GST Tax Payers Get Social Security Net

While a final call is to be taken on whether to extend the goods and services tax (GST) compensation period for the states beyond June this year, Central Board of Indirect Taxes & Customs (CBIC) Chairman Vivek Johri, says if revenues are to reach the levels where compensation would perhaps no longer be an issue, then not only the GST rate structure but exemptions too need to be reviewed.

A lot of challenges in GST remained but primarily it is the rate issue, on which a group of ministers is working. And that is linked to the challenge of providing compensation to the states. You’re aware that is coming to an end in June. So I’m just second-guessing what the minister could have in mind, and in my view, it would be the challenge of ensuring that we are able to generate enough resources for the states and the Centre taken together. That I think is the overarching challenge with GST. Then there are issues linked to striking the right balance between enforcement and facilitation. There have been measures taken for both.

Frankly, there has not been much discussion on Extending the GST compensation period beyond June. At the 45th GST Council meeting, the various options that are available beyond June 2022- taking into account the fact that there are loans to be repaid and how compensations cess revenue will get used for repaying loans- were discussed. But there wasn’t really too much discussion on extending the period of compensation.

Your cess revenues are already booked for repaying loans for two years and you’ve already extended the cess by that period. If you want to extend it beyond that, it is a call the Council has to take, of course, the Constitution and the legal provision also provide for compensation for five years. In my view, the more you postpone it, and the more you extend the period of compensation. Rate rationalization and other things will be pushed from the foreground.

Because you have the compensation available, discussion on whether you need to rationalize the rates, and remove exemptions and inversions- these will not be of high priority. it is because there is a sort of definite time period for which compensation was announced. There is this realization now that you have to bring these issues to the table and sort them out.

There are only two ways of augmenting revenues. One is to take administrative measures, and bring in legal changes to ensure better compliance, which you have already done quite a lot. And there has been a very significant improvement in compliance but if you really want revenues to reach the levels where compensation would perhaps no longer be an issue, then you also have to review your rate structure and exemptions.


दरों को युक्ति संगत बनाने की चुनौती


जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधि को जून 2022 से आगे बढ़ाने पर अंतिम निर्णय को लेकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने कहा कि यदि राजस्व उस स्तर तक पहुंच जाए जहां क्षतिपूर्ति का शायद कोई मुद्दा नहीं रहे तब न केवल जीएसटी दर ढांचा बल्कि छूटों की समीक्षा करने की जरूरत पड़ेगी।

जीएसटी में बहुत सारी चुनौतियां बनी हुई हैं। सबसे प्रमुख दर का मुद्दा है जिस पर मंत्री समूह पहले से ही कार्य कर रहा है। यह मुद्दा राज्यों को क्षतिपूर्ति मुहैया कराने की चुनौती से जुड़ा है। आपको पता है कि इसका समाधान जून में होने जा रहा है। ऐसे में मेरे विचार से वित्त मंत्री के दिमाग में राज्यों और केंद्र दोनों के लिए एकसाथ मिलकर पर्याप्त संसाधन जुटाने की चुनौती का समाधान की चिंता रही होगी। यह जीएसटी के साथ जुड़ी एक बहुत बड़ी चुनौती है। निस्संदेह इसके बाद प्रवर्तन और सुविधा मुहैया कराने के बीच उपयुक्त तालमेल बिठाने की चुनौती है।

स्पष्ट तौर पर कहूं तो जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को जून से आगे बढ़ाने पर अब तक बहुत अधिक चर्चा नहीं हुई है। जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में जून 2022 के बाद उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई जिसमें इस बात ध्यान दिया गया कि ऋणों का भुगतान किया जाना है और ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए क्षतिपूर्ति उपकर राजस्व का किस प्रकार से इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्व को बढ़ाने के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई थी। लेकिन क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर वास्तव में बहुत अधिक चर्चा नहीं हुई।

क्योंकि पहले ही तय हो चुका है कि दो वर्ष के लिए उपकर राजस्व का इस्तेमाल ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए किया जाएगा और उपकर को उस अवधि तक पहले ही बढ़ाया जा चुका है। यदि आप इसे उस अवधि से आगे तक बढ़ाना चाहते हैं तो इस पर निर्णय परिषद को करना है। निस्संदेह संविधान और कानूनी प्रावधान भी केवल पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति मुहैया कराते हैं। मेरे विचार से जितना अधिक आप इसे टालते हैं और जितना अधिक आप क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाते हैं उतना ही अधिक दर युक्तिकरण और अन्य चीजें पीछे छूटती जाएंगी।

ऐसा इसलिए है कि आपके पास क्षतिपूर्ति की रकम उपलब्ध होनी चाहिए। ऐसे में क्या आपको दर को युक्तिसंगत बनाने, छूटों को समाप्त करने, उत्क्रमण को समाप्त करने की जरूरत है या नहीं जैसी चर्चा को उच्च प्राथमिकता नहीं मिल पाती है। ऐसा इसलिए है कि क्षतिपूर्ति की घोषणा जितने समय के लिए की गई थी वह अवधि पूरी होने वाली है ऐसे में आपको पता है कि इस मुद्दे पर चर्चा कर इसका समाधान करना होगा।

राजस्व बढ़ाने के केवल दो तरीके हैं। पहला है प्रशासनिक उपाय करना और बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी बदलाव करना, जो आप पहले ही काफी कर चुके हैं। और अनुपालन में बहुत महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, लेकिन यदि आप वास्तव में राजस्व को उस स्तर तक पहुंचाना चाहते हैं जहां मुआवजे का कोई मुद्दा नहीं रह जाएगा, तो आपको अपनी दर संरचना और छूट की भी समीक्षा करनी होगी।