Need of strong banking system
- November 27, 2021
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Prime Minister Narendra Modi said that a strong banking system is very important for a strong economy. The manner in which the country’s banking system was damaged in the first few years before the year 2014, everyone knows what kind of situations had arisen. In the last seven years, bad loans (NPAs) were identified with transparency, attention was given to their resolution and recovery, financial system and public sector banks were reformed. Those who deliberately did not repay the loan used to play with the system, but now the way to raise funds fraudulently from the market has been closed.
The PM also accused the previous UPA government on the issue of financial inclusion. Said that six to seven years ago, banking, pension and insurance in India was like an exclusive club. All these facilities were far away for the common citizen of the country, poor families, small farmers, backward etc. The people who were responsible for providing these facilities never paid any attention to it. Rather, various excuses were made to block the roads leading to the poor. There is no bank branch, there is no awareness among the people was said shamelessly.
मजबूत बैंकिग सिस्टम की आवश्यकता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि एक मजबूत बैंकिग सिस्टम मजबूत होती अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरुरी है। वर्ष 2014 के पहले के कुछ सालों में देश के बैंकिगं सिस्टम को जिस प्रकार से नुकसान पहुंचाया गया था, उससे हर किसी को पता है कि कैसी स्थितियां पैदा हो गई थी। बीते सात वर्षो में फंसे कर्जे (एनपीए) को पारदर्शिता के साथ पहचाना गया, इनके समाधान और रिकवरी पर ध्यान दिया गया, फाइनेंशियल सिस्टम और सरकारी बैंकों में सुधार किया गया। जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले पहले सिस्टम से खिलवाड़ करते थे, लेकिन अब धोखाधड़ी से मार्केट से फंड जुटाने का रास्ता बंद कर दिया गया है।
पीएम ने पूर्व की यूपीए सरकार को वित्तीय समावेशन के मुद्दे पर भी घेरा। कहा कि छह से सात वर्ष पहले भारत में बैंकिग, पेंशन और बीमा एक्सक्लूसिव क्लब जैसा था। देश का सामान्य नागरिक, गरीब परिवार, छोटे किसान, पिछड़ो आदि के लिए ये सारी सुविधाएं बहुत दूर थीं। जिन लोगों पर इन सुविधाओं को पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। बल्कि बदलाव नही हो, कोई परिवर्तन ना आए, गरीब तक जाने के लिए रास्तों को बंद करने के लिए भांति-भांति के बहाने बनाए जाते थे। क्या कुछ नहीं बेशर्मी के साथ कहा जाता था। बैंक ब्रांच नही है, लोगों में जागरुकता नहीं है।