Transparent Wood Could be the Window of the Future
- October 12, 2020
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Could looking through trees be the view to a greener future? Trees replacing the clear pane glass in your windows is not a work of science fiction. It’s happening now.
Forest Products Laboratory (FPL) researcher Junyong Zhu in co-collaboration with colleagues from the University of Maryland and University of Colorado, have developed a transparent wood material that may be the window of tomorrow. Researchers found that transparent wood has the potential to outperform glass currently used in construction in nearly every way.
Their findings were published in the Journal of Advanced Functional Materials in their paper, “A Clear, Strong, and Thermally Insulated Transparent Wood for Energy Efficient Windows.”
While glass is the most common material used in window construction it comes with a costly economic and ecological price.
Heat easily transfers through glass, especially single pane, and amounts to higher energy bills when it escapes during cold weather and pours in when it’s warm. Glass production in construction also comes with a heavy carbon footprint. Manufacturing emissions are approximately 25,000 metric tons per year.
Now, transparent wood is emerging as one of the most promising materials of the future.
Transparent wood is created when wood from the fast-growing, low-density Balsa tree is treated to a room temperature, oxidizing bath that bleaches it of nearly all visibility. The wood is then penetrated with a synthetic polymer called polyvinyl alcohol (PVA), creating a product that is virtually transparent.
The natural cellulose in its wood structure and energy-absorbing polymer filler in transparent wood means that it is far more durable and lighter than glass. It can withstand much stronger impacts than glass and, unlike glass, it bends or splinters instead of shattering.
Switching to transparent wood could prove to be cost efficient as well. It is approximately five times more thermally efficient than glass, cutting energy costs. It is made from a sustainable, renewable resource with low carbon emissions. It’s also compatible with existing industrial processing equipment, making the transition into manufacturing an easy prospect.
With all of these potential benefits for consumers, manufacturing and the environment, the case for transparent wood couldn’t be…clearer.
बाल्सा पेड़ से बनाई कांच की तरह पारदर्शी लकड़ी
अमेरिका के वैज्ञानिकों को एक ऐसी पारदर्शी लकड़ी विकसित करने में सफलता मिली है, जो परंपरागत कांच की जगह उपयोग में लाई जा सकती है। इसे बाल्सा पेड़ी की लकड़ी से तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कांच से 5 गुना अधिक गर्मी को सोखने की क्षमता रखता है। यह वजन में भी उससे हल्की है। मेरीलैंड और कोलोराडो यूनिवर्सिटी को शोधकर्ता पिछले 5 सालों से इसके निर्माण में जुटे थे। इस सफलता के बाद अब इस लकड़ी को कांच का विकल माना जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि इसका निर्माण पर्यावरण के अनुकूल है। इसे बनाने में कार्बन उत्सर्जन की खपत नहीं होगी, जबकि कांच के उत्पादन में हर साल 25 हजार टन उत्सर्जन होता है।
वैज्ञानिकों ने इस पेड़ की लकड़ी को सामान्य तापमान में आक्सीडाइजिंग बाथ में रखा। यह एक तरह का ब्लीचिंग साॅल्यशन था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि लकड़ी से प्रकाश को अवशोषित करने वाले तत्व खत्म हो जाएं। लकड़ी का हर हिस्सा ब्लीच में डूबने के बाद आर-पार दिखने लगा। इसके बाद पाॅलिविनायल अल्कोहल पाॅलिमर मिलाया गया। इससे यह पारदर्शी लकड़ी में पूरी तरह तब्दील हो गया। बाद में इसे साफ किया गया। वैज्ञानिकों ने पारदर्शी लकड़ी बनाने के लिए बाल्सा पेड़ की लकड़ी को ही इसलिए चुना क्योंकि यह सूरज की रोशनी को अधिक सोखता है। इसीलिए यह तेजी से बढ़ता भी है। पहले प्रयोग में वैज्ञानिकों ने देखा कि लकड़ी की सोडियम हाइड्रोआक्साइड और अन्य केमिकल में उबालने के बाद लिगनिन छूटने लगा। लिगनिन एक माॅलीक्यूल है, जो लकड़ी को भूरा और बादामी रंग देता है। लिगनिन निकलने के बाद इपोक्सी की परत चढ़ाई गई। इसने लकड़ी को चार से छह गुना ज्यादा मजबूती दे दी। फिर इसे पारदर्शी बनाया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पारदर्शी लकड़ी कांच की तरह टुकड़े होकर बिखरेगी नहीं बल्कि मुड़ जाएगी। इससे जलवायु परिवर्तन के बुरे असर को कम किया जा सकेगा। वैज्ञानिक इसे पर्यावरण के लिहाज से इसलिए भी बेहतर मानते हैं, क्योंकि पारदर्शी होने के बावजूद लकड़ी, लकड़ी ही रहेगी। यह जैविक रूप से पर्यावरण में आसानी से घुल-मिल जाएगी।