over the crisis. For this, while the industrialist deserves congratulations, the credit goes to every person working in the field of plywood. Be it the manufacturer, the seller, the supplier of all the raw materials including the face veneer or anyone in the industry, connected in any way. The hard work of all, has written a new chapter of success for the industry, defeating this epidemic by putting themselves at stake. This is certainly an example, which is motivating us to do something new in the new year.
Are you having problems now?
Yes, it is there. The problem is that work is being affected because of the shortage of face veneers. The stock that we have in the lockdown was sold, As soon as ply factories came to normalcy, the stock of face veneer from the market finished. The problem started due to less supply of face veneers. Containers are not reaching properly to market. Its impact is seen on the industry. No one benefited from this in the market. Those who had little stock left, they might have benefited a little. The goods are normally pre booked. The prices of face veneers spiked due to short supply.
When will the problem resolve?
The biggest problem is that the imported face is not reaching on time. Our container was to be delivered in November. But we are waiting till now. It is moving somewhere in the way. However, the containers are continuously loaded. But not arriving on time. In such a situation, the problem will definitely rise. Because whatever the situation, the deal must be completed in any case. This is causing some uncertainty in the industry. Because there is demand in the market at this time, and the supply of goods is less.
Are the rates rising due to timber Crisis?
Timber rates are also increasing. Now the freight has also increased, whether it is from China or Gabon or Malaysia, the freight has now been almost doubled. A ship used to come in one month, now it is shipping in two months. There is also a shortage of timber. Due to rains timber is not coming out of forest.
Face veneers are trading behind now at 10 percent costlier. Whatever may be the reason for this price increase, but the base price has increased. It is being told here that costing has been increased. Ultimately, the price of face has gone up, the freight has increased, the goods are not reaching on time. The grading of face veneers has also been changed due to short supply and high demand. There is shortage of Gurjan from Indonesia and Malaysia also.
If a person who has ordered 20 containers in a month gets four/five containers, how will he work?
When the market will be normal?
After the corona recurrence, all the calculations are mismatched. Experts are finding it difficult to predict anything. However, looking at the present scenario, it is unlikely that the face veneer market will stabilize in January-February.
लाॅकडाउन खुलने के बाद फेस विनीयर की किल्लत
सर्वेश गोयनका सुनित प्लाईवुड काॅर्पोरेशन
फेस वीनीयर आयातक
कोविड के बाद प्लाईवुड इंडस्ट्री के सामने नया चैलेंज है। जो सुखद भी है, और थोड़ा चिंता भी दे रहा है। सुखद इसलिए है कि कोविड से इंडस्ट्री बहुत हद तक उभर गयी है। अब कामकाज पटरी पर आ रहा है। इससे उद्योगपति उत्साहित है। अब जो सामने चैलेंज हैं, वह यह है कि कच्चे माल की समस्या आ रही है। खासतौर पर विदेश से आने वाला कच्चा माल नहीं आ पा रहा है। उत्पादन में विदेशी कच्चे माल की कीमत भी बढ़ गयी है। जिससे तैयार उत्पाद की लागत बढ़ रही है।
लाॅकडाउन के बाद की स्थिति को कैसे देखते हैं?
एक विश्वव्यापी महामारी से उभरना निश्चित ही इस साल की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इंडस्ट्री अब संकट के दौर को पार कर चुकी है। इसके लिए जहां उद्योगपति बधाई के पात्र है, वहीं इसका श्रेय प्लाइवुड के क्षेत्र में काम कर रहे हर व्यक्ति को जाता है। वह चाहे निर्माता हो, विक्रेता हो फेस विनीयर सहित सभी राॅ मेटेरियल के सप्लायर या फिर इंडस्ट्री से किसी न किसी तरह से जुड़ा हुआ हो। सभी ने कठिन मेहनत, और खुद को दांव पर लगा कर इस महामारी को पछाड़ते हुए इंडस्ट्री के लिए सफालता की नई इबारत लिखी है। निश्चित ही यह एक मिसाल है, जो नए साल में नया कुछ करने के लिए प्रेरित कर रही है।
क्या अभी कुछ दिक्कत आ रही है?
जी बिलकुल आ रही है। समस्या यह है कि फेस विनीयर की कमी की वजह से काम पर असर पड़ रहा है। लाॅकडाउन में जो स्टाॅक था, वह बिक गया। जैसे ही उत्पादन में तेजी आयी तो बाजार से फेस विनीयर का स्टाॅक समाप्त हो गया। समस्या यह आ रही है कि बाहर से फेस की सप्लाई कम है। वहां से माल नहीं आ पा रहा है। इसका असर इंडस्ट्री पर आ रहा है। बाजार में इसका फायदा किसी को नहीं मिला। जिनके पास थोड़ा बहुत स्टाॅक बचा था, उन्हें जरूर लाभ हो गया होगा। अब जिस माल की बुकिंग आगे से आगे कर ली उसे तो भुगताना ही था। सार्ट सप्लाई की वजह से फेस विनीयर की कीमतों में उछाल आ गया।
कब तक की समस्या है?
सबसे बड़ी परेशानी तो यह है कि बाहर से माल ही नही आ पा रहा है। हमारा जो कंटेनर नवंबर में आना था। अभी तक माल नहीं आया। यह रास्ते में ही घूम रहा है। हालांकि पीछे से कंटेनर तो लगातार लोड रहे हैं। लेकिन समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में जाहिर है, समस्या तो आएगी ही। क्योंकि स्थिति कोई भी हो, सौदा तो हर हालत में पूरा करना ही होगा। इससे इंडस्ट्री में थोड़ी अनिश्चितता आ रही है। क्योंकि इस वक्त मार्केट में जो डिमांड है, उसके बनिस्वत माल की आपूर्ति कम है।
क्या टिंबर की कमी की वजह से भी रेट बढ़ रहे हैं?
टिंबर के रेट भी बढ़ गये हैं। अब किराया भी बढा़ हुआ है, चाइना हो या गेबान या मलयेशिया सभी जगह का भाड़ा अब दुगुना हो गया है। पहले माह में एक शिप आ जाता था, अब दो माह में एक ही शिप आ पाता है। बरसात की वजह से लकड़ी की कमी आ रही है। इस वजह से जंगल से माल नहीं आ रहा है। जो माल अब आ रहा है, वह पिछे ही 10 प्रतिशत महंगा हो गया है। इस कीमत के बढ़ने की वजह तो कुछ भी हो, लेकिन कीमत बढ़ गयी है। यहीं बताया जा रहा है कि इसकी काॅस्टिंग बढ़ गयी। इस वजह से माल की कीमत बढ़ गयी, किराया बढ़ गया, माल समय पर मिल नहीं रहा। इधर माल की आपूर्ति कम होने और डिमांड ज्यादा होने से माल की ग्रेडिंग भी गिरा दी गई है। इंडोनेशिया और मलेशिया से गर्जन की कमी आ रही है। वहां भी रेट बढ़ा दिए। क्वालिटी गिरा दी। बर्मा से भी दुगुना किराया हो गया है। एक माह में जिसने 20 कंटेनर का आर्डर दिया हो, उसे चार ही कंटेनर मिले तो वह कैसे काम करेगा?
स्थिति कब तक सामान्य होगी?
कोरोना की पुनरावृत्ति के बाद सभी केलकुलेशन अस्त-व्यस्त हो गये हैं। कुछ भी कह पाना दुभर हो गया है। फिर भी आज के परिदृश्य को देखते हुए लगता नहीं है कि जनवरी-फरवरी में फेस विनीयर का बाजार स्थिर हो पायेगा।